अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

*|| अजातशत्रु ||

Share

कविता कृष्णपल्लवी

जिनका कोई शत्रु नहीं होता
उनका कोई पक्ष नहीं होता I
जिनका कोई शत्रु नहीं होता
वे किसी के मित्र नहीं होते I
वे कभी सच के और न्याय के पक्ष में
खुलकर खड़े नहीं होते
और ग़लत को ग़लत कहने का
जोखिम नहीं मोल लेते I

वे हत्यारे के सम्मान में आयोजित सभा से
उठकर
उस व्यक्ति की शोकसभा में चले जाते हैं
जिसकी हत्या हुई रहती है
और क्रांति और शांति की
आतुर पुकार भरी एक कविता लिखने के बाद
फ़ासिस्टों और तानाशाहों से
पुरस्कार लेने चले जाते हैं I

जो सर्वप्रिय और अजातशत्रु होते हैं
वे दरअसल धूर्त, मतलबी और
बेहद ठण्डे, क्रूर और कायर किस्म के
लोग हुआ करते हैं I

संत की निर्विकार मुद्रा ओढ़े हुए
निरंतर मानवता, करुणा और शान्ति की
बातें करने वाले ऐसे लोग
भेड़िये जैसे मक्कार होते हैं I
जिनका कोई शत्रु नहीं होता
वे दरअसल न्याय और मनुष्यता के
शत्रु होते हैं I

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें