रमेश सर्राफ धमोरा
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 10 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। पिछले दो बार के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर चुनाव हारने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार चुनाव में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इसीलिए अब तक घोषित 10 प्रत्याशियों में से किसी भी पुराने प्रत्याशी को रिपीट नहीं किया गया है। हालांकि कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह चुनाव मैदान में नहीं उतरें हैं। यदि यह सभी नेता भी चुनाव मैदान में उतरने तो कांग्रेस बीजेपी में कड़ा मुकाबला देखने को मिलता। हालांकि अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को इस बार भी लोकसभा चुनाव में उतार गया है। मगर उनका क्षेत्र बदलकर जोधपुर के स्थान पर जालौर-सिरोही कर दिया गया है। दो दिन पूर्व भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए चूरू के सांसद राहुल कस्वां को भी चूरू से प्रत्याशी बना दिया है। इसके साथ ही उदयपुर सीट पर आईएएस से इस्तीफा देने वाले ताराचंद मीणा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है।
कांग्रेस की सूची में बीकानेर सुरक्षित सीट से गोविंदराम मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। गोविंदराम मेघवाल पिछला विधानसभा चुनाव खाजूवाला क्षेत्र से हार गए थे। वह पिछली गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री व पूर्व में भाजपा से भी विधायक रह चुके हैं। पिछली बार बीकानेर से मदन गोपाल मेघवाल को प्रत्याशी बनाया गया था। वहीं 2014 में पूर्व सांसद शंकर पन्नू को प्रत्याशी बनाया गया था। चूरू संसदीय सीट पर दो बार भाजपा से सांसद बने राहुल कस्वां को प्रत्याशी बनाया गया है। राहुल कस्वां के पिता रामसिंह कस्वां चूरु से चार बार सांसद रह चुके हैं। जिले में इन्होंने ही सबसे पहले भाजपा का खाता खोला था। मगर राहुल कस्वां का टिकट काट देने से वह कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ेंगे। चूरू से पिछली बार रफीक मंडेलिया व 2014 में प्रताप पूनिया को प्रत्याशी बनाया गया था।
झुंझुनू सीट से विधायक बृजेंद्र ओला को प्रत्याशी बनाया गया है। चार बार के विधायक बृजेंद्र वाला गहलोत सरकार में परिवहन राज्य मंत्री थे। उनके पिता शीशराम ओला झुंझुनू से पांच बार सांसद, नौ बार विधायक, केंद्र व राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। झुंझुनू से पिछली बार सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार को व 2014 में बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला ओला को प्रत्याशी बनाया गया था।
यादव मतदाताओं की बहुलता वाली अलवर सीट पर मुंडावर विधायक ललित यादव को प्रत्याशी बनाया गया है। ललित यादव ने पिछला विधानसभा चुनाव 34526 मतों से जीता था। अलवर से पिछले दो बार कांग्रेस से भंवर जितेंद्र सिंह चुनाव लड़कर बड़े अंतर से पराजित हुए थे। भरतपुर सुरक्षित सीट से संजना जाटव को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि पिछली बार अभिजीत कुमार जाटव व 2014 में डॉक्टर सुरेश जाटव प्रत्याशी थे। इस बार की प्रत्याशी संजना जाटव पिछला विधानसभा चुनाव कठूमर सीट से मात्र 409 मतों से हार गई थी। संजना जाटव अभी अलवर जिला परिषद की सदस्य है तथा मात्र 26 साल की उम्र में ही उसे लगातार कांग्रेस पार्टी से टिकट मिल रही है। संजना जाटव कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के अभियानों से जुड़ी हुई है। इसी के चलते उन्हें टिकट मिला है।
टोंक-सवाई माधोपुर सीट से कांग्रेस ने देवली विधायक हरीश मीणा को मैदान में उतारा है। जबकि पिछली बार उनके भाई नमोनारायण मीणा व उससे पहले क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन चुनाव लड़ चुके हैं। यहां से सचिन पायलट के चुनाव लड़ने की चर्चा थी। मगर उन्होंने अपने विश्वासपात्र हरीश मीणा को मैदान में उतार दिया है। हरीश मीणा 2014 में भाजपा से सांसद व 2018 तथा 2023 में कांग्रेस से विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। वह पूर्व में राजस्थान पुलिस के डीजीपी रह चुके हैं।
जोधपुर में करण सिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया गया है। पिछली बार वहां अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत उम्मीदवार थे। मगर 3 लाख वोटो से हार गए थे। 2014 में वहां से केंद्रीय मंत्री चंद्रेश कुमारी प्रत्याशी रही थी। जोधपुर लोकसभा सीट को कभी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ माना जाता था। वह जोधपुर से पांच बार सांसद व छह बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। मगर पिछले लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र की करारी हार के चलते उन्होंने अपने पुत्र वैभव गहलोत को जोधपुर के स्थान पर जालौर-सिरोही सीट से प्रत्याशी बनवाया है। जोधपुर से भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लगातार तीसरी बार प्रत्याशी घोषित किया है।
जालौर-सिरोही सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार यहां से रतन देवासी प्रत्याशी थे। जबकि 2014 में चित्तौड़गढ़ के रहने वाले उदयलाल आंजना को प्रत्याशी बनाया गया था। उदयपुर सीट से उदयपुर में कलेक्टर रह चुके ताराचंद मीणा को प्रत्याशी बनाया गया है। 2019 व 2014 में यहां से रघुवीर मीणा कांग्रेस प्रत्याशी रहे थे। चित्तौड़गढ़ सीट पर उदयलाल आंजना को प्रत्याशी बनाया गया है। आंजना गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे तथा पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। चित्तौड़गढ़ में पिछली बार गोपाल सिंह शेखावत व 2014 में गिरिजा व्यास चुनाव लड़ चुकी है। उदयलाल आंजना 2014 में जालौर-सिरोही सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं। चित्तौड़गढ़ में भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
कांग्रेस ने इस बार तीन मौजूदा विधायक झुंझुनू से बृजेंद्र ओला, अलवर से ललित यादव, टोंक- सवाई माधोपुर से हरीश मीणा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा सांसद राहुल कस्बा को चूरू से तथा पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हरीश मीणा व ताराचंद मीना को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने तीन विधायकों को मैदान में उतार दिया है। वहीं पांच अन्य सीटों पर विधायकों कोटा से अशोक चांदना, दौसा से मुरारीलाल मीणा, राजसमंद से सुदर्शन सिंह रावत, बाड़मेर से हरीश चैधरी व करौली-धौलपुर से अनीता जाटव के नाम चल रहें है।
कांग्रेस में चर्चा है कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट भारतीय आदिवासी पार्टी को, सीकर सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी को तथा नागौर व बाड़मेर सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को गठबंधन में दी जा सकती है। इसी के चलते इन सीटों पर अभी प्रत्याशियों के नाम तय नहीं किए गए हैं। हालांकि बाड़मेर से विधायक हरीश चौधरी गठबंधन का विरोध कर रहे हैं। वह बाड़मेर से सांसद रह चुके हैं तथा चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी ही बाड़मेर सीट से चुनाव लड़े। इसी के चलते अभी गठबंधन की घोषणा नहीं हो पाई है। कांग्रेस के लिए इस बार का चुनाव वर्चस्व का सवाल बना हुआ है। विधानसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस के पास यह सुनहरा अवसर है की वह पिछली दो बार की हार को जीत में बदलकर अपना खोया जनाधार फिर से मजबूत करने की दिशा में अग्रसर हो।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार है।)