अग्नि आलोक
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चौकीदार हो जाना चाहिए

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मुनेश त्यागी

जब मेंढ ही खेत को खाने लगे,
तो खेत को होशियार हो जाना चाहिए।

जब राजा जनता को ठगने लगे,
तो जनता को होशियार हो जाना चाहिए।

जब जनता के सपने लूटे जाने लगें,
तो सपनों को होशियार हो जाना चाहिए।

जब नारे और वादे जुमले बन जाएं,
तो नारों-वादों को खबरदार हो जाना चाहिए।

जब पशु की जगह आदमी मारे जाने लगें,
तो जनता को समझदार हो जाना चाहिए।

जब हिंदू को मुसलमां से लडाया जाने लगे,
तो हमको और मिलनसार हो जाना चाहिए।

जब रहबर ही लूटने लगें काफिले,
तो जनता को निगेहबान हो जाना चाहिए।

जब चौकीदार लुटेरों से मिल जाए ,
तो जनता को चौकीदार हो जाना चाहिए।

      ,,,,,,,मुनेश त्यागी
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