कैलाश रावत
9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर विशेष।
गुलामी कि वजह हमारा डर सारा खेल डर का
जब तक बात तय नहीं हुई पूरी कांग्रेस की वर्किंग कमेटी सरदार पटेल को छोड़कर गांधी जी से सहमत नहीं थी
मुंबई में 9 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक तिथि गांधीजी अपने विचारों पर अडिग थे 8 अगस्त को सोशलिस्ट पार्टी के नेता डॉ राम मनोहर लोहिया रामानंद मिश्रा युसूफ मेहर अली साने गुरुजी आचार्य नरेंद्र देव रामसेवक यादव अरूणा आसिफ अली आदि गांधी जी से मिलने पहुंचे गांधी जी के पास सरदार पटेल बैठे हुए थे गांधीजी ने डॉ राम मनोहर लोहिया से कहा क्या आप सरदार पटेल के रहते बातचीत करने के लिए तैयार हैं लोहिया जी ने और समाजवादी नेताओं ने एक स्वर में कहा आज की तारीख में गांधी जी आप और सरदार पटेल हमारे नेता है सरदार पटेल के साथ बातचीत में कोई दिक्कत नहीं है चर्चा की बात अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन पर सहमति बनी गांधीजी ने समाजवादी नेताओं से कहा आप लोग भूमिगत हो जाइए स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व आपको करना है कल 9 अगस्त को वर्किंग कमेटी की मीटिंग के बाद सभा आयोजित होगी उसमें शायद सभी कांग्रेसी नेता गिरफ्तार कर लिए जाएं वर्किंग कमेटी की मीटिंग में तय हुआ अंग्रेजों को ना पाई ना भाई कुछ भी मत दो
कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं ने यह तय कर लिया था की भूमिगत रहते हुए भारत छोड़ो आंदोलन को सफल बनाएंगे डॉ राम मनोहर लोहिया पटवर्धन अरूणा आसफ अली युसूफ मेहर अली एसएम जोशी मधुलिमय बसावन सिंह सूरज भान सिंह रामवृक्ष बेनीपुरी अशोक मेहता रामानंद मिश्रा बालकृष्ण केसकर मामा बालेश्वर दयाल राजा राम शास्त्री जैसे नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया
अंग्रेज भारत छोड़ो करो या मरो आंदोलन की घोषणा होते ही दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई वीर सावरकर जी ने हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं को आंदोलन से दूर रहने की सलाह दी इसी प्रकार मोहम्मद अली जिन्ना ने अंग्रेज भारत छोड़ो आंदोलन को मुसलमानों की सुरक्षा के लिए खतरा बताया उन्होंने मुसलमानों को भी आंदोलन से दूर रहने की सलाह दी
अंग्रेज भारत छोड़ो 9 अगस्त 1942 के आंदोलन में महात्मा गांधी सहित कांग्रेसी नेताओं की भूमिका को चाहिए लेकिन उस समय कांग्रेसमें सोशलिस्ट नेताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी उन्होंने ही आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया और झंडा भी नेताओं ने फैरा दिया अंग्रेज देखते रह गए
मुंबई में निर्धारित समय पर वर्किंग कमेटी की मीटिंग के बाद सभा का आयोजन हुआ सभी कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार किया गया उसी दरमियान सोशलिस्ट नेता अरूणा आसफ अली ने भारत का राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज फहरा दिया 9 अगस्त को ही भारत देश आजाद हो गया इसे अंग्रेजों ने भी मन में स्वीकारा
9 अगस्त को जन क्रांति के 78वर्ष पूरे हो चुके हैं इस बीच कई पीढ़ी जवान हुई आजादी के बाद की पीढ़ी सोचे समझे क्रांति में किस की क्या भूमिका थी कौन था इसके साथ और इसने कि मुखालफत इन सवालों पर खुली खुली बहस वेवाक बहस जरूरी है
राष्ट्रवाद के नाम पर झूठी फसल कोई और काटी जा रही है एक ऐसा इतिहास गड़ा जा रहा है जिसकी भूमका ही नहीं थी तव
