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क्या चन्नी ने सुरक्षा से कन्नी काटी?

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शशिकांत गुप्ते

सच में सुरक्षा में चूक हो गई?अब मेरा क्या होगा? (यह संवाद मुखारबिंद ने निकालते समय फ़िल्म शोले के डायलॉग को याद किया जा सकता है)
आप का क्या होगा? आप मतलब वो झाड़ू वाला आप नहीं? आप मतलब हम सब औसत देशवासी?
मै,आप और हम तो मंदिर में विराजित भगवान की प्रतीकात्मक मूर्ति के दर्शनार्थ कतार में खड़े होते हुए भगवान के दर्शन हेतु “पहले मैं पहले मैं” की प्रतिस्पर्द्धा करते हुए भगवान के मंदिर में ही भगवान को प्यारे हो जातें हैं।

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हमारे वाहन सड़क पर खड्डों के कारण हमारा बोझ उठाने में असमर्थ हो जातें हैं।और हमें सड़क पर ही उछाल देतें हैं। ऐसे हादसों के कारण कभी हमारे पूण्यकर्म हमें सीधे स्वर्गवासी होने से भलेली रोक ले।लेकिन पूर्व के विकलांग या आज के दिव्यांग बनने में पूर्ण सहयोग करतें हैं।
प्रत्येक मौसम में हम,अपनों को हमेशा के लिए खो देतें हैं। गर्मी में लू के चलतें, शीत के मौसम में ठंड से ठिठुरने के कारण सांस के थमने से हमारे अपने देशवासी तादाद में हमें हमेशा के लिए अलविदा कह देतें हैं। वर्षा के मौसम में अतिवृष्टि के कारण हमारे भूगोल पर स्थित नदियों में बाढ़ आ जाती है। यह बाढ़ असंख्य पुण्यवान लोगों को जलसमाधि दे देती है।
मौसमी आपदाओं के अतिरिक्त बहुत सी बार सुनामी जैसे तूफान वगैराह भी हम आम को सीधे स्वर्ग पहुँचाने के लिए तत्पर रहतें ही हैं।
अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का भी हम आम ही शिकार होतें हैं। महामारी को हम ताली और थाली बजाकर और दीप प्रज्वलित कर भगा देतें हैं।
जो भी हम औसत देशवासी हैं। हमारी सुरक्षा हमारे स्वयं के अच्छे और बुरे कर्मो पर निर्भर है।
इतना लिखकर थोड़ा विश्राम करने की सोच कर लेखन रोक दिया। उसी समय सीतारामजी का आगमन हुआ।
सीतारामजी ने अभीतक जो लिखा था वह पढा और आगे इसतरह लिखने की सलाह दी।
सीतारामजी कहने लगे पुलवामा जैसे हादसे को नहीं भूलना चाहिए। चार दर्जन से अधिक सैनिकों को यमराज सामूहिक रूप से परलोक ले गए। इस हादसे पर किसी कार में रखे विस्फोटक पर ‘बे’कार की बहस नहीं करना चाहिए। Good governance के द्वारा जाँच चल रही है। कबतक चलेगी यह भविष्यवाणी करना किसी तज्ञ जोतिषी के लिए भी असंभव है?
दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा यह रटा रटाया संवाद तो सुनने को मिलता ही है।
यही फर्क है आम और खास में?
किसी व्यंगकार ने एकदम सही कहा है कि, आम की नियति ही ऐसी है,जब वह कच्चा होता है तब, कैरी कहलाता है,इसे काटकर विभिन्न व्यंजनों में सुस्वाद के लिए मिक्स किया जाता है। कभी इसको सीलबट्टे पर या मिक्सर में पीस कर इसकी चटनी बनाई जाती है। थोड़ा अधपका होने पर यह साग कहलाता है।साग के छिलके उतार कर इसके गूदे को दांतों से काटकर ,गुठली को चूसने के बाद ही इसे कचरे में डाल दिया जाता है।
पकने के बाद तो अनेक प्रकार के व्यंजन बनाएं जातें हैं। आम का तो रस निकाला जाता है। आम के रस निकालने के पूर्व उसे हाथों में घुमाकर मसल कर, पिलापिला किया जाता है। मिक्सर में भी आम के टुकड़ों को पीस कर आम का रस बनाया जाता।
बच्चों को वर्णमाला पढातें समय ‘आ’ यह स्वर आम का ही पढ़ाया जाता है। वर्ण माला ‘आ’ अक्षर को भलेही स्वर कहा जाता है।लेकिन व्यवहार में आम के स्वर की कोई एहमियत नहीं है।
जो भी है,सवाल बहुत महत्वपूर्ण है, सुरक्षा में चूक हो गई?
धारावाहिक सांस भी कभी बहु थी कि,स्मृति पुनः टीवी पर प्रकट हो गई, और एक नए जासूसी धारावाहिक के टायटल की घोषणा कर गई। खूनी साज़िश यह धाराहिक जब भी बनेगा इसके अंतहीन एपिसोड बनेंगे यह निश्चित है।
एक हास्यव्यंग्य पूर्ण धारावाहिका भी बनाया जा सकता है।
क्या चन्नी ने सुरक्षा से कन्नी काटी
सीतारामजी ने सलाह दी, लेक शीर्षक भी यही लिख दो।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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