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परामनोविज्ञान कथा : लड़की की भटकती आत्मा

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आरती शर्मा

   _घटना पोरबंदर की है। यह सत्य घटना सोनल नाम की एक लड़की की है। सोनल एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी और पली बढ़ी। अपने स्कूल के दिनो में सोनल काफी होशियार छात्रा रही।_
  घर में माता पिता की हर बात मानना और घर-परिवार के काम काज में हाथ बटाना सोनल का स्वभाव था।

जब सोनल 12वी कक्षा में थी तब एक दिन अपनी सहेली के साथ पोरबंदर के समंदर किनारे घूमने गयी, समंदर किनारे दोनों सहेलियाँ पानी में पैर भिगोने और बाते करने में मस्त थीं।
तभी अचानक समंदर की और से तेज हवा का झोंका सोनल की और आया और पलक जपकते ही वह हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से आर-पार हो कर गुज़र गया।
इस घटना से सोनल बुरी तरह डर गई, क्योंकि सोनल को उस हवा के झोंके के साथ हु-बहू अपने जैसी दिखने वाली लड़की भी दिखी थी, जो सोनल के शरीर के साथ टकरा कर सोनल के शरीर से आर-पार निकल गयी थी। उस वांकये के बाद सोनल की ज़िंदगी ही बदल गयी।

खाते पीते, सोते जागते, दिन, रात, सुबह शाम, सोनल को वह लड़की नज़र आने लगी।
अपने जैसी दिखने वाली लड़की को देख कर सोनल खूब घबरा जाती, रोने लगती, और कई बार डर के मारे बीमार भी पड़ जाती।
परिवार ने सोनल की तकलीफ दूर करने के लिए लाख जतन किए, पूजापाठ, हवन, दान धर्म, और अन्य कई सारे इलाज किए। पर कोई मरहम सोनल के काम ना आसका।

हद्द तो तब हो गयी जब सोनल अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रही थी। शहर के कॉलेज के प्रोफ़ेसोर ऐसे कॉमेंट पास करने लगे थे के यह तो उसकी हूबहू कॉपी है।
सोनल को देख कर ऐसे अचंभित होने लगते के जेसे पुराना पाप सामने आने पर कोई पापी अचंभित हो जाता हो।
ऐसा कहा जाता है के आज से 35-40 साल पहले उसी कॉलेज में एक लड़की पढ़ती थी। और वह अचानक गायब हो गयी थी।
माना जाता है कि कॉलेज प्रशासन से जुड़े कुछ लोगों ने उस कड़की को अगवाह कर के उसका बलात्कार कर के उसे मार दिया था। और उसके शरीर के कुछ टुकड़े कॉलेज की जमीन में दफना दिये थे। और कुछ समंदर किनारे फेंक दिये थे।

उसी लड़की की आत्मा सोनल को दिखती रहती है। और अपने लिए इंसाफ चाहती है। सोनल आज भी अपने जीवन में कभी कभी उस लड़की की परछाई देखने का अनुभव करती हैं।
पर अब सोनल ने अपने डर का सामना करना सीख लिया है। और इस बात को समझ लिया है, कि अगर हकीकत में ऐसी कोई दुखदाई घटना उस लड़की के साथ हुई होगी, तो समय आने पर उस राज से परदा उठेगा। दोषियों को सजा मिलेगी।
(सत्य घटना आधारित इस कहानी में पात्र का नाम बदला गया है : चेतना विकास मिशन).

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