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सिंधिया बड़ा बदलाव न करा पाएं इसलिए सूची रातोरात फाइनल की; और ‘कास्ट एडजस्टमेंट’ लिस्ट जारी हो गई

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मध्यप्रदेश BJP में बंद कमरों की सियासी बैठकों के बाद कार्यसमिति सूची को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। सवाल ये उठ रहा है कि ये सूची बाहर कैसे आई। बताया जा रहा है कि लिस्ट इंटरनल एनालिसिस के लिए बनाई गई थी। इसी में जाति का उल्लेख था। संभवत: गलती से सूची पब्लिश हो गई। जैसे ही विवाद हुआ तो तुरंत हटा भी ली गई। यह सूची बिना लैटर हैड और बिना किसी के हस्ताक्षर की थी। इसके पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया का दौरा भी महत्वपूर्ण वजह मानी जा रही है, क्योंकि वह बुधवार सुबह भोपाल आ रहे थे। उनके आने के पहले एकाएक यह सूची जारी कर दी गई ताकि बाद में कोई फेरबदल वाली स्थिति न बन पाए। इसी जल्दबाजी में यह गड़बड़ हो गई।

रात में एक घंटे बाद ही कुछ कॉलम हटाकर इसे आधिकारिक तौर पर भाजपा के लैटर हैड पर और कार्यालय मंत्री के हस्ताक्षर के साथ पब्लिश किया गया। पार्टी में इसे बड़ी चूक माना जा रहा है। इसके अलावा उमा भारती जैसी सीनियर नेता का नाम नहीं होना और नोटिस मिलने के बाद भी जयंत मलैया का नाम शामिल होने से भी सवाल खड़े हो गए हैं।

पार्टी में इसे सिर्फ चूक माना जा रहा है। यही वजह है, एक घंटे बाद ही लेटर हैड पर कार्यालय मंत्री के हस्ताक्षर से सूची जारी की गई, लेकिन इस सूची में कई नेताओं की जाति गलत होने के कारण विवाद की स्थिति बन गई थी। अब जाति शब्द हटाने का श्रेय कांग्रेस खुद ले रही है।

कांग्रेस ने कहा है, आखिरकार कांग्रेस की आपत्ति के बाद भाजपा ने गलती सुधारी। पदाधिकारियों के नाम के आगे से जाति वर्ग का उल्लेख हटाया। बस, प्रदेश में भाजपा को वापस सत्ता में लाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम भी शामिल कर लेते और त्रुटि सुधार लेते।

उमा को शराब का विरोध करना भारी पड़ा

सूत्रों की मानें, तो उमा भारती मध्य प्रदेश के राजनैतिक परिदृश्य से बाहर करने के संकेत हैं? उन्होंने शराब दुकान खोले जाने को लेकर शिवराज का किया विरोध करते हुए छतरपुर से शराब बंदी का ऐलान तक कर दिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि यह उनके लिए भारी पड़ गया। उमा भारती के अलावा BJP के सीनियर नेता मेघराज जैन, कप्तान सिंह सोलंकी भी कार्यकारिणी में शामिल नहीं किए गए, लेकिन जयंत मलैया का नाम शामिल करना आश्चर्यजनक रहा। जयंत मलैया को नोटिस मिलने के बाद कार्य समिति में शामिल किया गया। इससे संकेत मिलते हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।

सिंधिया का नाम सूची में 7वें नंबर पर है, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते सहित BJP के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा, सत्यनारायण जटिया का नाम सूची में सिंधिया से नीचे है।

जाति शब्द हटाना कांग्रेस ने अपनी जीत बताया

सूत्रों की मानें, तो पहली बार BJP की कार्य समिति की सूची में नाम के साथ जाति का उल्लेख करने का ठोस आधार नहीं है। बताया जा रहा है, BJP में जब इस तरह की सूची तैयार होती है, तो जातीय समीकरण को ध्यान में रखा जाता है। जिस सूची में नाम के आगे जाति का उल्लेख था, वह मीडिया में जारी नहीं होनी थी।

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