अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

वो अब बदले बदले क्यों लगने लगे हैं …

Share

—लक्ष्मण पार्वती पटेल 

नाश्ते की टेबल पर अचानक से बोली सयाली अच्छा सुनो ना , वो बदले बदले क्यों लगने लगे है ? हमारा तो उनसे कितना घरोंपा सा हैं , ना । 

अरे कौन बदल गया अब ओर ? महेंद्र पटेल ने अचरज से 

बोला ।

अरे वो ही अपने केदार भाई साहब ओर रूपाली भाभी देखा नही उस दिन चिराग़ भाई के फ़ंक्शन में मिले तो कितने अजनबी की तरह बात कर रहे थे हमसे । 

हमने पूछा तबियत वग़ैरह तो ठीक है । 

कोई टेंशन , परेशानी तो नही । 

पर वो थोड़ा बोलती ओर इधर उधर देखने लगती सयाली बोली जैसे मुझे इग्नोर करना चाहती थी । 

पहले तो कही मिलते तो हमारा साथ छूटता ही नही था अब तो रूपाली भाभी फ़ोन भी बहुत कम करती है , हमें । 

यार ये तो मैने भी नोटिस किया  केदार ओर मेरी अक्सर फ़ोन पर बात हो जाती थी । वो किसी भी शाम बोलता था चल आ जा ऑफ़िस सैंड्विच खाते है ..अरे , हाँ बहुत दिन से उसका कोई फ़ोन भी नही । 

yes अब तुम्हारी बात सुनकर मुझे भी लग रहा है वो लोग जैसे हमसे थोड़े कट रहे है । नाराज़ से भी । 

न जाने हमारी किस बात का बुरा लग गया या किसी ने हमारे बारे में उन्हें कुछ ग़लत सलत तो नही भर दिया की वो हमसे अब नाता रखना ही नही चाहते । 

तब सयाली बोली मैंने तो कुछ ऐसा वैसा बोला नही रूपाली भाभी को पर आपका भरोसा है ? मस्ती मज़ाक़ में कुछ बोल तो नही दिया…सोचिए….!! 

अरे यार नही बोला कुछ महेंद्र पटेल बोले , ट्रस्ट मी । 

केदार एक बात मैंने नोटिस ज़रूर की है जब से आपको वो अवार्ड मिला ओर आपकी खबरें मीडिया में आई ओर उसके बाद हमने घर बनाया , एक शानदार पार्टी दी जिसमें हमारे सभी दोस्त आए थे । सबने कितना अच्छा अच्छा बोला ओर ख़ुश होकर गए पर आपने पता नही देखा हो या न देखा हो ये दोनो ( रूपाली भाभी ओर मित्र केदार ) ख़ुश नज़र नही आ रह थे । 

वो तानिया भाभी बता रही थी इनको बहुत मिर्ची लगी है आप लोगों की इस ख़ुशी से । ख़राब ख़राब बोल रही थी आप लोगों के लिए , तानिया भाभी ने बताया। 

महेंद्र पटेल का नाश्ता हो गया था वो बेसिन पर हाथ धोते हुए बोला यार सयाली पता है ये बात मैने ऑफ़िस में भी नोटिस की है जब मुझे कुछ परेशानी होती है तो दया दिखाने कितने आ जाते है । अपनत्व जताते थकते नही । 

पर जैसे ही प्रमोशन हुआ या मुझे कोई रेवॉर्ड मिला , थोड़ा उनसे आगे क्या निकला …वो लोग अजीब सा बिहेव करने लगते है । 

जैसे उन्हें कोई बड़ा नुक़सान हो गया ऐसा दिखने लगता है , मेरी प्रगति से । 

शायद यही बात होगी की अब तक हम थोड़ा स्ट्रगल वक्त में थे । साधारण घर ओर नाम नही था कुछ ख़ास । उनका घर भी बड़ा ओर सब दोस्तों में वो हीरो , बॉस थे ।अब हमारी स्तिथि में परिवर्तन से उन्हें शायद जलन , बुरा लग रहा होगा …क्योंकि उन्हें लग रहा होगा अब लोग भी उन्हें छोड़ हमें तवज्जो देंगे ओर उन्हें ये तवज्जो किसी ओर को ज़्यादा मिलना पसंद नही । अपने से आगे किसी अपने को निकलते देख आजकल लोग नाराज़ हो जाते है ये तो फ़ैक्ट है । 

शायद उन्हें इसी का तकलीफ़ है ..आई॰ guess । पर यार मैंने मस्ती मज़ाक़ में कुछ बोला हो तो उसका मुझे कुछ याद नही….patel , सोचते हुए बोले…। 

ऑफ़िस का बैग उठाकर जाते हुए महेंद्र पटेल ने बोला तुम टेंशन न लो मैं आज ही केदार को लेकर जाऊँगा हम सैंड्विच खाएँगे ओर मस्तियाँ करेंगे तुम भी रूपाली भाभी को बुला लो चाय पर ओर प्यार से उन्हें जो भी बुरा लगा हो सॉर्ट कर लो । 

आगे बढ़कर पहल से हम दोस्ती में छोटे थोड़ी ना हो जाएंगे….रोज नए वो भी इतने गहरे बनाना सम्भव थोड़ी और उचित भी नहीं ये सोच एक को छोड़ दूसरे को करीब बनाओ इसलिए कि वो अब बड़ा आदमी बन गया है ..महेंद्र ने बोला | 

हमारे लिए घर , प्रगति , बड़ा नाम नही… रिश्ते सबसे अहम है ..उसे हम नही खोएँगे । हम अपने प्रयास तो करते रहेंगे ठीक करने के …..ओर महेंद्र पटेल ऑफ़िस चले गए बोलते बोलते । 

सयाली को भी महेंद्र की बात जमी ओर उसने तुरंत अपनी सहेली रूपाली को फ़ोन लगा दिया की वो तो कोशिश करे ठीक करने की इस रिश्ते को… बाक़ी भगवान की मर्ज़ी । 

ये Ego , जलन,  तुलना…..न जाने कितने रिश्ते ख़राब करवा देता है इंसान के महेंद्र कार में बैठकर भी यही सोच रहा था 

—लक्ष्मण पार्वती पटेल 

—कहानी वाला 

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें