उमेशप्रसाद सिंह, पटना
रामपुर के कारण देश का बॅटवारा हुआ ; जिन्ना की हठधर्मिता से देश का बॅटवारा हुआ ,या अलीगढ़ के कारण या हिन्दू- मुसलमान दंगा से देश का बॅटवारा हुआ ? इतिहास तीनों में किसको महत्व देता है - यह सोचनीय है।
प्रांतों में सरकार बन गयी थी।उतरप्रदेश की सरकार मे घनी आबादी के बावजूद एक भी मुसलमान मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया था। रामपुर के नबाब के नेतृत्व में कांग्रेस के महान नेता जवाहर लाल नेहरू से मिला और इस बात की शिकायत की गयी। पंड़ित जी ने तपाक से कहा तुमलोग बंगाल में हिन्दू को क्यों नहीं शामिल कराते हो।नबाब ने कहा - यह दायित्व भी तो आपका ही है? कुछ दिन बाद पंड़ित नेहरू ने जमींदार पार्टी के हाफिज मुहम्मद इब्राहिम को दलबदल कराकर काॅग्रेस में लेकर मंत्री बनवा दिया।दल बदल का भी पहला द्दष्टांत ?
एक मुस्लिम आबादी वाले प्रदेश में यह भावना आ गयी कि अभी तो देश आजाद नहीं हुआ और हमें दरकिनार अभी से किया जा रहा है; यही भावना अलीगढ में बलवती होने लगी।
एक बार रामपुर में नबाब ने भोज दिया ; पूरे देश के सभी बड़े नबाब पहुँच गये थे। सभी नबाब इस भोज की वाहवाही करने लगे। उसमें लखनऊ के नबाब भी थे। उन्हीं कारीगरों और मसालों के साथ लखनऊ में भोज देने का निश्चय सबसे बड़े नबाब के यहाॅ भी हुआ ; लेकिन रामपुर वाला नहीं जम सका?
रामपुर के नबाब ने कारीगरों से पूछा जब आप लोग ही बनाये तथा मसाला भी रामपुर से ही आया तो रामपुर जैसा क्यों ना हुआ? कारीगरों ने कहा -- हुजूर रामपुर वाला पानी तो लखनऊ में नहीं था?
यह है रामपुर का पानी और रामपुर का चाकू फिर कहीं नहीं मुकाबला हो सका।
अभी 40 वर्षों से आजम खाॅ भी मशहूर हैं जिस तासीर का राजनेता ढूॅढे नहीं मिलेगा? 09 बार विधायक और अभी सांसद - यह सिलसिला अभी दाॅव पर है?
इस बार यदि भाजपा पूरी ताकत लगाकर भी आजम को हरा दे ; तब लगेगा कि भाजपा का शासन पुन: उतर प्रदेश में स्थापित हो जायेगा ; अगर कहीं आजम ने भाजपा की जमानत जब्त करा दे तो पूरा भाजपा नेतृत्व के लिये संकट हो जायेगा?