सेना में भर्ती की योजना ‘अग्निपथ’ के ऐलान के बाद लगातार तीन दिनों से विरोध की आग जल रही है। UP, बिहार, MP, राजस्थान समेत 7 राज्यों में प्रदर्शन हो रहे हैं। हरियाणा के रोहतक में सेना भर्ती की तैयारी कर रहे एक युवक ने सुसाइड कर लिया।
विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार देर रात अग्निपथ स्कीम की एज लिमिट पहले साल के लिए 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है, लेकिन सवाल सिर्फ एज लिमिट का नहीं है।
1. अग्निपथ के ऐलान के बाद वे 5 बातें, जिनसे नौजवान हुए आगबबूला
- 4 साल की तैयारी के बाद 4 साल की नौकरी और फिर बेरोजगारी।
- कोरोना के नाम पर देश में भर्ती रैलियां नहीं हुईं, लेकिन इसी दौरान बंगाल, UP, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा जैसे राज्यों बड़ी चुनावी रैलियां भी हुईं और चुनाव भी।
- फिजिकल और मेडिकल के बावजूद कम से कम 10 रैलियों को अधूरा छोड़ दिया गया, अब उन्हें रद्द कर दिया गया है।
- अग्निवीरों की बिल्ले, बैज और चिह्न समेत रैंक भी अलग होगा। युवाओं को डर है कि इससे भेदभाव बढ़ेगा।
- जिन 25% अग्निवीरों को आगे 15 साल के चुना जाएगा उसका भी कोई साफ पारदर्शी तरीका नहीं।
2. जवान देने के मामले बिहार नंबर 2 राज्य है, इसलिए वहां सबसे ज्यादा हिंसा
15 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि तीनों सेनाओं में 13.40 लाख से ज्यादा जवान हैं। आर्मी में 11.21 लाख, एयरफोर्स में 1.47 लाख और नेवी में 84 हजार जवान और अफसर हैं। इनमें सबसे ज्यादा 2.18 लाख से ज्यादा जवान UP से आते हैं। दूसरे नंबर पर बिहार है। यहां से 1.04 लाख जवान आते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि अग्निपथ योजना का बिहार में सबसे तीखा और हिंसक विरोध हो रहा है।
नीचे दिए ग्राफिक्स से जानते हैं तीनों तरह की सेना को सबसे ज्यादा नौजवान देने वाले बड़े राज्य कौन-कौन से हैं…
आबादी के हिसाब से देखेंगे तो जवान देने के मामले में चौंका देंगे पहाड़ी राज्य…
3. तोड़फोड़ आगजनी वाले राज्यों में बेरोजगारी भी ज्यादा
4. बिहार, UP की भर्ती रैली में जुटते हैं 1 लाख नौजवान, पांच सालों से घट रही रैलियां
इस साल अप्रैल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बताया था कि देशभर में हर साल आर्मी की औसतन 90 से 100 भर्ती रैली होती हैं। 2020-21 में 97 रैली होनी थीं, लेकिन सिर्फ 47 हो पाईं। वहीं 2021-22 में 87 रैली प्लान हुईं और सिर्फ 4 हुईं। कोरोना की वजह से कॉमन एंट्रेंस एग्जाम नहीं हुआ, इसलिए भर्ती भी नहीं हुई।
साल | रैलियां |
2017-18 | 106 |
2018-19 | 92 |
2019-20 | 95 |
2020-21 | 47 |
2021-22 | 04 |
आंकड़ों से साफ है कि 90 से 100 भर्ती रैलियों के जरिए हर साल करीब 60 हजार जवानों की भर्ती होती है। इनमें से करीब 40% रैलियां UP, बिहार, राजस्थान, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में होती हैं। हिमाचल को छोड़ दें तो ज्यादा आबादी वाले इन राज्यों में होने वाली हर रैली में 1 से 1.5 लाख नौजवान हिस्सा लेते हैं। इस युवा आबादी का एक बड़ा हिस्सा अग्निपथ योजना का जबरदस्त विरोध कर रहा है।
5. एक अग्निवीर रेगुलर जवान से कितना अलग होगा, यही विरोध की जड़