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पंथक गलियारों में एक बार फिर हलचल:सुखबीर बादल के नेतृत्व पर सवाल

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जगदीप सिंह सिंधु 

पंजाब के पंथक गलियारों में एक बार फिर बड़ी हलचल है। हाल ही में सिख पंथ के सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहेब से पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल सहित अकाली दल के कई नेताओं को अकाली सरकार के कार्यकाल में कुछ घटनाओं में पंथ की मर्यादयों और परम्पराओं का निर्वहन न करने का दोषी करार दिया गया।

इसके लिए पंथ के असूलों के अनुसार धार्मिक सजा दी गई। सिख पंथ के पांचों पवित्र तख़्त साहेब के सभी जत्थेदार साहेबान ने आपसी विचार-विमर्श के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के ऐतिहासिक फ़सील से इस सजा का ऐलान किया था।

सिख संगत के कुछ पक्षों ने इस सजा को लेकर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रिया भी व्यक्त की थी जिसमें मुख्यत: सजा नर्म या सख्त की श्रेणी में बांटी गई थी। इसी सजा का निर्वहन करते हुए सुखबीर सिंह बादल पर दरबार साहिब अमृतसर में एक जानलेवा हमले की कोशिश भी हुई थी।

लम्बे समय से लंबित मामला डेरा सच्चा सौदा के मुखिया द्वारा गुरु गोबिंद की पोशाक पहन कर पवित्र अमृत जल बनाने और उसका प्रसाद वितरित करने और गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में सच्चा सौदा के मुखिया के लिप्त होने पर श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई सजा को अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बादल द्वारा माफ करवाने के संबंध में है।

अब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसके कुछ अंश में श्री अकाल तख्त के पूर्व कार्यकारी ज्ञानी जत्थेदार हरप्रीत सिंह के तल्खी भरे संवाद हैं। विवाद तब और बढ़ गया जब पूर्व अकाली दल के नेता विरसा सिंह वल्टोहा ने सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाये कि जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा एक बैठक के दौरान अपशब्दों का प्रयोग किया गया है।

यह सारा मामला उस समय का बताया जा रहा है जब अकाली दल के नेताओं को अपना पक्ष रखने के लिए अकाल तख़्त साहेब पर तलब किया गया था।

अकाली दल के पूर्व नेता विरसा सिंह वल्टोहा ने पहले भी ज्ञानी हरप्रीत पर आरोप लगाए थे। जब सिंह साहिबान ने अकाली दल को विरसा सिंह वल्टोहा को 10 साल के लिए अकाली दल से निष्कासित करने के आदेश जारी किया गया था।

उसके बाद विरसा सिंह वल्टोहा के द्वारा ज्ञानी हरप्रीत के चरित्र हनन करने के प्रयासों से क्षुब्ध होकर ज्ञानी हरप्रीत ने तख्त जत्थेदार दमदमा साहिब के दायित्व से अपना त्यागपत्र शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सौंप दिया।

पंथक हलकों में इसे पंजाब की सियासत से जोड़ कर भी देखा जाने लगा है। ज्ञानी हरप्रीत पर भाजपा और संघ के प्रति झुकाव रखने के आरोप भी लगाए गए हैं। माना जाता है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी में बादल गुट का बाहुल्य है।

सितंबर 2024 में अकाल तख़्त के पांच सिंह साहेबान ने सुखबीर सिंह बादल को 2007 से 2017 के बीच अकाली दल अध्यक्ष और उप-मुख्यमंत्री रहते हुए की गई गलितयों के कारण एक सर्वसम्मत फैसले के बाद तनखैया करार दे दिया था। सिख धर्म में धार्मिक नियमों और मर्यादाओं का पालन न करने की गलती के दोषी को तनखैया घोषित किया जाता है।

हाल ही में पंजाब में हुए चार उपचुनावों में अकाली दल ने अपने अध्यक्ष के तनखैया होने के चलते कोई हिस्सा नहीं लिया था। सिख पंथ को मानने वालों का एक बड़ा समुदाय अकाली दल का परंपरागत समर्थक रहा है।

2024 के लोक सभा चुनाव में दो सांसद अमृतपाल सिंह खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से और फरीदकोट सीट से सर्वजीत सिंह खालसा ने जीत प्राप्त की जो माना जाता है कि बेअदबी मामले में इंसाफ न किए जाने के चलते नाराज पंथक भावना के कारण मिली है।

2018 में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के त्यागपत्र देने के बाद जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्री अकाल तख्त का कार्यकारी जत्थेदार बनाया गया था। जून 2023 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ज्ञानी रघुबीर सिंह को अकाल तख्त के नए जत्थेदार के तौर पर नियुक्त कर दिया था।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह 2017 में तख्त दमदमा साहिब तलवंडी साबो के जत्थेदार के पद पर नियुक्त हुए थे। ज्ञानी हरप्रीत सिंह कुरान और गुरु ग्रंथ साहेब के तुलनात्मक अध्ययन में पंजाबी विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त विद्वान हैं। 1998 से 2017 तक दरबार साहिब मुक्तसर साहिब की मुख्य ग्रंथी भी रहे हैं।

अकाली दल के बादल गुट से ज्ञानी हरप्रीत सिंह की नाराजगी तब बढ़ने के संकेत मिले जब सितंबर 2020 में श्री अकाल तख्त के कार्यकारी जत्थेदार रहते हुए ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने शिरोमाणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोविन्द सिंह के साथ अन्य सदस्यों को प्रकाशन विभाग में हुयी अनियमितताओं की जांच करने में असफल रहने पर सार्वजनिक रूप से अनुशासित करने के निर्देश जारी किये थे।

गुरुग्रंथ साहेब के 328 स्वरूप के गुम हो जाने के मामले की जांच पड़ताल का मुद्दा पंजाब में बेअदबी मामले से जुड़ा हुआ है। जून 2023 में अकाली दल बाहुल्य शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी ने जल्दबाजी में एक बैठक बुला कर ज्ञानी हरप्रीत सिंह जो 5 साल से श्री अकाल तख्त का कार्यभार संभाल रहे थे को हटा कर श्री केस गढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह को नया जत्थेदार नियुक कर दिया।

वर्तमान में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी पर अकाली दल नेता बीबी जागीर कौर के लिए कहे गए अपशब्दों को लेकर पंजाब महिला आयोग ने मामला दर्ज किया है।

लोकसभा चुनावों में पंजाब में अकाली दल को मिली बड़ी हार पर पंथक राजनीति में सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर सवाल उठे हैं। पार्टी के भीतर ही सुधार लहर ने जोर पकड़ा और नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठा कर कई बड़े अकाली नेता एक जुट हो गए हैं।

सुधार लहर के नेताओं का कहना है कि अकाली दल की राजनीतिक ताकत सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में कमजोर हुई है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी अकाली दल की राजनीति को फिर से मजबूत करने के लिए आवश्यक सुधार करने के अपने विचार को सार्वजनिक तौर पर प्रकट किया था।

सुखबीर सिंह बादल पार्टी और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में वर्चस्व बनाए रखने की जद्दोजहद में लगे हैं। पंजाब प्रदेश में आम आदमी पार्टी की राजनीति के मध्य पंथक राजनीतिक ताकत और अकाली दल अपने राजनीतिक भविष्य को तलाशने में लगे हैं।

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