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बृहस्पति के कंधे पर बंदूक रखकर सिंहदेव समर्थक विधायकों पर निशाना साध रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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शक्ति प्रदर्शन में शामिल न होने का खामियाजा भुगत रहे राज्य के पांच विधायक व मंत्री*
विधायकों से जुड़े लोगों और समर्थकों पर कानून का शिंकजा कसकर उन्हें प्रताड़ित कर रही भूपेश बघेल सरकार
विजया पाठक,
एडिटर, जगज विजन
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही उठा पटक में अब एक नया मोड़ आ गया है। राज्य के मुखिया भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद पर अपना स्थायित्व बनाए रखने के लिए पिछले दिनों दिल्ली में बड़ी संख्या में विधायकों के साथ कांग्रेस आलाकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन किया। खास बात यह है कि इस शक्ति प्रदर्शन में राज्य के पांच विधायक डॉ. प्रेमसाय सिंह, रूद्र गुरु, जयसिंह, उमेश पटेल और ताम्रध्वज साहू शामिल नहीं हुए, जिसका खामियाजा अब उन विधायकों को भुगतना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर छत्तीसगढ़ प्रशासन अब इन विधायकों और उनसे जुड़े लोगों पर कानूनी शिंकजा कस रहा है। इतना ही नहीं भूपेश बघेल एक दम हिटलरशाही मूड में है और दिल्ली न जाने वाले विधायकों को किसी प्रकार का भी दायित्व देने से भी इंकार कर दिया है।
बृहस्पति सिंह के बिगडेल बोल
छत्तीसगढ़ की रामानुजगंज सीट से विधायक और भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले बृहस्पति सिंह के बिगडेल बोल फिर शुरू हो गए है। इस बार उनके निशाने पर है छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम। बृहस्पति सिंह ने डॉ. प्रेमसाय सिंह को भ्रष्टाचारी बताते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि प्रेमसाय सिंह द्वारा विभागों में तबादला किए जाने को लेकर खुलकर रिश्वत मांगी जा रही है। ध्यान हो कि यह वहीं बृहस्पति सिंह है जिन्होंने हाल ही में राज्य के लोकप्रिय नेता और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार स्वास्थ्य मंत्री डॉ. टीएस सिंहदेव पर हत्या कराने जैसा संगीन आरोप लगाया था। बृहस्पति सिंह का आरोप था कि उन्होंने राज्य में भूपेश बघेल के कार्यों की तारीफ की थी जिसके बाद गुस्साए टीएस सिंहदेव ने उन पर जानलेवा हमला किया। यह सब राज्य के लोकप्रिय नेता होने के नाते टीएस सिंहदेव की छवि खराब करने की योजना थी, जिसका बाद में पर्दाफाश भी हुआ।
कुर्सी बचाने और कितना गिरेंगे बघेल
जिन विधायकों ने राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भूपेश बघेल को विधायक दल का नेता चुनकर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। आज उन्हीं विधायकों को परेशान करने धमकाने जैसा ओछा काम कर रहे है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। अपनी ही पार्टी के विधायकों को मानसिक प्रताड़ित करना, उनको डराना, धमकाना ये सब भूपेश बघेल की फितरत में शामिल हो गया है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की इस तरह की कार्यशैली देखने को मिल रही है जिसमें वो अपने ही पार्टी के विधायकों के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे हुए है। प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के समर्थकों के नाम पुलिस और कलेक्टर द्वारा गुंडा लिस्ट में शामिल करने का कार्य किया जा रहा है। इतना ही नहीं बिलासपुर के सिंहदेव समर्थक विधायक शैलेष पांडे के खिलाफ भी पुलिस केस कर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया।
राज्य में ढ़ाई साल में मिली भ्रष्टाचार को बढ़त
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ढ़ाई साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार, चोरी, डकैती सहित सभी आपराधिक घटनाओं को बढ़त मिली है। बघेल सरकार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है। राज्य में गोबर घोटाला से लेकर नान घोटाला सहित ट्रांसफर, पोस्टिंग के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला इस सरकार में हो रहा है। मीडिया की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी, छोटी पत्र-पत्रिकाओं के विज्ञापन बंद कर उन्हें सच लिखने से रोका। मुख्यमंत्री के आदेशानुसार निर्दोषों पर कार्यवाही और दोषियों को अनदेखा किया जा रहा है। राज्य में अराजकता का ऐसा माहौल लोगों ने कभी नहीं देखा होगा। इस सबका कारण केवल मुख्यमंत्री पद की कुर्सी है, जो भूपेश बघेल से छोड़ी नहीं जा रही है। वो बिलकुल नहीं चाहते है कि राज्य के लोकप्रिय नेता और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिले।
धमकाने से भी पीछे नहीं हटे बघेल
राज्य में मुख्यमंत्री पद के बदलाव की आहट सुनते ही भूपेश बघेल ने विधायकों के साथ दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन करने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने एक-एक विधायकों को फोन करवाकर उन्हें दिल्ली चलने को कहा, यहां तक की जो विधायक दिल्ली जाने को तैयार नहीं थे उनको धमकी भी दी। मजबूरन विधायकों को न चाहते हुए भी शक्ति प्रदर्शन में शामिल होना पड़ा। और जो विधायक इस शक्ति प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए उनके साथ अब जिस तरह का दुर्व्यहार किया जा रहा है वो सबके सामने है।
पार्टी हाईकमान से बड़ा कोई नहीं हाईकमान को आंख दिखाने वाले को पार्टी में रहने का कोई अधिकार नहीं ऐसे लोगों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए, ताकि पार्टी के अंदर अनुशासन बना रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भूपेश बघेल अपने आप को पार्टी से ऊपर समझने लगे हैं।

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