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साम्राज्यवादी लुटेरे, युद्धोन्मादी और प्रभुत्वकारी बन गए हैं “बुराई की धुरी”

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मुनेश त्यागी

     आज दुनिया जैसे तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। दुनिया की तमाम पूंजीवादी ताकतें एकजुट हो गई हैं और वे पूरी दुनिया को हथियारों, युद्ध और जन विरोधी प्रभुत्वकारी नीतियों के माध्यम से अपने प्रभुत्व में लेना चाहती हैं ताकि वे दुनिया के मजदूरों, किसानों और पूरी जनता के साथ शोषण, जुल्म और अन्याय कर सकें और अपने मुनाफे की तिजोरियां भरते रहे। अपने मुनाफों को बढ़ाने और बरकरार रखने के लिए ये लुटेरी साम्राज्यवादी ताकतें दुनिया के तमाम देशों पर और दुनिया के समस्त प्राकृतिक संसाधनों पर अपना कब्जा करना चाहती हैं। इन वैश्विक लुटेरी, युद्धोन्मादी, हमलावर और शोषणकारी ताकतों में अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जापान मुख्य रूप से शामिल हैं।

      इन तमाम देशों ने एक सैनिक संगठन बना लिया है जिसका नाम नाटो है और इसका नेतृत्व दुनिया का सबसे बड़ा लुटेरा मुल्क अमेरिका कर रहा है। पहले यह ताकतें इराक, लीबिया, क्यूबा और नॉर्थ कोरिया को बुराई की धुरी कहते थे, मगर अब ये पूरी दुनिया के सबसे बड़े लुटेरे पूंजीपति, रूस, चीन, ईरान, नॉर्थ कोरिया, और क्यूबा को “बुराई की धुरी” बताने लगे हैं क्योंकि ये देश इन पूंजीवादी ताकतों की वैश्विक प्रभुत्वकारी मुहिम में रुकावट बन रहे हैं।

      आज हम देख रहे हैं कि दुनिया के इन लुटेरे पूंजीवादी देशों ने दुनिया की पुराने समाजवादी मुल्क रुस और वर्तमान समाजवादी देशों का अपने हिसाब से कार्य करना जैसे बेहद कठिन बना दिया है। ये ताकतें पिछले लगभग पौने दो सौ साल से समाजवादी विचारों से बुरी तरह से डरी हुई हैं और आज तो ये तमाम ताकतें और भी ज्यादा खौफजदा हो गई हैं। इन तमाम पूंजीवादी देशों के शासक वर्ग को डर लगता है कि समाजवादी व्यवस्था ही उनकी पूंजीवादी लूट और शासन का खात्मा कर सकती है। इसलिए दुनिया की पूंजीवादी लुटेरी ताकतें चाहती हैं कि दुनिया में उनको या उनकी विचारधारा को चुनौती देने वाली कोई समाजवादी ताकत ना रहे और वे अपने इन्हीं इरादों के तहत पूरी दुनिया में अपना एकछत्र राज्य कायम करना चाहती हैं, अपनी लुटेरी व्यवस्था कायम करना चाहती हैं, पूरी दुनिया की जनता को गुलाम बनाना चाहते हैं और पूरी दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों पर अपना पूरा नियंत्रण चाहते हैं।

      अपनी इन्हीं नीतियों को बनाए रखने के लिए और उन्हें और भी ज्यादा तेज गति से लागू करने के लिए, ये देश नहीं चाहते हैं कि दुनिया में कोई मुल्क समाजवादी विचारों के तहत काम करें। तो अब ये तमाम ताकतें पूरी दुनिया से समाजवादी विचारों और समाजवादी व्यवस्था का खात्मा करना चाहती हैं और पूरी दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना चाहती हैं। अपने इन्हीं नीतियों को लागू करने के लिए ये शोषक ताकतें, दुनिया के पुराने समाजवादी मुल्क जैसे वर्तमान रूस और वर्तमान समाजवादी देशों को, वहां की, कल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था को तहस-नहस करना चाहती हैं और उन देशों पर अपना पूरा और बेरोकटोक कब्जा करना चाहती हैं।  

         इसी मनसा के तहत ये ताकतें यूक्रेन के बहाने रूस पर कब्जा करना चाहती हैं, उसको तोड़ना चाहती हैं ताकि रूस को खंड-खंड करके उसके प्राकृतिक संसाधनों जैसे बिजली, कोयला, पानी, तेल, सोना, चांदी, गैस आदि पर कब्जा किया जा सके। अपनी इसी नीति के तहत इन्होंने रूस से समझौते किए जिसमें यूक्रेन को एक न्यूट्रल स्टेट बनाने की बात कही गई थी और जिसमें यह तय हुआ था की नाटो यूक्रेन को अपना सदस्य नहीं बनाएगा, मगर नाटो के देशों ने इस समझौते का पालन नहीं किया और यूक्रेन में अपनी प्रभुत्वकारी विभाजनकारी और युद्धोन्मादी नीतियों को लागू करते रहे, और रूस की गर्दन पर बंदूक तान दी, जिसका नतीजा आज हम रूस और यूक्रेन युद्ध के रूप में हम देख रहे हैं।

