दिल्ली/पटना
बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू को 31 जुलाई को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। इसके अलावा पार्टी में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पार्टी ने दिल्ली में 31 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यसमिति की मीटिंग बुलाई है।
अध्यक्ष पद की रेस में उपेंद्र कुशवाहा सबसे आगे
जेडीयू में बदलाव की हलचल तभी शुरू हो गयी थी, जब केंद्र सरकार में जेडीयू के शामिल होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह खुद मंत्री बन गये थे। उसके बाद एक व्यक्ति, एक पद का हवाला देकर पार्टी में नये अध्यक्ष की भी तलाश शुरू हो गयी थी। सूत्रों के अनुसार आरसीपी सिंह अगर अपने पद से हटते हैं तो उपेंद्र कुशवाहा इस पद की होड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय किया था।
उपेंद्र कुशवाहा को लेकर हिचकिचाहट भी है?
हालांकि जेडीयू में एक वर्ग है जिसका मानना है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी का शीर्ष पद दिया जाता है तो पुराने नेताओं के बीच संदेश अच्छा नहीं जाएगा। पिछले साल 27 दिसंबर को नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद आरसीपी सिंह इस पद पर नियुक्त हुए। तब नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के कमजोर प्रदर्शन की भी जिम्मेदारी ली और कहा कि वे सीएम की भी जिम्मेदारी के कारण पार्टी पर अधिक फोकस नहीं कर पा रहे थे।
जातीय जनगणना पर पास हो सकता है राजनीतिक प्रस्ताव
वहीं, 31 जुलाई को दिल्ली में होने वाली मीटिंग में नीतीश कुमार जातीय जनगणना की मांग को और प्रमुखता से उठा सकते हैं। इसके लिए वह पार्टी का राजनीतिक प्रस्ताव भी पास करेंगे। सूत्रों के अनुसार दिल्ली से जातीय जनगणना की मांग कर बड़ा राजनीतिक संदेश दे सकते हैं। दो दिन पहले नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा था कि पार्टी का मानना है कि जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए। केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए। दरअसल केंद्र सरकार ने कहा है कि इस बार जनगणना में जाति जनगणना शामिल नहीं होगी।