भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर सियासत पूरी तरह से गरमा गई है। इस वर्ग को अपने साथ जोड़कर उसका समर्थन हासिल करने के लिए अब कांग्रेस व भाजपा पूरी तरह से सक्रिय हो गई है। इस वर्ग की राजनीति को हवा देने का काम किया है बीते दिन ओबीसी महासभा द्वारा किए गए प्रदर्शन ने। इस मांग को लेकर जहां कांग्रेस ने इस वर्ग को अपना खुलकर समर्थन देने का एलान किया है तो वहीं भाजपा सरकार भी उनकी मांग की वकालात करने में पीछे नहीं है। दरअसल बीते डेढ़ दशक से मप्र में पिछड़ा वर्ग भाजपा के साथ खड़ा हुआ है, जिसकी वजह से प्रदेश में लगातार भाजपा को सरकार बनाने का मौका भी मिल रहा है। दरअसल इन सालों में भाजपा की जब भी सरकार बनी तो उसके मुखिया पिछड़ा वर्ग से ही बनते आ रहे हैं। फिर चाहे उमाभारती से लेकर शिवराज सिंह चौहान ही क्यों न हो। पिछड़े वर्ग के तमाम संगठन कई सालों से आबादी के हिसाब से प्रदेश में 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार भी इस मांग के समर्थन में है। 27 फीसदी आरक्षण की मांग में सबसे बड़ा रोड़ा कानूनी रुप से फंसा हुआ है। इस बीच बीते रोज महासभा के करीब एक सैकड़ा कार्यकर्ताओं ने भोपाल में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया। इस दौरान जब वे सीएम हाउस घेराव करने निकले, तो उनकी पुलिस से हल्की झड़प भी हुई। पुलिस ने जिस तरह से उनके प्रदर्शन को लेकर सख्ती न करने का रुख दिखाया है, उससे अप्रत्यक्ष रुप से उन्हें सरकार का समर्थन होने का साफ संकेत मिल रहा है। यही नहीं कोरोना गाइडलाइन के उल्लंघन के मामले में भी प्रदर्शनकारियों पर न तो कोई प्रकरण दर्ज किया गया और झड़प के बाद भी उनकी गिरफ्तारी तक नहीं की गई है। इस बीच इसको लेकर भाजपा व कांग्रेस नेताओं के बीच सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का यह मामला ऐसे समय गर्मा गया है जब प्रदेश के एक लोकसभा क्षेत्र और तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। इस मामले में अब प्रदेश सरकार की ओर से जहां मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है तो वहीं संगठन की ओर से भी इस मामले में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। उधर कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा की शिव सरकार पर निशाना साधकर उसे पिछड़ा वर्ग विरोधी बताने का प्रयास शुरू कर दिया है। फिलहाल इस मामले को लेकर अब दोनों ही दलों के नेताओं के बीच सियासी जंग शुरू हो गई है।
सरकार ने यह रखा पक्ष
सरकार की ओर से नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए संकल्पबद्ध है। इसके लिए अदालत सहित किसी भी मंच पर सभी जरूरी प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस संकल्प और उसे पूरा करने की प्रभावी कोशिशों के चलते इस आरक्षण के लिए किसी आंदोलन का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं, जबकि पूर्व की कांग्रेस सरकार इस मामले में केवल टालमटोल करती रही जिसके चलते उस समय हाईकोर्ट में इस वर्ग के पक्ष को प्रभावी तरीके से नहीं रखा गया। उन्होंने कहा कि भाजपा शुरू से ही ओबीसी को उसका हक दिलाने के लिए प्रयासरत है। इसके चलते ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के इतिहास में पहली बार पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाया। अब मध्य प्रदेश सरकार विधानसभा की स्टैंडिंग कमेटी बना रही है। यह कमेटी ओबीसी आरक्षण के संबंध में पूरा अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार एक बार फिर उच्च न्यायालय में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के लिए पूरी ताकत के साथ अपना पक्ष रखेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों की भी मदद ली जाएगी। सिंह ने कहा कि वर्ष 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जातिगत आधार पर जनगणना का काम रोक दिया था। ऐसा नहीं होता तो उसी समय से इस वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया जा सकता था।
कांग्रेसी 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए उनके साथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ओबीसी वर्ग के पक्ष में उतरते हुए कहा कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने के लिए पूरी तरह से उनके साथ है। हमारी सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया था लेकिन, वर्तमान सरकार इसे लागू करने के गंभीर प्रयास नहीं कर रही है, जिसकी वजह से इस वर्ग को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सरकार में उठे विरोधी स्वर
मप्र पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने प्रदर्शन के बीच भाजपा कार्यालय में मीडिया से कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि अब आर्थिक आधार पर आरक्षण होना चाहिए। इस बयान के बाद आरक्षण को लेकर न केवल नई बहस छिड़ गई। उन्होंने कहा कि संविधान और समाज की व्यवस्था जैसा वातावरण देगी उस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा।
यह हैं मांगें
महासभा की मांग है कि ओबीसी की जातिगत जनगणना कराई जाए। नीट परीक्षा के अलावा शिक्षक भर्ती सहित अन्य भर्ती परीक्षाओं में 27 फीसदी आरक्षण लागू किया जाए। चयनित शिक्षकों को भी 27 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाए।