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पठान में‘रोमांस किंग’ शाहरुख़ का एक्शन अवतार उनके करियर को बड़ा उछाल देने जा रहा है

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एच.एल. दुसाध

बेशर्म रंग गाने को लेकर हिंदुत्ववादियों के निशाने पर आई फिल्म पठान 25 जनवरी को बड़े परदे पर आने के बाद से एक राष्ट्रीय परिघटना बन गया है। पूरे देश में एक से लेकर पांच तक कोई चर्चा का विषय है तो वह पठान ही है, जिसकी गिरफ्त में खुद हिंदुत्ववादी तक आ चुके हैं। इसके असर का सही प्रतिबिम्ब कुछ दिन पूर्व फेसबुक पर मोहम्मद शाहिद के इस पोस्ट में हुआ। उन्होंने पठान- एक उम्मीद शीर्षक से अपने पोस्ट मे लिखा था, ‘पठान’ के कल वीकेंड अर्थात शनिवार के आंकड़े भी आ गये हैं जो ₹55 करोड़ हैं, पहले दिन ₹57 करोड़, दूसरे दिन ₹68 करोड़, तीसरे दिन ₹38 करोड़ और चौथे दिन ₹55 और अभी आज रविवार के दिन चलते ट्रेंड से उम्मीद है कि यह फिल्म ₹55 करोड़ के ऊपर निश्चित रूप से कलेक्शन करेगी। अर्थात ‘पठान’ देश में ही सिर्फ 5 दिन में ₹273 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी, इसमें शेष दुनिया और ओटीटी प्लेटफार्म के अधिकार से कमाई जोड़ दी जाए तो पठान कमाई का ₹500 करोड़ का आंकड़ा पार कर गयी है अर्थात अपने प्रदर्शन के 5 दिन में ही ₹500 करोड़!’

पठान का हिट होना मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है, मेरे लिए महत्वपूर्ण है सांप्रदायिक नफ़रत के इस वातावरण में शाहरुख खान और उसकी एक साधारण-सी फिल्म के मुस्लिम किरदार के प्रति लोगों की दीवानगी। मैं स्वयं पीवीआर के जिस शो में पठान देख रहा था, सच कहूं तो महंगा टिकट लेकर बैठे उच्च आय वर्ग के लोग जिस तरह शाहरुख खान की हर एंट्री, दीपिका के भगवा बिकनी में डांस के समय चीख रहे थे, डांस कर रहे थे, उससे मुझे फिल्म के 75% डायलॉग सुनाई ही नहीं दिए। बाएं-दाएं आगे पीछे बस चीखें शोर और दीवानगी। यह मेरे लिए हैरानी भरा अनुभव था, क्योंकि जिस तरह से फिल्म के बायकॉट की मुहिम चली थी, उसके बावजूद ऐसा दीवानगी भरा अनुभव ऐसे लगा जैसे लोग ‘बायकॉट’ अभियान के विरोध में प्रतिक्रिया दे‌ रहे थे। इसमें कौन लोग थे? सारा हिंदुस्तान ही था! एक फिल्म जिसका नाम ही मुसलमान था, जिसका किरदार मुसलमान था जिसे पठान नाम का दम ठोंकते हुए दिखाया गया। जिस फिल्म में डायलॉग ‘अस्सलाम ओ अलैकुम’ और ‘वालैकुम अस्सलाम’ है, जिस फिल्म में अफगानिस्तान और वहां के लोगों को अच्छे ममतामई किरदार में दिखाया गया हो और सबसे बड़ी बात कि पाकिस्तान की खुफिया आईएसआई एजेंसी की एक एजेंट दीपिका पादुकोण अर्थात ‘रूबिया’ को एक अच्छे किरदार में दिखाया गया हो, भारतीय जासूस जान अब्राहम को निगेटिव रोल और भारत को तबाह करने की कोशिश करते दिखाया गया हो, ऐसी पटकथा और किरदार वाली फिल्म के ‘डिजास्टर’ होने की तो इस ज़हरीले वातावरण में पूरी संभावना थी मगर फिल्म क़ो देखकर लोग थिएटर में झूम रहें हैं, स्क्रीन पर चढ़ कर नाच रहें हैं तो इसे क्या कहेंगे आप?

शाहरुख़ की तीन फिल्मे- स्वदेश, चक दे इंडिया, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ने 8 से अधिक की रेटिंग हासिल की है। इस तरह से हॉलीवुड में जहाँ टॉम हैंक्स टॉम क्रूज से मीलों आगे हैं, वहीं भारत में शाहरुख़ से आमिर काफी आगे हैं। बहरहाल एक्टिंग का कोई ऑस्कर न जीतने के बावजूद टॉम क्रूज हॉलीवुड का सर्वाधिक पॉपुलर सितारे माने जाते हैं, जैसे वर्तमान में दुनिया के चौथे सबसे दौलतमंद सितारे शाहरुख़ आमिर के मुकाबले लोगों के दिलों पर कहीं ज्यादा राज करते है।

निश्चित रूप से यह फिल्म के ₹500 करोड़ की कमाई से ज़्यादा बड़ी कमाई है और लोग ज़हरीले लोगों के ‘बायकॉट’ अभियान के खिलाफ अपनी जुनून के हद तक प्रतिक्रिया दे रहे हैं हैं।

यह पठान के प्रति लोगों की प्रक्रियावादी दीवानगी ही थी कि सूचना और प्रसारण मंत्री तथा ‘गोली मारो’ फेम अनुराग ठाकुर को भी बयान देना पड़ा कि ‘हमारी फिल्में आज दुनिया में अपना नाम बना रही हैं। तब इस तरह की यानी बॉयकॉट जैसी बातें आने से वातावरण पर प्रभाव पड़ता है। वातावरण खराब करने के लिए कई बार पूरी जानकारी के बिना भी लोग कमेंट करते हैं तो उसका भी नुकसान होता है, ये नहीं होना चाहिए।’ प्रधानमंत्री को पठान के विरोधियों को डपटना पड़ा और नरोत्तम मिश्रा जिनके बयान से बायकॉट अभियान की शुरुआत हुई थी, मुंह की खानी पड़ी और बोलना पड़ा कि ‘अब पठान के बायकॉट का कोई मतलब नहीं’! शाहरूख खान और पठान के प्रति आया प्रतिक्रियावादी सैलाब ही दरअसल हम जैसे सांप्रदायिक नफ़रत के बीच इस देश में जी रहे लोगों के लिए उम्मीद की एक वजह है। लोगों का मानस बदलने में एक छोटी-सी चीज भी काफ़ी बड़ी हो जाती है और यह पूरे परिदृश्य को ही बदल देती है। जैसे पठान ने बदला। कल ऐसे ही राजनैतिक वातावरण भी बदल सकता है। मुझ जैसों को बस उसी दिन का इंतजार है, संयम बनाए रखें!’

पठान ने किस तरह बॉक्स ऑफिस पर इतिहास रचा इसका आंकलन टाइम्स नाउ नवभारत की इस रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, पठान ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकार्ड्स ध्वस्त कर दिया है। इससे केवल डोमेस्टिक मार्किट ही नहीं, बल्कि वर्ल्डवाइड भी  शाहरुख़ का डंका बजा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पठान ने जेम्स कैमरोन की अवतार-2 को पछाड़ दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पठान ने एक दिन में 13 मिलियन डॉलर से ज्यादा की कमाई कर ली है। वहीं दूसरी ओर, जेम्स कैमरून की अवतार: द वे ऑफ़ वाटर पहले दिन 10 मिलियन डॉलर की कमाई की।’ डोमेस्टिक मार्किट में पठान के जलवे का आकलन करते हुए इंडिया डॉट कॉम ने इसके 5 दिन व्यापी लम्बे वीकेन्ड पर लिखा, ‘शाहरुख़ खान अपनी नवीनतम फिल्म पठान के साथ बॉलीवुड के लिए बॉक्स ऑफिस पर इतिहास लिख रहे हैं। अभिनेता पांच साल परदे से दूर थे और उनकी वापसी ने उनके सबसे बड़े आलोचकों को भी उनकी विशाल स्क्रीन उपस्थिति पर ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया। भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक हिंदी फिल्म के लिए अबतक का सबसे बड़ा रविवार दर्ज करने वाली पठान लगभग 390 की कमाई करने वाली दंगल के लाइफटाइम कलेक्शन को पछाड़कर अबतक की सबसे बड़ी फिल्म बनने की राह पर है। सिद्धार्थ आनंद निर्देशित यह फिल्म अपने दूसरे सप्ताहांत में दंगल के आंकड़े को पार कर सकती है। दिलचस्प बात यह है कि अविश्वसनीय 500 करोड़ रुपये के क्लब में दूसरी फिल्म बनकर पठान बाहुबली-2 के व्यवसाय को भी चुनौती दे सकती है। अभी कोई पक्का दांव लगाना जल्दीबाजी होगी, लेकिन शाहरुख़ ऐसा कर सकते हैं!’ लेकिन पठान ने बॉक्स ऑफिस पर जो जनोन्माद पैदा किया है, उसके आधार पर मैं आशावादी हूँ कि यह बाहुबली -2 को भी पीछे छोड़ने जा रही है। बहरहाल, 25 जनवरी को रिलीज हुई हुई पठान का जादू पहले ही दिन से लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा जिसके असर से मैं भी न बच सका।

