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 वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को जी-20 के सामने रखना होगा

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मुनेश त्यागी 

      जी-20 के इंडोनेशिया शिखर सम्मेलन के बाद रोटेशन क्रम में भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता करने का मौका प्राप्त हुआ है। जी-20 के हर एक सदस्य को रोटेशन के हिसाब से अध्यक्षता कम करने का मौका बारी-बारी से खुद-ब-खुद मिलता रहेगा। यह अध्यक्षता किसी भी देश की उपलब्धियों को देखकर नहीं, बल्कि रोटेशन के हिसाब से मिलती है।

      हमारे प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद, “एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य” की थीम के इर्द-गिर्द एक घरेलू राजनीतिक प्रचार अभियान छेड़ने की घोषणा की है और ऐलान किया है कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ाने का काम करेगी। इस मुद्दे को लेकर वह पिछले दिनों भारत की समस्त राजनीतिक पार्टियों की एक बैठक भी कर चुके हैं। यही पर सबसे जरूरी सवाल उठता है कि भारत ऐसा क्या करें कि उसकी नीतियां और मंतव्य दुनिया के सामने पहुंचें?

      इसमें पहला काम होगा कि भारत अपने देश में ऐसे समाज और राजनीतिक ढांचे का निर्माण करें कि जो सबको समानता, समता, आजादी और न्याय मुहैया कराये, जहां जाति धर्म वर्ण रूप रंग नस्ल और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव न किया जाए और संवैधानिक गारंटियों को अमलीजामा पहनाया जाये।

      दूसरे, हमें संसार को दिखाना होगा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना के तहत हमारे देश में मौजूद, सभी विविधताओं का आदर और सम्मान किया जाए और पूरी दुनिया में ऐसी सोच और भावना से काम किया जाए।

      तीसरे, गरीबी तथा बेरोजगारी के डरावने तरीके से बढ़ते स्तर के साथ-साथ हमारे देश में आर्थिक मंदी डरावनी और गहरी होती जा रही है इसका पूरी तरह से इलाज करके, जनता की हिफाजत किया जाए की जाए और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ बढ़ती हुई हिंसा, आतंक और नफरत पर कड़ी नकेल कसी जाए।

      चौथे, जिस तरह से महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और हाशिए पर पड़े हुए करोड़ों लोगों के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अन्याय के मामले, दिन दूनी और रात चौगुनी की गति से बढ़ रहे हैं, इन पर प्रभावी अंकुश लगाया जाए और जिस तरह से संवैधानिक गारंटियों और असहमति की तमाम अभिव्यक्तियों को “राष्ट्र विरोधी” बताकर जिस तरह का सलूक किया जा रहा है, उस पर तत्काल रोक लगा कर दोषी लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए।

      पांचवें, जिस तरह से जनतांत्रिक अधिकारों और संवैधानिक गारंटियों को गंभीर तरीके से कतरा और चोट पहुंचाई जा रही है, उस पर तुरंत प्रभावी रोक लगाई जाए।

       छठवें, आजादी समानता समता न्याय और भाईचारे के हमारे जो संवैधानिक अधिकार स्तंभ, हमारे सार्वभौमिक, धर्मनिरपेक्ष, जनतांत्रिक, समाजवादी और गणतांत्रिक राज्य को परिभाषित करते हैं, उन सब पर मजबूती से कायम रहा जाए।

      सातवें, सरकार द्वारा जिन उद्देश्यों और सोच की घोषणा की गई है, उसे यथार्थ में बदलने के लिए आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में मिल रहे डरावने रुझानों को बेहद मजबूती के साथ, जनता की भागीदारी को साथ लेकर अविलंब सुधारा जाए।

      आठवें, भारत को अपने देश की जनता और पूरी दुनिया को यह बताना जरूरी है कि भारत को, पिछले 30 साल की जनविरोधी, निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों को छोड़कर और तत्काल त्याग कर, जनकल्याण की नीतियां, दुनिया की जनता के सामने रखी जाएं और पूरी दुनिया को बताया जाए कि प्रत्येक देश के साथ-साथ दुनिया की जनता का कल्याण निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों से नहीं हो सकता। प्रत्येक देश की जनता की जरूरतों के हिसाब से वहां की नीतियां बनाई जाएं।

       उपरोक्त जरूरी कदमों को तत्काल से तत्काल उठाकर ही, भारत दुनिया की राजनीति सोच, नजर और नजरिए को सही दिशा दे सकता है। ऐसा करके ही भारत जी-20 का अध्यक्ष बनने के नाते, देश और दुनिया की जनता के हित में काम कर सकता है और उसके अंदर जनकल्याण की नई मानसिकता सोच और नजरिया को पैदा कर सकता है और इसी बहाने से भारत अपनी “वसुधैव कुटुंबकम” और “विश्व बंधुत्व” की सोच से पूरी दुनिया को अवगत करा सकता है।

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