~राजेंद्र शुक्ला, मुंबई
31 दिसम्बर की मध्य रात्रि मेँ क्या बदलता है?
~न ऋतु, न मौसम
~न कक्षा बदली, न सत्र
~न फसल बदली, न खेती
~न पेड़ पौधों की रंगत
~न सूर्य चाँद सितारों की दिशा और
ना ही नक्षत्र
1 जनवरी, आने से पहले ही सबलोग नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है। नया केवल एक दिन ही नही होता. हर दिन नया है. हर दिन आपका नववर्ष है, नवजन्म मेँ प्रवेश है.
लेकिन कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है।
आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर :
*01. प्रकृति :*
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.
चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही होI
*02. वस्त्र :*
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता हैI
*03. विद्यालयों का नया सत्र :*
दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं. जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है. नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया सालI
*04. नया वित्तीय वर्ष :*
दिसम्बर-जनवरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती, जबकि 31 मार्च को बैंको की (Audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता हैI
*05. कलैण्डर :*
जनवरी में नया कलैण्डर आता है. चैत्र में नया पंचांग आता है. उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैंI इसके बिना हमारा लोक-समाज सहज जीवन की कल्पना भी नही कर सकताI
*06. किसानों की स्थिति :*
दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है, जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नयावर्ष और उत्साहI
*07. पर्व मनाने की विधि :*
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश.
भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती हैI शुद्ध सात्विक वातावरण बनता हैI
*08. ऐतिहासिक महत्त्व :*
1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है, जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रहम्मा द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध हैI
अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदलाI
जिस समय ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैं ; वही विज्ञान आधारित हैI
तो विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचानें. स्वयं सोचे की क्यों मनाएं हम 31 दिसम्बर, रात्री 12 बजे को नया वर्ष? (चेतना विकास मिशन).
ReplyForwardAdd reaction |