25 जनवरी को मैं बाकी मुद्दे भूलकर पठान में खो गया। जिस तरह हम क्रिकेट के महत्वपूर्ण मैच के पल-पल की जानकारी लेने के लिए उत्सुक रहते हैं, कुछ वैसा ही उस दिन पठान के लिए हुआ। मैं सुबह 10 बजे से शाम तक इसके रिव्यू और बॉक्स ऑफिस के पल-पल की जानकारी लेने में जुटा रहा और इसे लेकर सात पोस्ट फेसबुक पर डाले जो क्रमशः ये रहे-

1- क्या पठान शाहरुख के लिए उनके हॉलीवुड प्रतिद्वंदी टॉम क्रूज के टॉप गन: मेवरिक जैसा ब्लॉकबास्टर साबित होगा! दर्शकों की प्रतिक्रियाएं कुछ-कुछ ऐसा ही संकेत कर रही हैं!

2- आ गया पठान! किसी फिल्म विशेष के प्रति ऐसा क्रेज आपने कब देखा था, यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे!

3- पठान की समीक्षा: सीट से उठने नहीं देगा पठान!

4- पठान पर आई समीक्षाओं से संकेत मिल रहा है कि मेरे पूर्वानुमान के मुताबिक़ यह शाहरुख के लिए टॉम क्रूज की टॉप गन: मेवरिक साबित होने जा रही है!

5- पठान को बंपर हिट बनाने के लिए हीन मानसिकता ग्रस्त हिंदुओं को धन्यवाद! धन्यवाद ख़ासतौर से इसलिय कि पठान ने बॉलीवुड को संजीवनी प्रदान कर दी है। बॉलीवुड को पठान जैसी एक हिट फिल्म की सख्त जरुरत थी और पठान का बच्चा शाहरुख ने उस जरुरत को पूरा कर दिया है। यह जरुरत पूरा करने की कूवत अंततः किसी हिंदू एक्टर में तो नहीं थी: कूवत खान त्रिमूर्ति में थी और शाहरुख ने कर दिखाया!

6- समस्या हिंदुओं की कुंठा है! संदर्भ- पठान! और

7- पठान ने धन्य कर दिया बॉलीवुड को: साबित किया कि यदि सही तरीके से पठान जैसी फिल्में बने तो यह दुर्दिन को पीछे छोड़ देगा!’

खैर! 25 जनवरी की शाम तक मैं पूरी तरह कान्फिडेंट हो गया कि पठान बॉलीवुड के लिए टॉप गन: मेवरिक साबित होने जा रही है। किन्तु भारी विस्मय की बात है कि फेसबुक पर इसकी तुलना टॉप गन- 2 से किये जाने पर किसी की ओर से कोई कमेन्ट नहीं आया। बहरहाल पठान के टॉप: मेवरिक साबित होने की अहमियत की उपलब्धि करने के लिए हॉलीवुड के 1980 के दशक की ओर लौटना होगा।

