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लोंगो से ही राष्ट्र बनता है न की राष्ट्र से लोग़

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*कृष्ण मुहम्मद*

हसदेव को बचाने के लिए लोग अपना विरोध दर्ज कर रहे है, क्योंकि प्राकृतिक लूट से मुनाफा तो बहुत मिलेगा लेकिन उस जगह और समाज को ये पूंजीपति एक़ दम से खोखला कर देंगे,छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस कि सरकार लगातार आदिवासियों का दमन उत्पीड़न करने पर तुली है,लगातार, बाकि देश के छः राज्यों मे पेसा क़ानून होते हुए भी सरकार इस नियम क़ानून कि धज्जियाँ उड़ा रही है और छत्तीसगढ़ मे इस क़ानून कि मांग कि जा रही है,सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि छत्तीसगढ़ कि खनिज सम्पदा को खूब लुटा जा रहा है मुख्यधारा और विकास कि बात कहकर आदिवासी इलाकों मे उत्पीड़न किया जाता रहा है 

जंहा एक तरफ देश अंतरिक्ष मे जाने से लेकर, मिसाइले बनाकर अलग अलग क्षेत्रों मे प्रगति कर रहा है, वंही दूसरी तरफ, संतोषी नाम की लड़की भात भात कहते मर जाती है,
लोंगो से ही राष्ट्र बनता है न की राष्ट्र से लोग़ बनते है,
लेकिन इस बुरे दौर मे लोग मुलभुत समस्या और लोंगो के जीवन की रक्षा, शोषण, उत्पीड़न जैसी चीजों को छोड़कर धर्म जाति, राष्ट्रवाद के नशे मे मदमस्त हो गए है
टीवी मे समाचार के एंकर राष्ट्वाद,कौन देशभक्त  जैसी चीजों पर रात दिन बहस चलाते है, जो हमारे मुलभुत समस्याओ से बिलकुल हट कर है
सैमूयल जॉन्सन कहते है,” राष्ट्रवाद  लफंगो की अंतिम शरणस्थली है”
एक और विद्वान कहते है “राष्ट्रवाद नाम की कोई चीज नहीं होती, लेकिन यंहा राष्ट्रवाद का सहारा लेकर लोंगो की हत्या की जा रही,
अगर आप भारत माता की जय नहीं बोलते तो आपको गद्दार देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है
ये कौन लोग है जो इस देश मे तय करते है की जय बोलना है या नहीं
ये वही लोग है जो दक्षिणपंथ के पुरजोर समर्थन करते है और जिनका आजादी के आंदोलन मे कोई भी योगदान नहीं रहा, और इनके एक भी लोग फांसी पर नहीं चढ़े,
इस बात को समझने की जरुरत है कोलोनियल हिस्ट्रीयोंग्राफी लिखी जा रही है,
और असल चीजों को दबाकर मानव के अधिकांश अधिकारों का हनन किया जा रहा है,
केवल कागजो मे दर्ज हो हो रहा है की मानवाधिकार है, लेकिन जो लोग भी मनुष्यता(मानवता) के पक्ष मे बोल रहे है उनकी हत्या या जेल होना आम बात है,
जबकि इसके ठीक विपरीत रेपिस्ट, हत्यारे, भ्रष्ट, चाटुकार,बेईमान,घटिया जैसे तमाम लोंगो को ऐसे समाज मे परोसा जा रहा है जैसे समाज के असली निर्माता वही है,
छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, अबूझमाड़ जैसे तमाम इलाकों मे वंहा न आपका मानवाधिकार चलता है और ना ही भारत का संविधान,
जँहा आए दिन माओवादी होने के नाम पर हत्या बलात्कार ये सब आम बात है,बहुत सारी ऐसी खबरें जो मुख्य मीडिया या छत्तीसगढ़ से बाहर राज्यों मे जा ही नहीं पाता,
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते है, “नक्सलवाद देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है”
जबकि असल मे खतरा नक्सलवाद नहीं, सबसे बड़ा खतरा मुनाफे पर टिकी यह व्यवस्था है, और कारपोरेट लूट है,
ज़ब तक मानव का मानव द्वारा शोषण होता रहेगा, उसके मुलभुत कार्यों का हनन होता रहेगा, तब तक  मानवाधिकार जैसी चीजें केवल किताबों मे ही दर्ज ही होंगी,
हर क्षेत्र मे लूटपाट अन्याय, शोषण है चाहे कल कारखाने, जमीन, मजदूरी, शिक्षा, रोजगार, सभी चीजों मे,
आज मै सोनी सोरी, मड़कम हिडमे, फूलन देवी, भंवरी देवी,सारकेगुड़ा के निर्दोष आदिवासी बच्चे, गाज़ीपुर जिले का शेरपुर कांड, बथानी टोला,गुजरात के 2002 के दंगे, सोनभद्र हत्याकांड, इलाहाबाद का गोहरी कांड, ना जाने ऐसे कितने अनगिनत कांड आखिर इन्हे न्याय कब मिलेगा, और देश का ये मानवाधिकार के नियम क़ानून उन पर कब लागू होंगे?शायद कभी नहीं 
और बस अंत मे अदम गोंडवी साहब की एक लाइन याद आ गयी –
तुम्हारे फाइलो मे गांव के मौसम गुलाबी है..मगर ये आंकड़े झूठे है, ये दावा किताबी है 
जुल्म शोषण के खिलाफ मुहतोड़ जवाब दो.
हसदेव को बचाने के लिए  एकजुट हो.
जन आंदोलन ही पहली और आखिरी रास्ता है!!
*कृष्ण मुहम्मद*

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