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लोकतंत्र खतरे मे ? लोकतंत्र बचना चाहिए?

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राकेश चौकसे बुरहानपुर

राहुल खड़गे सोनिया गांधी की प्रेस वार्ता मे लोकतंत्र पर चर्चा अपने आप मे प्रश्न चिह्न खड़े करता है।1959 मे जवाहर लाल नेहरू ने एक साल के लिए इंदिरा गांधी को अध्यक्ष बनाया था ? ( पत्रिका मे पढ़ा लेख) इसी साल के अंत के पहले लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गईं केरल  की ई. एम. एस. नंबूदीरीपाद की बहुमत वाली सरकार को राज्यपाल बुरगुला रामा कृष्णा राव की अनुशंसा पर बर्खास्त कर दिया गया था। क्या कांग्रेस ने धारा 356 की मूल भावना के विपरीत काम नही किया था। यह आजादी का बाल्यावस्था काल ही कहा जा सकता है।1966 -1977 और 1980 -1984 के कालखंड पर नही आ रहे। न हम इस विषय पर आ रहे स्वतंत्रता के बाद भारत के विभिन्न राज्यों मे कितनी बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।

आज की प्रेस कांफ्रेंस और उसमे लोकतंत्र का उल्लेख करना नेताओ को शोभा नहीं देता। माना सोनिया विदेशी मूल की थी भारत के लोकतंत्र का ज्ञान अल्प हो सकता। राहुल और खड़गे साहब को तो मालूम ही होना चाहिए भारत मे 124 बार से ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है और इमरजेंसी क्यो लगाई गईं थीं? इस इमरर्जेसी मे क्या हुआ था? न देश भूल सकता न देश के विपक्षी घटक दल। राहुल के मूंह से लोकतंत्र जैसे शब्द निकलने के पूर्व अनुमति मांग रहे हो ऐसा लग रहा था।

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