1960 और 70 के दशक के बाद 1980 के दशक में हॉलीवुड में एक नए युग की शुरुआत हुई। इस दशक में स्टूडियो संचालित प्रस्तुतियों की वापसी तथा ब्लॉकबस्टर को आकार दिया गया। फिल्मों के इस विशिष्ट दशक में कम- ज्ञात डेब्यू निर्देशकों को अद्वितीय और अभिनव प्रोजेक्ट बनाने के लिए स्वतंत्रता दी गयी। फलस्वरूप इस दशक में हॉलीवुड की ओर से ईटी, रेजिंग बुल, प्लाटून, ब्लेड रनर, स्टार वार्स, टूट्सी, क्रेमर वर्सेज क्रेमर, द अनटचेबल्स, द टर्मिनेटर, डाई हार्ड, द लास्ट एम्पायर, गाँधी बैटमैन इत्यादि जैसी विस्मयकर फ़िल्में देखने को मिली, जिनके पीछे टीम बर्टन, स्टीवन स्पीलबर्ग, जेम्स कैमरोन, जॉन कारपेंटर, रिचर्ड डोनर, मार्टिन स्कोसेस, जॉन ह्यूज इत्यादि का निर्देशकीय कौशल देखकर लोग दातों तले अंगुली दबा लेते। लेकिन 1980 के दशक में हॉलीवुड ने क्लासिक्स, थ्रिलर, कॉमेडी, एक्शन और साईंफाई फ़िल्में और महान निर्देशक ही नहीं, बल्कि ऐसे एक्टर्स दिए जिन्होंने स्टारडम के नए-नए अध्याय रचे। इस क्रम में डेंजिल वाशिंग्टन, टॉम हैक्स, रोबिन विलियम, रॉबर्ट डी नेरो, कर्ट रसेल, मेल गिब्सन, जैक निकल्सन हरिसन फोर्ड, टॉम क्रूज जैसे सितारों का उदय हुआ। लेकिन जिस तरह एक से बढ़कर निर्देशकों के मध्य स्टीवन स्पीलबर्ग और जेम्स कैमरोन बेमिसाल निर्देशक के रूप में उभरे, उसी तरह सितारों की भीड़ में टॉम हैंक्स और टॉम क्रूज जैसे सितारों  का उदय हुआ।

1980 के दशक में जहां हॉलीवुड विस्मय सृष्टि किया, उस दौर में बॉलीवुड वाले नक़ल पर निर्भर होकर भारत की स्थिति शर्मसार किये जा रहे थे। पर, इसी दौर में दो प्रतिभाओं : आमिर खान और शाहरुख़ खान का उदय हुआ, जो टॉम हैंक्स और टॉम क्रूज को चुनौती देने की स्थिति में रहे। इनमें शाहरुख़ को टॉम क्रूज का भारतीय जवाब मानता हूँ। टॉम हैंक्स और टॉम क्रूज ऊम्र में आमिर और शाहरुख़ से कुछ साल बड़े होने के बावजूद ये चारों सितारे प्रायः एक समय में स्टारडम की बुलंदियों पर पहुंचे। 1984 में स्पलैश के जरिये लाइमलाइट में आने वाले टॉम हैंक्स जहां 1993 और 1994 में क्रमशः फिलाडेल्फिया और फारेस्ट गंप में बेस्ट एक्टर का ऑस्कर जीतकर एक्सट्रीम पर पहुंचे, वहीं टॉम क्रूज 1983 में रिस्की बिजिनेस  से पहचान बनाने और 1986 में टॉप गन से स्टार का रुतवा हासिल करने के बावजूद स्टारडम की बुलंदियों को छुए 1993 में मिशन इम्पॉसिबल के जरिये। टॉम क्रूज की सुपर हिट फिल्म टॉप गन के दो साल बाद 1988 में क़यामत से क़यामत जैसी क्लासिक लव स्टोरी के जरिये रुपहले परदे पर अवतरित होने वाले आमिर सफलता के नए-नए अध्याय रचते गए। दूसरी ओर 1988 में फौजी टीवी सीरियल के जरिये अभिनय की दुनिया में इंट्री करने वाले शाहरुख़ 1992 में दीवाना जैसी बम्पर हिट के जरिये फिल्मों में प्रवेश किये और छा गए। इन दोनों में जहाँ आमिर खान को टॉम हैंक्स का वहीं शाहरुख़ को बॉलीवुड का संस्करण कहा जाता है। इनमें आईएमडीबी  रेटिंग में आमिर खान की टॉप दस में दस फ़िल्में 8 से अधिक की रेटिंग हासिल की हैं, वहीं टॉम हैंक्स की टॉप दस में से सिर्फ छः को यह गौरव मिला है। वहीं टॉम क्रूज की टॉप दस में से सिर्फ एक टॉप गन : मेवरिक ही 8 की रेटिंग पाई है। इनके विपरीत शाहरुख़ की तीन फिल्मे- स्वदेश, चक दे इंडिया, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ने 8 से अधिक की रेटिंग हासिल की है। इस तरह से हॉलीवुड में जहाँ टॉम हैंक्स टॉम क्रूज से मीलों आगे हैं, वहीं भारत में शाहरुख़ से आमिर काफी आगे हैं। बहरहाल एक्टिंग का कोई ऑस्कर न जीतने के बावजूद टॉम क्रूज हॉलीवुड का सर्वाधिक पॉपुलर सितारे माने जाते हैं, जैसे वर्तमान में दुनिया के चौथे सबसे दौलतमंद सितारे शाहरुख़ आमिर के मुकाबले लोगों के दिलों पर कहीं ज्यादा राज करते है।