वर्तमान राजनीतिक परिवेश में संघर्ष की भूमिका गौण हो गई है राजनीतिक दल सत्ता में आने के लिए चौसर खेलने के आदी हो गए हैं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरदार भगत सिंह सरदार डॉ राम मनोहर लोहिया लोकनायक जयप्रकाश नारायण आचार्य नरेंद्र देव अरुणा आसिफ अली अली ने आजादी के आंदोलन का सफलतापूर्वक संचालन किया 22 मई तक भूमिगत रहकर आंदोलन चलाने के बाद डॉ राम मनोहर लोहिया को मुंबई से 10 मई 1944 को गिरफ्तार कर लाहौर जेल आगरा जेल में रखा गया डॉ राम मनोहर लोहिया 2 साल तक कैद रहे उनके पिताजी का निधन हो गया डॉक्टर लोहिया जेल से बाहर पैरोल पर आने के लिए तैयार नहीं हुए सितंबर 1943 में जयप्रकाश नारायण को रेलवे में सफर के दौरान पंजाब में गिरफ्तार कर लिया गया जेल में मानसिक यातनाएं दी गई जनवरी 1945 में उन्हें लाहौर जेल से आगरा जेल में स्थानांतरण कर दिया गया
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ब्रिटिश हुकूमत से साफ कहा कि डॉ लोहिया और जयप्रकाश नारायण की बिना शर्त रिहाई के बाद ही बातचीत प्रारंभ होगी तब जाकर 1946 में दोनों सोशलिस्ट क्रांतिकारी नेताओं को रिहा किया गया
अगस्त क्रांति के अवसर पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण की हजारीबाग जेल से भागने की घटना का उल्लेख करना जरूरी है यहां जयप्रकाश नारायण ने अपने साथियों के साथ भागने की योजना बनाई और नवंबर 1942 में जब जेल के सभी गाइड दीपावली मनाने में व्यस्त थे उसे अमलीजामा पहनाकर जयप्रकाश नारायण अपने साथियों के साथ हजारीबाग जेल से फरार होने में सफल हो गए इस घटना ने उन्हें नौजवानों का नायक बना दिया
गुलामी की वजह हमारा डर
डर भाई आतंक का असर 200 साल की गुलामी की सबसे बड़ी वजह रही
हमारा डर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी डॉ राम मनोहर लोहिया लोकनायक जयप्रकाश नारायण डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने हमारे डर को खत्म कर दिया हमें बेखौफ बनाया भारतीय विदेशी हुकूमत के सामने सीना तान कर खड़े हो गए नतीजा हमने गुलामी का जुआ उतार फेंका और आजादी हासिल की सारा खेल डर का था
आज देश में डर का माहौल बनाया जाता है मनाया जा रहा है सामंतवादी सोच सामंतवादी विचारधारा इसमें राजनीतिक दल भी शामिल हैं मुल्क में डर का खेल शुरू हो गया है लोगों में डर पैदा किया जा रहा है चारों तरफ भाई आतंक का वातावरण बनाए जा रहा है भाई आतंक का वातावरण बनाने में कामयाब भी हो रहे है
लोगों ने डर के कारण बोलना बंद कर दिया है यदि कोई बोलने की हिम्मत करता है तो उसे सुनना भी बंद कर दिया है हम बोलने सुनने को लेकर बेकार की बातें समझने लगे हैं लोकतंत्र में बहस और संवाद होना चाहिए सवाल जवाब अपनी बात कहने की आजादी सत्ता और अवस्था दोनों के निशानों पर जनता होती है जनता पर बेहद शातिराना अंदाज में उस पर नकेल कसने की कोशिश जारी है
70 वर्ष तक कांग्रेस का शासन रहा उसने भी सच्चाई नहीं आने दी कि सोशलिस्ट समाजवादी नेताओं ने आजादी के आंदोलन में क्या भूमिका निभाई सब कुछ जवाहरलाल नेहरू इंदिरा राजीव संजय गांधी और राहुल गांधी ही किए हैं
साथियों यहां भी अन्याय अत्याचार और मोड़ इंतजाम जहां नजर आए उसके खिलाफ बोलने का साहस कीजिए
विरोध कीजिए उसके खिलाफ बोलिए अगर कोई बोलने का साहस कर रहा है तो उसको सुनिए सवाल पूछे सवाल पूछने से डर खत्म होता है अपनी आजादी को कायम करने का सवाल सही प्राप्त होगा और डर खत्म होगा
अब सवाल उठता है क्या आप अपने पीछे डरा हुआ समाज छोड़कर जाना चाहते हैं अभी वक्त है अन्याय के खिलाफ लड़ाई डर खत्म कीजिए
राजनीति अनंत जिजीविषा का नाम है बह कभी बुढाती नहीं है राजनीति अंततः यौवना है उसका समापन श्मशान घाट पर ही होता है डर से लड़ाई लडिये
कैलाश रावत
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