विजया पाठक,
एडिटर, जगत विजन
देश के प्रमुख समाचार चैनल के संपादक ने भूपेश बघेल को लेकर टिप्पणी कर दी जिसमे उंन्होने कहा की वे मूल छत्तीसगढ़िया नहीं है, भूपेश बघेल का परिवार मूलत: गुजरात से है और वर्षों पहले छत्तीसगढ़ में आकर बस गया। भूपेश बघेल मूलत गुजरात से या छत्तीसगढ़ इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत के संविधान के अनुसार स्थानीयता से भारतीयता का महत्व है पर जब से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आई है तब से स्थानीयता या छत्तीसगढ़िया वाला नरेशन काफी गढ़ा गया, भूपेश बघेल की खास महिला अधिकारी, राजनीतिक सलाहकार, प्रेस सलाहकार एवं खास मीडिया कर्मी जो खुद भी मूल छत्तीसगढ़िया नहीं है। भूपेश बघेल ने अपने आप को कभी सोठा मारते हुए कभी पर्वों पर नाचते हुये, अपनी एक खास छवि बनाने की कोशिश की है। अपने आप की छत्तीसगढि़या छवि बनाने के लिये पूर्व के छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों को छत्तीसगढिया संस्कृति नही पालन करने जैसी छवि गढ़ी गई। दरअसल वह अपने आप को इकलौते मूल छत्तीसगढिया नेता के रूप में सबको दिखलाना चाहते हैं। जिसने भी भूपेश बघेल का विरोध किया उसको बाहरी बताया गया। जबकि छत्तीसगढ़ के मूल छत्तीसगढ़िया तो सिर्फ आदिवासी और राजा, महाराजा और महंत है। जो भी छत्तीसगढ़ के लिये काम करे वही असली छत्तीसगढ़िया है। विगत 2 वर्षों में भूपेश बघेल ने तीन काम किए हैं पहला अपनी छवि गढ़ना, दूसरा अपने आप को किसान एवं किसानों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करना और तीसरा अमित जोगी और उसके परिवार को किसी तरह हटाकर मरवाही का चुनाव जीतना। बात किसान की कि जाय तो जिस तरह से धान की खरीदी चल रही है उस पर काफी लिखना-पढ़ना बाकी है। खुद को मूलरूप से छत्तीसगढ़िया बताने वाले भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के लोगों की सत्तारुढ़ होने से ही उपेक्षा करते आ रहे है। मुख्यमंत्री साहब को यह समझना होगा कि सिर्फ तीज त्यौहार या खुशी के मौके पर छत्तीसगढ़िया चोला पहन लेने और चार शब्द छत्तीसगढ़ियां भाषा के बोल देने से कोई मूलरुप से छत्तीसगढ़िया नहीं बन जाता। छत्तीसगढ़िया बनने के लिए उस मिट्टी से प्रेम और वहां की जनता के प्रति संवेदनशील होना पड़ता है। भूपेश बघेल के व्यवहार में यह दोनों ही बातें पूरी तरह से नदारत दिखाई पड़ती है। मुख्यमंत्री बघेल को यह बात समझना चाहिए कि सिर्फ लोगों के बीच जाकर उनकी वेशभूषा पहन लेने से कोई छत्तीसगढ़िया नहीं बन जाता उसके लिए उन लोगों के दिल में प्रेम और अपनापन का भाव होना भी आवश्यक है। मुख्यमंत्री को स्थानीय लोगों से कितना प्रेम है इस बात का अंदाजा इससे ठीक ढंग से लगाया जा सकता है कि उनके आसपास रहने वाले और राजनैतिक सलाहकार, प्रेस सलाहकार और मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ प्रिय महिला अधिकारी सभी दूसरे प्रदेशों से है। स्थानीय लोगों की उपेक्षा निरंतर भूपेश सरकार कर रही है। यही वजह है कि स्थानीय लोगों की इस तरह से हो रही उपेक्षा से तंग आकर छत्तीसगढ़ की आवाम की मांग है कोई प्रवासी नहीं बल्कि स्थानीय नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही छत्तीसगढि़या के साथ भारतीयता जोकि कांग्रेस की परम्परा भी रही है उस पर अमल करना चाहिए। भूपेश बघेल को आडंबर वाले काम से बाहर निकलकर वास्तव में कुछ काम करना चाहिए और अगर नहीं कर सकते तो अपनी सत्ता किसी मूल छत्तीसगढ़िया को सौंप कर चले जाना चाहिए।