अग्नि आलोक
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भगवती वंदना

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मां भगवती सदैव आपकी शरण रहूँ
भले दुखों का प्रहार हो
भले सुखों की बाहर हो।
मां भगवती सदैव आपकी चरणवन्दना करुँ
भले लोग मेरे खिलाफ़ हो
भले लोग मेरे साथ हो।
मां भगवती सदैव आपका चिंतन मनन करुँ
भले नर्क की यातना झेलू
भले स्वर्ग के आमोद-प्रमोद में रहूँ।
मां भगवती सदैव आपके उन्माद में रहूँ।
भले मुझ में सिद्धि वास करें
भले मुझ में रिद्धि उल्लास करें।

डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक)
पता-गांव जनयानकड़
पिन कोड -176038
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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