अग्नि आलोक
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बदलाव

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बरसती बारिश की तरह
बरस मत जाना।
रंगो के साथ खेलते हुए
मोहब्बत के रंग
रंग मत जाना।
जिस्म की चाहत में
रूह से मोहब्बत
कर न बैठना।
दिल्लगी करते-करते
कही दिलदार
बन न बैठना।
आबाद करते हुए
लोगो को इश्क़ में
खुद महोब्बत में
बर्बाद न हो जाना।

डॉ.राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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