अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

पाकिस्तान की कोई भी  नापाक  हरकत उसके लिए ही दुखदाई ही होगी

Share

अशोक मधुप 

पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ  आसिम मुनीर  ने कहा है कि भारत की नापाक हरकत का जवाब दिया जाएगा। अपनी एक −एक ईंच  जमीन की सुरक्षा करने में पाक सेना सक्षम है।उन्होंने  ठीक ही कहा है। यही उन्हें कहना भी   चाहिए , किंतु ये ध्यान रखने का   है कि वे  जो करें,अपने देश की सीमा में रहकर करें।सीमा से बाहर भारत की ओर तांक −झांक भी न करें। खुराफात करने की तो सोचे  भी नहीं। 

मंगलवार को आसिम मुनीर  पाकिस्तान के 17वें आर्मी चीफ बन गए।जनरल कमर जावेद बाजवा छह  साल बाद इस पोस्ट से रिटायर हो गए । मंगलवार को बाजवा ने रावलपिंडी हेडक्वॉर्टर में बैटन ऑफ कमांड या कमांड स्टिक  फोर स्टार रैंक पाने वाले आसिम  मुनीर को सौंपी।सेरेमनी में लोगों को संबोधित करते हुए बाजवा ने आसिम मुनीर के साथ अपने काम के 24 सालों को भी याद किया।आसिम मुनीर पुलबामा आतंकवादी हमले अपने आईएसआई चीफ होने के दौरान  भारत में हुई और अन्य  आतंकवादी घटनाओं का अंजाम  देने के लिए जाने −जाते हैं।आज जब वह पाकिस्तान  सेनाध्यक्ष  बने हैं  तो  हालात बदले  हैं।  उनकी खुराफात के बाद भारत पाक अधिकृत कश्मीर में दो बार सेन्य  स्ट्राइक की।अपने पर हमला  करने वालों के  विरूद्ध   कार्रवाई  करने के लिए  आज भारतीय सेना  को खुली छूट है।ऐसे में  उनकी जरासी भी हिमाकत पाकिस्तान के लिए  ज्यादा नुकसानदेह हो सकती है। वह ऐसे  समय  में पाकिस्तान के आर्मी चीफ  बने है,जबकि पाकिस्तान की अंदरूनी हालत  बहुत खराब है।वह बुरी तरह कर्ज में  जकड़ा  ह़ुवा है।अपनी जरूरत के लिए  दुनिया के सामने कर्ज के लिए कटोरा  लिए घूम रहा है।  मंहगाई  चरम सीमा  पर है। इस हाल बरसात में आई  बाढ़ ने उसकी कमर तोड़ कर रख दी। हालात यह हैं  कि वहां बीमारों को दवा और जरूरत का सामान भी   उपलब्ध  नहीं।

उधर पाक अधिकृत कश्मीर में  पाकिस्तान का विरोध बढ़ रहा है। पाक सेना  की ज्यादती को लेकर वहां की जनता   अपना विरोध  जताती और प्रदर्शन करती रही है।पाक अधिकृत कश्मीरी युवा आजादी की लंबे समय से मांग कर रहा है। उनका  आंदोलन  जारी है।

 इस पद को संभालने के दौरान उन्हें ये भी  ध्यान रखना  होगा, कि भारत की जनता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की मांग  कर रही है।जनता  सरकार पर  दबाव भी  बनाए  हुए है। पाक अधिकृत कश्मीर में  हालत पहले ही ठीक नही हैं।  वहां की जनता आजादी की मांग  को लेकर आंदोलनरत है, ऐसे  में  उनकी जरासी गलती उन्हें उम्र भर पछताने को मजबूर कर सकती है।  आज पाकिस्तान की और से जरा सी भी  खुराफात हुई तो उसे  भारत के कड़े  प्रतिरोध का सामना करना  होगा।हो  सकता है कि बंगला  देश  की तरह उसे  अधीकृत कश्मीर से भी हाथ धोना पड़े। 

