अग्नि आलोक
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यह केवल एक प्रतीक का विकृत किया जाना नहीं है

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यह केवल एक प्रतीक का विकृत किया जाना नहीं है। यह बौद्धों की शांत सहभागिता पर हमला है!

यह पंडित नेहरू के बहाने बुद्ध और सम्राट अशोक और उनमें यकीन करने वालो पर चोट है!

कुछ लोग केवल विकृत कर सकते हैं या विक्रय!

सरल शब्दों में कहें तो या तो

ये बिगाड़ सकते हैं या बेच सकते हैं!

जिसे बेच नहीं पाएंगे उसे बिगाड़ देंगे!

विक्रय नहीं तो विकृत ही सही!

अशोक के शांत पराक्रमी सिंहों को 

नवभारत के नए शिल्पकार ने भूखा और हिंसक बना दिया !

यही नया निर्माण है!

बोधिसत्व, मुंबई

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