बहरहाल जिस टॉम क्रूज से शाहरुख़ खान की तुलना होती है, उस टॉम क्रूज के उदय को फिल्म पंडितों द्वारा उल्कापिंड के रूप में चिन्हित किया गया था। 1993 में उन्होंने अपनी कंपनी क्रूज/ वैग्नर के जरिए मिशन इम्पॉसिबल के निर्माण का जो निर्णय लिया, वह हॉलीवुड में एक बड़ी घटना साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने स्पाई इथन हंट की जो भूमिका निभाई, वह इतनी पॉपुलर हुई कि उन्हें इस सीरिज की आधी दर्जन और फ़िल्में बनानी पड़ी। तो मुख्यतः एमआई के इथन हंट के रूप में बॉक्स ऑफिस पर राज करने वाले टॉम क्रूज की पिछली कुछ फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर वह धमाल नहीं मचा पा रही थीं, जिसके लिए क्रूज जाने जाते हैं। ऐसे में टॉम क्रूज 1986 में पहली बार स्टारडम का स्वाद चखाने वाली टॉप गन पार्ट -2 बनाने का मन बनाये और 2022 में टॉप गन : मेवरिक के रूप में आई टॉप गन-2 ने बॉक्स ऑफिस पर वंडर घटित कर दिया। जोसेफ कोसिंस्की द्वारा निर्देशित और जेरी ब्रुक हाइमर और टॉम क्रूज द्वारा निर्मित इस फिल्म में जिस तरह क्रूज ने 60 साल की उम्र में नौसैनिक एविएटर मेवरिक को जीवंत किया लोग दाँतों तले उंगली दबा लिए हैं। लोग कह रहे हैं कि साठ की उम्र में जिस तरह क्रूज ने एक्शन फिल्म में अपना लोहा मनवाया है, उससे उन्होंने साबित किया है कि उम्र महज एक नंबर गेम है। हॉलीवुड के इतिहास के अबतक के सबसे बेहतरीन सिक्वेल में से एक टॉप गन मेवरिक ने टॉम क्रूज को जीवन की सबसे बड़ी सफलता एन्जॉय करने का सुलभ कराया है। बॉक्स ऑफिस पर लगभग डेढ़ बिलियन कमाई करने वाली टॉप गन-2 न सिर्फ टॉम क्रूज के जीवन की सबसे हिट फिल्म साबित हुई, बल्कि पहली बार उनकी किसी फिल्म को आईएमडीबी पर 8 रेटिंग नसीब हुआ। टॉप गन-2 ने जिस तरह उनके करियर को जम्प दिया है, उसे देखते हुए ही मैंने एकाधिक कारणों से 25 जनवरी की सुबह पठान को बॉलीवुड की टॉप गन मेवरिक होने की भविष्यवाणी की और वह सही साबित हुई। पठान भारत हिस्ट्री की सबसे कामयाब फिल्म फिल्म बन चुकी है। 57 साल की ऊम्र में स्पाई एजेंट पठान के रूप में शाहरुख़ खान का एक्शन अवतार  देखकर दुनिया, उसी तरह हैरान है, जिस तरह टॉप गन-2 में नौसैनिक मेवरिक बने टॉम क्रूज को देखकर हुई थी। ‘रोमांस किंग’ शाहरुख़ का एक्शन अवतार न सिर्फ उनके करियर को बड़ा उछाल देने जा रहा है बल्कि मरणासन्न बॉलीवुड को भी शर्तिया तौर पर संजीवनी प्रदान करने जा रहा है!

लेखक बहुजन डाइवर्सिटी मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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