     इस रूस और यूक्रेन युद्ध के लिए केवल और केवल नाटो के देश और अमेरिका जिम्मेदार हैं। ये तमाम देश मिलकर ही आज यूक्रेन को हथियार और पैसा दे रहे हैं। इन्होंने वहां अपने हथियार जमा कर रखे हैं और अब इन हथियारों का इस्तेमाल रूस के खिलाफ किया जाने लगा है जिसे लेकर रूस इन तमाम देशों को लगातार चेतावनी दे रहा है, मगर ये चेतावनियां लगभग बेकार जा रही हैं। यह युद्ध सिर्फ और सिर्फ यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए किया जा रहा है ताकि भविष्य में दुनिया की सारी लुटेरे ताकतें मिलकर रूस पर हमला कर सकें, उसे अपने कब्जे में ले सकें और उसके तमाम प्रकार प्राकृतिक संसाधनों तेल, कोयला, गैस, बिजली, लोहा, सोना चांदी आदि पर कब्जा किया जा सके।

       ये तमाम ताकतें दुनिया के दूसरे समाजवादी मुल्कों जैसे चीन, नॉर्थ कोरिया और क्यूबा के साथ भी यही आक्रामक और हमलावर तौर तरीके अपनाए हुए हैं, दुनिया के कई तटस्थ देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं। पश्चिमी एशिया के तेल उत्पादक देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए इजराइल को तमाम तरह के हथियारों से लैस करना और फिलीस्तीनियों के जनसंहार में इजरायल को अमेरिका और नाटो देशों द्वारा हथियारों की सप्लाई की जा रही है। अमेरिका ताइवान और चीन में भी युद्ध भड़काने की कोशिश कर रहा है। पूर्वी एशिया के कई देशों जैसे फिलिपींस, ऑस्ट्रेलिया और जापान को मिलाकर अमेरिका, चीन के खिलाफ खेमेबंदी कर रहा है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में अपने सैनिक अड्डे कायम कर रहा है। इसी तरह की धमकियां उत्तरी कोरिया और क्यूबा को लगातार दी जा रही हैं। क्यूबा पर तो अमेरिका की तमाम तरह की आर्थिक नाकेबंदी जारी है और यूनाइटेड नेशंस के प्रस्तावों के बाद भी इन आर्थिक प्रतिबद्धों को खत्म नहीं किया जा रहा है।

      यूक्रेन युद्ध ने जैसे समाजवादी ताकतों को एक मौका दिया है और वे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट हो रही हैं। इस युद्ध के चलते रूस, चीन और ईरान ने अपना एक संयुक्त गठबंधन बना लिया है जो नाटो और अमेरिका की आंखों में चुभ रहा है। यह दुनिया के कल्याण के लिए ही होगा कि दुनिया की तमाम समाजवादी ताकतें एकजुट होकर पूरी दुनिया की जनता को, इन लुटेरी पूंजीवादी, युद्धोन्मादी और प्रभुत्वकारी देशों की जनविरोधी नीतियों के बारे में बताएं, वहां की जनता को जागृत करें और पूरी दुनिया को लूटने वाली, इन तमाम ताकतों के खिलाफ एकजुट करें, तभी जाकर इस दुनिया को पूंजीवादी विभीषिका से और मुनाफाखोरी की मुहिम से बचाया जा सकता है।

     इस यूक्रेन युद्ध ने रूस और चीन को अपने अस्तित्व को बचाने का एक मौका दिया है। अब रूस चीन और ईरान मिलकर एक शक्ति बन गए हैं जो दुनिया पर कब्जा करने की चाहत रखने वाले अमेरिका और नाटो देशों की विश्व-प्रभुत्वकारी मुहिम को रोक सकते हैं। रूस, चीन और ईरान का गठबंधन, सच में दुनिया के हित में है। यही दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की विनाशकारी लीला से बचा सकता है और दुनिया को पूंजीवादी साम्राज्यवादियों का गुलाम होने से बचा सकता है।

       पहले ये लुटेरी ताकतें इराक, लीबिया, उत्तरी कोरिया और क्यूबा को “बुराई की धुरी” यानी “एक्सिस का इविल” बताया करती थी। मगर आज दुनिया की इन युद्धोन्मादी देशों की प्रभुत्वकारी मुहिम से हम देख रहे हैं कि ये तमाम यूध्दोन्मादी, प्रभुत्वकारी, लुटेरी साम्राज्यवादी ताकतें दुनिया की कल्याणकारी समाजवादी व्यवस्था से भयंकर रूप से डरी हुई है और ये उन्हें किसी भी तरह से शांति और समुचित रूप से काम नहीं करने देना चाहतीं, जैसे उन्हें चारों तरफ से घर कर उनका खात्मा कर देना चाहती हैं।

      समय की विडंबना देखिए कि जो पूंजीवादी ताकतें पहले दुनिया की समाजवादी ताकतों को बुराई की धुरी बताती थीं, वे अपनी दुनिया को हड़पने की नीतियों के कारण, पूरी दुनिया को अपने कब्जे में करने के कारण, पूरी दुनिया पर अपना प्रभुत्व कायम करने की कारण और पूरी दुनिया में अपना एकछत्र राज्य कायम करने के कारण और पूरी दुनिया को युद्ध की विभीषिका में झोंक देने के कारण, खुद ही “बुराई की धूरी” यानी “एक्सिस का इविल” बन गई हैं। अब यह दुनिया की सारी जनता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी बन गई है कि वह एकजुट होकर, अपने तमाम मतभेद भुलाकर, इन विश्व विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट हों ताकि दुनिया में बिना किसी रोक-टोक और बाधा के अमन, भाईचारे और जनता के विकास की बयार बह सके।

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