जब आप शुद्ध खाना खाना चाहते हैं और अपने परिवार को गंभीर बीमारियों के जोखिम से बचाना चाहते हैं, तब बुजुर्गों का वह तरीका ज्यादा फायदेमंद महसूस होता है, जिसमें वे बाजार से मसाले खरीदने की बजाए, उन्हें उनके कच्चेपन या विशुद्ध रूप में इस्तेमाल करते थे। कच्ची हल्दी भी ऐसा ही फायदेमंद मसाला है।
हल्दी ने पीढ़ियों से हमारी रसोई की मसालेदानी का बीच वाला हिस्सा रिजर्व कर रखा है। इसके गुणों का बखान हमारी नानी, दादी और मां हमारे सामने बचपन से करती आई हैं। सर्दी-खांसी-जुकाम या मामूली चोटों पर हल्दी वाले नुस्खे आजमाए भी हैं। जब चोट लगी तो हल्दी वाला दूध दिया, जुकाम में हल्दी का काढ़ा और ऐसी ही जाने कितनी समस्याओं के लिए हल्दी को चुना गया। पाउडर वाली हल्दी के उपयोग से तो सब परिचित हैं ही, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कच्ची हल्दी इस पाउडर वाली हल्दी से भी ज्यादा गुणवान है! अगर नहीं, तो हेल्थ शॉट्स के इस आलेख को अंत तक पढ़िए, जहां हम कच्ची हल्दी के कुछ और फायदों के बारे में बात कर रहे हैं।
कच्ची हल्दी, जिसे हल्दी की जड़ (Turmeric root) भी कहते हैं, कम प्रोसेस्ड होती है और इसलिए ज्यादा फायदेमंद होती है। यह अदरक जैसी दिखती है और इसे कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्यों हल्दी पाउडर से ज्यादा फायदेमंद है कच्ची हल्दी
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में चीफ डायटिशियन प्रिया पालीवाल, कहती हैं कि “आयुर्वेद के अनुसार, दिन की शुरुआत खाली पेट कच्ची हल्दी के एक छोटे टुकड़े को पानी के साथ लेने से इसकी एंटीमाइक्रोबियल विशेषताएं इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।
डाइजेशन में सुधार होता है और पेट फूलने तथा गैस की समस्या कम होती है। इसमें मौजूद कर्क्यूमिन से सूजन कम होती है और नियमित सेवन से गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है। यह ब्लड वेसल्स के कार्य को बेहतर बनाकर हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
वजन घटाने में मददगार है कच्ची हल्दी
इसे वजन घटाने में भी सहायक माना जाता है क्योंकि इसमें मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट करके सेल्स की रक्षा करता है। जिसे आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर और वजन कम होता है साथ ही यह आपकी त्वचा की चमक को बनाए रखने में मदद करता है, इसलिये इसका उपयोग आप फेस पैक बनाने में भी कर सकते हैं।
कैंसर पर कच्ची हल्दी का असर
डॉ. देबाशीष चौधरी, सीनियर कंसल्टेंट एंड क्लिनिकल लीड, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के अनुसार “कर्क्यूमिन कैंसर को रोकने, उसके फैलाव को धीमा करने, और कैंसर सेल्स को नष्ट करने में भी प्रभावी हो सकता है। कीमोथैरेपी को अधिक प्रभावी बनाने और रेडिएशन द्वारा हल्दी सेल्स को क्षति से बचाने में मदद कर सकता है। कच्ची हल्दी का सेवन खासकर ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलन और त्वचा कैंसर के मामलों में फायदेमंद साबित हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर भी है असरदार
पबमेड सेंट्रल में 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ता है, जो मस्तिष्क सेल्स को नुकसान पहुंचाने से रोकता है और अवसाद तथा चिंता के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है। मस्तिष्क में बीडीएनएफ (ब्रेन-डेरिव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर) के स्तर को बढ़ा सकता है, जो सोचने, समझने, सीखने, याद रखने और समस्या हल करने की क्षमताओ को बेहतर बनाता है।