पुष्पा गुप्ता
31 दिसंबर की बेहद ठंढी शाम थी नीला का मन बेहद परेशान था. उसे कुछ भी करना अच्छा नहीं लग रहा था। बार – बार मन घूम फिर कर पापा जी के पास पहुंचा जाता था। पापा की तबियत काफी खराब थी. इसलिए मां और भैया सब पापा को लेकर दूसरे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज करवाने गए थे. नीला और उसकी भाभी घर में अकेली थीं।
शाम होते ही पास में रहने वाली भाभी की सहेली कंचन भाभी उसके घर आगयीं. पापा जी का हाल पूंछने,, फिर भाभी कंचन भाभी से बातचीत करने में व्यस्त हो गईं. समय का पता ही न चला शाम ढल चुकी थी. तभी दरवाजे की घंटी बजी ! भाभी ने आवाज लगाई नीला,, देख तो जरा कौन है ?
नीला ने द्वारा खोला तो सामने राजीव खड़ा था। राजीव कंचन भाभी का देवर था और नीला का सहपाठी भी।
राजीव ने नीला से पूछा भाभी अभी तुम्हारे घर में हैं! नीला हां बोलकर पीछे हट गई. राजीव अंदर की ओर बढ़ गया। और नीला की भाभी के पैर छूकर, अपनी भाभी से मुखातिब होते हुए बोला।
मां आपको बुला रही हैं भाभी। इतना सुनते ही कंचन उठ खड़ी हुई. राजीव के हाथ में एक खूबसूरत गुलाब का फूल था। जिसे नीला की भाभी ने देख लिया और बोली वाह देवर जी ! यह फूल किसी से मिला है, या किसी के लिए लाए हो ?
यह सुनकर राजीव झेंप गया. फिर शर्माते हुए बोला नहीं भाभी एक दोस्त के बगीचे से तोड़ लिया था। अच्छा तो कल नए साल पे एक गुलाब हमें भी ला दीजिएगा अपने दोस्त के यहां से. हां हां क्यों नहीं बिल्कुल आप के लिए भी ले आऊंगा कहता हुआ राजीव वहां से जाने लगा कि अचानक नीला की आवाज सुनाई दी. एक फूल मेरे लिए भी।
राजीव मन ही मन बेहद खुश होकर श्योर ! कहता हुआ तेजी से बाहर निकल गया।
1 जनवरी सुबह के 7:00 बजे नीला के दरवाजे की घंटी बजी. लगता है पेपर वाला आ गया , कहते हुए नीला दरवाजे की ओर बढ़ी. नीला ने जैसे ही दरवाजा खोला. सामने मुस्कुराता हुआ राजीव खड़ा था।
उसके एक हांथ में कुछ गुलाब के फूल थे, और दूसरे हाथ में एक गुलाबी लिफाफा था हैप्पी न्यू ईयर बोलते हुए राजीव ने वह गुलाबी लिफाफा नीला को थमा दिया और भाभी को फूल देने के लिए अंदर बढ़ गया। अंदर भाभी राजीव के लाए फूल देखकर बहुत खुश हो गईं और उसके लिए चाय बनाने किचन में चली गई। इधर नीला एकदम हड़बड़ायी सी खड़ी थी ,उसे राजीव से इस सबकी एकदम उम्मीद ना थी।
वह भाभी की नजर बचाकर धीरे से अपने रूम में गई ,और वह गुलाबी लिफाफा वहीं रख कर आ गई। सभी बैठकर चाय पीने लगे थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करके राजीव जाने लगा नीला बाहर तक उसे छोड़ने आई तो उसने धीरे से नीला से कहा आप का फूल उस लिफाफे में है और एक सवाल भी ? जिसके जवाब का मैं इंतजार करूंगा जवाब जरूर देना।
यह कहकर राजीव चला गया,, और नीला अपने दिल में सैकड़ों तूफान समेटे वही खड़ी रह गई. नीला ,नीला भाभी की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी और वह अंदर चली गई कुछ देर बाद नीला अपने कमरे में आई फिर उसने राजीव का दिया हुआ गुलाबी लिफाफा खोला उसमें ढेर सारे गुलाब के फूल और साथ ही एक खूबसूरत कार्ड था। जिसमें नए साल की शुभकामनाओं के साथ राजीव ने अपने दिल का हाल बयां किया था।
दरअसल राजीव कॉलेज टाइम से ही मन ही मन नीला को बहुत चाहता था. पर कभी इजहार करने का मौका ना मिला पाया. अब उसे यह मौका मिला था अपना हाल-ए-दिल कहने का, तो उसने बिना वक्त गंवाए अपना हाल-ए-दिल बयां कर दिया था।
नीला बहुत खुश थी. पहली बार उसे किसी ने इतने सारे गुलाब दिये थे। वह गुलाबों को अपने चेहरे से लगाकर प्यार के अहसास को महसूस कर रही थी। नीला राजीव को जवाब देने का सोचते सोचते कब सो गई उसे पता ही ना चला।
लेकिन अगली सुबह ने सब कुछ पलट दिया था। कंचन के पास सुबह सुबह ही फोन आया और हड़ बड़ाई सी कंचन राजीव को उठाते हुए बोली, राजीव जल्दी उठ ! जरा मुझे नीला के घर तक छोड़ दे,,,, राजीव तेजी से बिस्तर से उठ बैठा. हुआ क्या है भाभी ? आप एकदम से सुबह-सुबह वहां क्यों जा रही हैं ? यह तो वहां चल कर ही पता चलेगा भैया कहकर कंचन पांव में चप्पल डालकर चलने को तैयार हो गई, राजीव झटपट ब्रश करके कंचन के साथ चल पड़ा।
वे अभी नीला के द्वार पर पहुंचे ही थे ! की आस पड़ोस के लोग आने शुरू हो गए। नीला की भाभी नीला का सिर गोद में रखकर उसे समझा रही थीं। नीला बदहवास सी पड़ी थी. उसकी आंखों से आंसुओं की धाराएं बह रहीं थीं। कंचन को देखते ही नीला की भाभी बिलख उठीं… कंचन पापा जी हमें छोड़ कर चले गए. कंचन उन दोनों को सम्हालने लगी।
एक पल को राजीव की नजरें नीला की नजरों से मिलीं. उसे सारे जहां का दर्द नीला की आंखों में नजर आया। ऐसा लगा जैसे नीला कह रही हो अब तुम्हारे सवालों का जवाब नहीं दे पाऊंगी राजीव. पापा जी से बिना पूछे कैसे जवाब दूंगी ? मैं तो कोई काम उनसे बिना पूछे नहीं करती। राजीव की आंख से एक बूंद पानी धरती पर टपक गया।
सामने नीला के कमरे की खिड़की पर रखे फ्लावर वाश में राजीव के लाए गुलाब के फूल मुस्कुरा रहे थे।