अग्नि आलोक
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चलो केशव

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चलो केशव तुम
फिर से रण क्षेत्र में
फिर से युद्ध करते हैं।
बनो फिर से
मेरे सारथी
फिर से अन्याय के विरुद्ध
हम लड़ते हैं।
आज भी है कौरव
घर-घर में
आओ फिर से मिलकर
उन सब का
विनाश करते हैं।
सखा बनो,बंधू बनो गुरु बनो
फिर से संग चलकर
आओ मिल सब
शत्रुओं का विनाश करते है।

राजीव डोगरा (युवा कवि और लेखक)
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

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