अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

बौद्ध धम्म चेतना यात्रा पर प्रधानमंत्री कार्यालय से निगरानी

Share

एक बौद्ध भिक्षु के नेतृत्व में समूचे उत्तर प्रदेश में धम्म चेतना यात्रा पर सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से निगरानी रखी जा रही है। बौद्धों के एक समूह के साथ एक वरिष्ठ भिक्षु भी यात्रा कर रहे हैं जो दरअसल उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेशवाहक के तौर पर हैं और 2017 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर दलितों को आकर्षित करने की कोशिश में हैं। हो सकता है कि इससे अभी तक लक्षित वोटरों के भीतर हलचल नहीं मची हो, लेकिन उनकी यात्रा ने उनके समुदाय में काफी रोष पैदा कर दिया है।

इलाके में बौद्ध मत के तीन सबसे अहम केंद्र गया, सारनाथ और कुशीनगर के प्रतिष्ठित भिक्षुओं के बीच इस बात पर रोष है और उन्होंने सतहत्तर वर्षीय भंते धम्म विरियो को समाज-च्युत कहा है। उन्होंने कहा है कि विरियो के नेतृत्व में यह अभियान दरअसल बुद्धिज्म को उसके जन्मभूमि में ही बदनाम करने के लिए एक ब्राह्मणवादी साजिश का हिस्सा है।

​दरअसल, धम्म विरियो के नेतृत्व में धम्म चेतना यात्रा पर सीधे-सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय की निगरानी है। चौबीस अप्रैल को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाई। अभियान की रूपरेखा के मुताबिक अगले छह महीनों से ज्यादा तक उत्तर प्रदेश में दलित बस्तियों और बौद्ध केंद्रों में बौद्ध मत और आंबेडकर पर मोदी के विचारों का प्रचार किया जाएगा।
एक विवादास्पद संदेशवाहक

​बौद्ध भिक्षुओं के अखिल भारतीय भिक्खु संघ के महासचिव भंते प्रज्ञादीप कहते हैं- ‘यह मानना बेवकूफी भरा है कि धम्म विरियो जो कर रहे हैं, उससे बुद्धिज्म की छवि पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ दमित तबकों के बीच बुद्धिज्म के प्रति बहुत ज्यादा सम्मान है। मुझे नहीं पता कि वे उत्तर प्रदेश में मोदी के दलित वोट जुटाने में कामयाब होंगे या नहीं, लेकिन इतना जानता हूं कि वे बुद्धिज्म का नाम खराब करेंगे।’

2004 के शुरुआत में तकरीबन एक दशक तक धम्म विरियो भिक्खु संघ के महासचिव रहे। 2011 में संस्कृति मंत्रालय ने अनुदान के दुरुपयोग और संगठन के खातों में गड़बड़ी के एवज उन्हें फाइन किया था। प्रज्ञादीप कहते हैं- ‘2013 में एक तरह से उन्हें जबरन पद से हटा दिया गया था।’ धम्म विरियो पर इससे पहले भी धन की गड़बड़ी के गंभीर आरोप लग चुके थे और एक पुलिस के बाद वे लगभग एक महीने तक जेल में रहे। इस बीच वे राष्ट्रीय जनता दल की ओर से राज्यसभा में भी गए, लेकिन थोड़े ही वक्त के बाद बगावत करके समांतर राजनीति करने के एवज राजद ने उन्हें एक्सपेल्ड कर दिया।

कुछ महीने पहले मोदी से मिले थे और अब वे उनके हाथों में खेल रहे हैं, इस बात से अनजान कि उनके इस कृत्य से बुद्धिज्म को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं। दरअसल, वे भारत में सदियों से बुद्धिज्म के खिलाफ चल रहे ब्राह्मणवादी साजिश का हिस्सा बन चुके हैं।

​वहीं चंद्रिमा ने धम्म विरियो को बलात्कार के आरोपी और जेल में बंद आसाराम बापू से भी जोड़ा- ‘हर धर्म के अपने आसाराम बापू होते हैं। यह आदमी जो बौद्ध परदे में यात्रा कर रहा है, यह हमारा है। उसे सभी जानते हैं और उस पर कोई विश्वास नहीं करेगा।’

फिर भी, धम्म चेतना यात्रा जारी है और यह उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुजर चुका है। इस यात्रा के मुख्य संयोजक कहते हैं- ‘इस यात्रा के पूरा होने के मौके पर संभवतः 14 अक्तूबर को एक रैली को संबोधित करेंगे। उसी दिन आंबेडकर ने बुद्ध धर्म अपना लिया था।’ लेकिन कुशीनगर में धम्म आौर कुछ करने के बाद तो..!

​अंदाजा लगाया जा सकता है कि वोटों की राजनीति आस्था और धर्म का भी कैसे कारोबार कर लेती है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें