अशोक मधुप
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए भाषण में सबसे ज्यादा चिंता देश में फैले भ्रष्टाचार जताई। कहा कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। भ्रष्टाचार से देश को लड़ना होगा। हमारी कोशिश हैं कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनसे लूटा धन वसूला जाए। उन्होंने यहां तक कहा कि जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होगा, तब तक भ्रष्टाचार खत्म नही होगा।
वास्तव में भ्रष्टाचार आज बड़ा मुद्दा है। ये देश में जड़ तक व्याप्त हो गया है।इसे खत्म करने के लिए बड़ा अभियान चलाना होगा। आज से 50−60 साल पहले पैसे की महत्ता नही थी।ईमानदार और ईमानदारी को सम्मान दिया जाता था। आज उसका उलटा हो गया है। आज हालत यह हो गई है कि ईमानदारी पर चलने वालों को उनके रिश्तेदार, पड़ौसी , परिवार वाले और उनके बच्चे तक बेवकूफ बताने लगे हैं।ईमानदार कहकर उनका मजाक उड़ाया जाता है।
यह सही है कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से उन पर और उनकी सरकार पर किसी तरह की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप तो नहीं लगे ,लेकिन निचले स्तर पर इसे रोकने के लिए कुछ ज्यादा नहीं हुआ। 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान श्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि बैंकों को लूटकर भागने वालों से बैंकों का पैसा वसूला जाएगा।उन्हें जेल भेजा जाएगा। विदेशी बैकों में जमा पैसा देश में वापस लाया जाएगा।उस चुनाव में जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत देकर प्रधानमंत्री बनाया। दूसरी बार भी वे बहुमत से प्रधानमंत्री बने, किंतु दूसरे देशों के बैंको में जमा धनवापसी के दिशा में कुछ नहीं हुआ। विश्व के बैंकों में कितना पैसा जमा है, यह भी सही ढंग से पता नहीं चल पाया।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा से लगता है कि देश में भ्रष्टाचार के विरूद्ध चल रही कार्रवाई और तेज होगी। विपक्ष के नेताओं के शोर मचाने से रूकने वाली नही हैं।कार्रवाई होनी भी चाहिए। देश का लूटा गया धन आना चाहिए।
पिछले कुछ सालों में भ्रष्टाचार करने वाले पर कार्रवाई जरूर हुई,किंतु जिस स्तर पर होना चाहिए थी, उस स्तर पर नही हुई।भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई से लगता है कि भ्रष्टाचार करने में विपक्षी दल वाले ही शामिल हैं।भाजपाई सब दूध के धुले हैं। विपक्ष के आरोप हैं कि भ्रष्टाचार के कई पुराने आरोपी भाजपा में शामिल हो कर आराम से रहे हैं। विपक्ष कहता रहा है क्या भाजपा में जाकर सब गंगा में धुले हो जाते हैंॽ भाजपा में आकर भ्रष्टाचारी भी शुद्ध हो जाते हैं ।लोग −बाग तो यह कहने लगे हैं कि भाजपा ऐसी गंगा बन गई है जिसमें आने वाले भ्रष्टाचारी और बेईमान शुद्ध हो जाते हैं उनके पाप धुल जाते हैं। हालाकि पहले भ्रष्टाचार में शामिल रहे बड़े मगरमच्छों पर कार्रवाई की जरूरत है। इनके खिलाफ कार्रवाई होती देख, छोटी मछलियां खुद सुधार जाएंगी।ऐसा हो भी रहा है किंतु उसमें उतनी गति नही, जितनी होनी चाहिए।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भ्रष्टाचार के विरूद्ध ये अभियान बड़ा अभियान है।बहुत बड़ा अभियान है। पर वह इसे अपनी पार्टी से शुरू करें जो ज्यादा असर होगा।जरूरत है कि भाजपा अपने अंदर के बेईमानों को भी देखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार अपने से शुरूआत करे । अपने सांसद और विधायकों को शुचिता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। उनसे यह भी कहा जाना चाहिए कि वे अपने और अपने परिवार वालों की चल −अचल संपत्ति की घोषणा भी करे।यदि भ्रष्टाचार के विरूद्ध अभियान भाजपा अपनी पार्टी से शुरू करती है, तो उसकी कार्रवाई पर विपक्ष आरोप नही लाग पाएगा। आरोप लगाए तो जनता ध्यान नही देगी।
भाजपा शासित कई प्रदेशों देखने में आ रहा है के मुख्यमंत्री ईमानदार हैं ।भ्रष्टाचार रोकना चाहते हैं। कार्यकर्ताओं को भी ताकीद की है। किंतु प्रशासनिक अमला आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा है। पहले जो काम सौ रूपये में हो जाता था। वह हो आज भी रहा है, किंतं उसके लिए व्यक्ति को दस हजार रूपये देने पड़ रहे हैं।सचिवालय से लेकर जिले तक बैठे अधिकारी किसी की सुनने को तैयार नहीं है। जहां भी जांच हो भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार में मिलेगा।
लगभग दो-तीन साल पहले बिजनौर में मेरे घर के सामने सड़क बनी। दबाव के कारण अन्य के मुकाबले अच्छी गुणवत्ता का सामान प्रयोग किया गया। बढ़िया सड़क बनाई। किंतु बातों बातों में ठेकेदार यह कह बैठा कि ऊपर 40 प्रतिशत कमीशन जा रहा है। इसके बाद उसे भी कुछ चाहिए।यह हालात नहीं सच्चाई है।इसे रोकना होगा। विदेशों के बैंको में जमा धन वापस लाने के काम में भी तेजी लानी होगी।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)