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देश के 48 फीसदी अभिभावक बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगने तक नहीं भेजना चाहते स्कूल

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नई दिल्ली
देश के कई राज्यों में छठी क्लास या आठवीं क्लास से ऊपर के बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं या जल्द खोले जाने वाले हैं। दिल्ली सरकार ने भी बुधवार को इसे लेकर स्टूडेंट्स, टीचर्स और पैरंट्स की राय लेने का ऐलान किया है। इस बीच, देशभर में किए गए एक सर्वे में 48 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा है कि वह अपने बच्चों को तबतक स्कूल नहीं भेजना चाहते जबतक उन्हें कोरोना से बचाव का टीका नहीं लग जाता। जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा और रिशद प्रेमजी ने भी स्कूलों को खोलने की वकालत की है।

361 जिलों में 32 हजार से ज्यादा अभिभावकों ने लिया सर्वे में हिस्सा
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्कल्स ने देशभर के 361 जिलों में सर्वे कर स्कूलों के खोले जाने पर अभिभावकों का मूड समझने की कोशिश की। देश में 48 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को तब तक स्कूल नहीं भेजना चाहते जब तक कि उन्हें कोविड-19 रोधी टीका नहीं लग जाता। इस सर्वे में 32 हजार से अधिक अभिभावकों ने हिस्सा लिया है।

32% अभिभावक बोले- जिले में कोरोना के शून्य मामले होने पर ही खुलें स्कूल
सर्वे में हिस्सा लेने वाले 32 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा है कि यदि उनके जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले घटकर शून्य हो जाते हैं, तो उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने में कोई संकोच नहीं होगा।

48 प्रतिशत अभिभावकों की राय-बच्चों के वैक्सीनेशन के बाद ही खोले जाएं स्कूल
अभिभावकों के मुताबिक बच्चों को यदि स्कूल भेजना है तो आगामी महीनों में उनका टीकाकरण करना बेहद जरूरी है। सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब 48 प्रतिशत अभिभावकों का कहना है कि जब तक कि उनके बच्चों को कोविड-19 रोधी टीका नहीं लग जाता, तब तक वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक नहीं हैं।

21 प्रतिशत पैरेंट्स स्कूल खुलते ही बच्चों को भेजने के पक्ष में: सर्वे
सर्वेक्षण के मुताबिक कम से कम 21 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि जब कभी स्कूल खुलेंगे, वे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं। यह सर्वेक्षण देश के शहरी जिलों से लेकर ग्रामीण जिलों में कई चरणों कराया गया।

खोले जाएं स्कूल, देश का भविष्य दांव पर: आनंद महिंद्रा
इस बीच जाने-माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा और रिशद प्रेमजी ने भी स्कूलों को दोबारा खोले जाने की मांग की है। महेंद्रा ने ट्वीट किया, ‘अब नाजुक वक्त है। हमें सभी स्कूलों को फिर से खोलने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। स्कूलों को खोलने के लिए सभी स्टाफ को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगवानी जरूरी है। बहुत सामान्य सी बात है, देश का भविष्य दांव पर है….’

स्कूलों के बंद होने से उनके खुले होने से ज्यादा नुकसान : रशिद प्रेमजी
वहीं, विप्रो समूह के रिशद प्रेम जी ने महिंद्रा के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘हमें स्कूलों को खोलना ही होगा। उनके बंद रखने से जो नुकसान हो रहा है वह उनके खुले रहने से ज्यादा है। हमें दूसरे देशों से बहुत सारे सबक सीखने की जरूरत है जिन्होंने इसे सफलतापूर्वक करके दिखाया है।’

बच्चों के लिए जल्द उपलब्ध होगी वैक्सीन
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की बैठक में कहा था कि बच्चों के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान जल्द ही शुरू होगा।

पिछले साल मार्च से ही बंद हैं स्कूल, बीच में कुछ समय के लिए खुले थे
कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पिछले वर्ष मार्च में लागू किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद से ही देशभर में स्कूल बंद हैं। हालांकि, कुछ राज्यों में पिछले वर्ष अक्टूबर से स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी, लेकिन महामारी की दूसरी लहर के कारण दोबारा स्कूलों को बंद कर दिया गया था।

कई राज्यों में खुल चुके हैं स्कूल तो कुछ जगहों पर खोले जाने की तैयारी
गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार में स्कूलों को आंशिक रूप से खोल दिया गया है जबकि राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने अगस्त के पहले सप्ताह में स्कूलों को खोलने की घोषणा की है।

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