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श्रीकृष्ण संबंधी कुछ रहस्यमय प्रसंग

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 सुधा सिंह 

    पौराणिक मिथक के अनुसार कुछ लोग कृष्ण जी की त्वचा का रंग काला और ज्यादातर लोग शाम रंग का मानते हैं.  श्याम रंग अर्थात कुछ कुछ काला और कुछ कुछ नीला मतलब कि काले जैसा नीला जैसा कि सूर्यास्त के बाद जब दिन अस्त होने वाला होता है तो आसमान का रंग काले जैसा नीला हो जाता है.

      जनश्रुति अनुसार उनका रंग ना तो काला और ना ही नीला था उनका रंग काला मिश्रित नीला भी नहीं था असल में उनकी त्वचा का रंग मेघश्याम था यानी एक बादल के समान अर्थात काला नीला और सफेद का मिश्रित रंग था.

माना जाता है कि श्री कृष्ण जी के शरीर से एक मादक गंध निकलती रहती थी इस इस गंध को वह अपने गुप्त अभियानों में छुपाने का उपक्रम करते थे चौंकाने वाली बात यह है कि यही खूबी द्रोपदी में भी थी द्रौपदी के शरीर से से भी सुगंध निकलते रहती थी. लोगों का मानना है कि यह खूबी के कारण ही श्री कृष्ण जी ने द्रौपदी को अपनी बहन माना था माना जाता है कि श्री कृष्ण के शरीर से निकलने वाली गंध गोपीका चंदन और कुछ कुछ रातरानी की सुगंध से मिलती-जुलती थी कुछ लोग उसे अष्टगंध भी कहते हैं.

      श्री कृष्ण का बचपन गोकुल वृंदावन बरसाना आदि जगहों पर बीता था कंस का वध करने के बाद उन्होंने अपने माता पिता को कंस के कारागार से मुक्त कराया और फिर जनता के अनुरोध से मथुरा का राजभर संभाला उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने द्वारिका में अपना निवास स्थान बनाया और यही नहीं उन्होंने महाभारत युद्ध में भी भाग लिया.

     महाभारत के युद्ध के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण कौरवों की माता गांधारी के पास गए तो गांधारी ने अपने सभी पुत्रों की मृत्यु से क्रोधित होकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने पुत्रों की मृत्यु का कारण बताते हुए उन को श्राप दे दिया की तुम्हारे कारण जिस तरह मेरे पुत्रों का नाश हुआ है उसी प्रकार तुम्हारे वंश का भी आपस में एक दूसरे को मारकर नाश हो जाएगा.

       उसी श्राप के कारण मदिरापान के नशे में श्री कृष्ण के वंशज आपस में लड़ने लगे और एक दूसरे को मारने लगे जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण और उनके साथ कुछ ही लोग जीवित बचे थे.

     एक दिन इसी प्रभाव क्षेत्र के वन में श्री कृष्ण एक पीपल के वृक्ष के नीचे लेटे हुए थे तभी जरा नामक एक बहेलिया ने भूलवश भगवान श्रीकृष्ण को हिरन समझकर विष युक्त बाण चला दिया वाण से भगवान भगवान श्री कृष्ण के पैरों के तलवे में जाकर लगा और भगवान श्रीकृष्ण ने इसी को बहाना बनाकर अपना शरीर का त्याग कर दिया.

भारतीय परंपरा और जनश्रुतियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी ने ही मार्शल आर्ट का आविष्कार किया था दरअसल पहले इसे अलारी प्लाटो कहा जाता था.

      इस विधि के मदद से ही भगवान श्रीकृष्ण ने चारु ओर और अन्य कई दैत्यों का वध किया था उनकी उम्र कुछ 16 वर्ष की ही थी उन्होंने मथुरा के राजा का सर को अपने हथेली के प्रहार से ही काट दिया था.

      जनश्रुतियों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने मार्शल आर्ट का आविष्कार भरत क्षेत्र के वनों में किया था डांडिया रास उसी का एक नित्य रूप है मार्शल आर्ट का जन्मदाता भगवान श्रीकृष्ण को ही माना जाता है हालांकि इसके बाद इस विधि को अगस्त मुनि ने प्रचारित किया था.

      इस कारण भी नारायणी सेना भारत के सबसे भयंकर सेना और प्रलयकारी सेना बन गई थी भगवान श्रीकृष्ण नहीं मार्शल आर्ट की नींव रखी थी जो बाद में बौद्ध धर्म से होते हुए मार्शल आर्ट के नाम से प्रसिद्धि हुआ बौद्ध धर्म के कारण ही यह विद्या चीन-जापान आदि बौद्ध क्षेत्रों में खूब फली-फूली आज भी यह विद्या केरल और कर्नाटक में प्रचलित है.

भगवान श्री कृष्ण के बारे में कहा जाता है कि उनकी 16100 पत्नियां थी लेकिन यह तथ्य गलत है भगवान श्रीकृष्ण की मात्र 8 पत्नियां थी श्री.  कृष्ण जी की जीन 16000 पत्नियों के बारे में कहा जाता है दरअसल वे सभी नरकासुर के यहां बंधक बनाई हुई महिलाएं थी जिनको भगवान श्रीकृष्ण ने मुक्त करवाया था.

      वो सभी महिलाएं किसी की मां थी किसी की बहन और किसी की बीवी थी जिनको नरकासुर अपहरण करके अपने यहाँ बंदी बनाए हुए था सभी महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन् सभी को अपनी पत्नियां होने का दर्जा दिया था.

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