 सेवानिवृत  आर्मी चीफ  बाजवा ने पद छोडने से पूर्व देश के लिए आपने संदेश में कहा कि अब तक सेना का राजनीति में पूरा दखल रहा है। अब नही होगा। जनरल बाजवा ने रिटायरमेंट के ठीक पहले यूएई के अखबार ‘गल्फ न्यूज’ को एक इंटरव्यू दिया। फौज और पाकिस्तान के मौजूदा हालात से जुड़े अहम सवालों के जवाब दिए। कहा- मुझे ये मानने में कोई गुरेज नहीं कि पाकिस्तान के तमाम फैसलों में फौज का अहम रोल रहा है। इतिहास गवाह है कि फौज का सियासत में दखल रहा। शायद यही वजह है कि हमें एक इदारे (विभाग) के तौर पर कई बार कड़ी आलोचना का भी शिकार होना पड़ा।बाजवा ने आगे कहा- अब हमने फैसला कर लिया है कि फौज हर हाल में सियासत से दूर रहेगी। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और इससे भी बड़ी बात यह होगी कि सेना को मुल्क में इज्जत मिलेगी और इसमें इजाफा होगा। हर फौजी भी तो यही चाहता है। उन्होंने  कहा कि  मुल्क के 70 साल के इतिहास में पहली बार हमने सियासत से दूरी बनाने का फैसला किया है। मेरा मानना है कि इससे फौज को इज्जत मिलेगी और उसका सम्मान बढ़ेगा।

बाजवा साहब जो  कह रहे हैं  सेवानिवृति के बाद उनकी कौन सुनता  है।अब तक  तो  उन्होंने राजनीति का सुख  उठाया। पद पर रहते कभी ये बात नही की।पद छोड़ने का  समय  आया तो  बात कर रहे हैं कि सेना राजनीति से दूर हो। वैसे  भी पाकिस्तान की सियासत में हमेशा से फौज ही ताकतवर रही है। उसके रसूख और दबदबे के आगे सियासत करने वाले  छोटे पड़ते रहे हैं। यही वजह है कि 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद करीब-करीब आधा वक्त यहां मिलिट्री रूल रहा।अब की जब वह सेवानिवृत हो  गए तो उनकी कौन सुनता  हैॽ जिसके मुंह मुफ्त का  खून लग जाता है,  वह उसे क्यों छोड़ना  चाहेगा। बाजवा  साहब ने अपने कार्यकाल में क्या− क्या किया ,किसे नही पाता।  बाजवा और पत्नी आयशा की प्रॉपर्टी को लेकर पाकिस्तान में काफी सवाल उठ रहे हैं। महज छह साल में आयशा की शून्य  से 250 करोड़ रुपए की मालकिन हो गईं। ये सरकारी आंकड़ा है। क्या आने वाला सेनाध्यक्ष इस सुख से वंचिंत रहना  चाहेगा। पाकिस्तान की सेना में तो  करेप्शन सभी पदों में फैला है। इतनी जल्दी इसे रोकने की बात करना बैमानी है। ऐसे में  सेना को  करेप्शन करना  है,  तो  राजनीति में अपना दख्ल बनाकर रखना  होगा।

बदले हालात में वह अपने मुल्म में  क्या करें,  इससे भारत को सरोकार नही होगा,  न है। भारत को तो  वास्ता इससे है कि पाकिस्तान की ओर से  चल  रहा छद्म युद्ध बंद होता  है या नहीं।वहां से प्रशिक्षित कर आतंकवादियों का भारत आना रुकता   है  या नहीं। हालाकिं  पाकिस्तान की ओर से रोज द्रोण से   गोला बारूद भेजा जा रहा है।  आतंकवादी लगातार सीमा  पार कर भारत आ  रहे हैं।  सीमा पार कर आने वालों को मारने का  भारतीय सेना का  अभियान अनवरत चल रहा है।भारतीय  सीमा में प्रवेश करते  आंतकवादियों के भारतीय  सीमा में आते भी  मार दिए जाने की सूचनाएं नियमित रूप से आती रहती हैं। सेना की उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट  जनरल  उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में मीडिया से बात करते कहा था कि भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी लॉन्चपैड पर करीब 160 आतंकी मौजूद हैं।पाकिस्तान को आतंकवादी प्रशिक्षण और उसे  भारत भेजने पर सख्ती से रोक लगानी होगी।

यदि उसकी ओर  से हुई  कोई भी  बड़ी आतंकी घटना  भारत का गुस्सा बढ़ा  सकती है। पाकिस्तान की कोई भी   नापाक  हरकत उसके लिए ही दुखदाई और पछताने का  कारणा बन सकती है।

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें