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हरियाली के हत्यारे:सागौन के जंगल काट खेत बना रहे वन माफिया

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बुरहानपुर

 प्रमोद कुमार

बुरहानपुर मुख्यालय से मात्र 20 किमी पर पर कागज फैक्ट्री के लिए मशहूर नेपानगर है। इससे 7 किमी दूर सिवल ग्राम पंचायत से सागौन का जंगल है। यहां के जंगल में वन विभाग या सरकारी किसी भी टीम का जाना मना है। तीर-कमान, कुल्हाड़ी, गोपन लिए आदिवासी हमले के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वन अमले पर सबसे ज्यादा बार हमला यहीं हुआ है। जैसे ही हम सिवल से जंगल के अंदर जाने लगे तो स्थानीय निवासी पांडुरंग बोले- हाथ जोड़कर निवेदन है, जंगल में मत जाओ, तीर कब-कहां से आ जाएगा पता भी नहीं चलेगा।

हमने घाघरला से सरपंच रतनलाल-आदिवासी समुदाए के कुछ लोगों को साथ ले लिया। हम सिवल से जंगल में उतरे। करीब एक किमी चलने पर ही सैकड़ों साल पुराने पेड़ों के ठूंठ दिखाई देने लगे, जो करीब 15 किमी तक थे। स्थानीय आदिवासियों और वन अफसरों के मुताबिक फूल सिंह जैसे इनामी माफिया हैं। आदिवासियों को बरगला कर इन्हाेंने अब तक बड़वानी, खरगौन के जंगल साफ कर दिए। अब खंडवा-बुरहानपुर की स्थिति आपके सामने है। कई ठूंठों को जला दिया गया था तो कुछ जगहों पर तो ट्रैक्टर चलाकर हांक दिया था। सिवल से 5 किलोमीटर बाकड़ी। बाकड़ी से साईंखेड़ा, हिवरा, नखरा होते हुए 15 किलोमीटर जंगल में चलते हुए घाघरला के जंगलों में पहुंचे। पूरे रास्ते जंगल के नाम पर बस जले हुए पेड़ों के ठूंठ ही थे।

स्थानीय आदिवासी बताते हैं कि नबंबर से 3 मार्च तक यहां सैकड़ों की संख्या में पहुंचे माफिया के कारिंदों (आदिवासी ही) ने खुलेआम जंगल को तबाह कर दिया। घाघरला के उमाकांत बताते हैं कि वन विभाग से लेकर प्रशासन को सूचना देते रहे। सिवल के पांढुरंग सीताराम और साईंखेड़ा के रतन सिंह मखराम चौहान कहते हैं कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग को भी 4 हजार से ज्यादा शिकायत कर चुके हैं। आदिवासियों के जंगल काटने से तीन दिन पहले हमें गोपनीय सूचना मिल जाती है। अधिकारियों को बता भी देते हैं लेकिन कोई सामने नहीं आता। जंगल काटने वालों को पता है कि चुनावी साल है तो उन पर कोई गोली नहीं चला सकता।

  • सागौन के जंगल काट खेत बना रहे वन माफिया
  • पूरे रास्ते जंगल के नाम पर बस जले हुए पेड़ों के ठूंठ ही ठूंठ
  • आतंक ऐसा कि वन अमला चौकी तक नहीं पहुंच पाता

माधुरी बेन बोलीं- फोर्स लगा दो

सीसीएफ और आदिवासी कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप की दौर चल रहा है। सीसीएफ खंडवा का कहना है कि आदिवासी कार्यकर्ता माधुरी बेन के इशारे पर अतिक्रमणकारी जंगल को काट रहे हैं और कब्जा कर रहे हैं। ये बात सरकार के संज्ञान में लाई जा चुकी है। वहीं माधुरी बेन का कहना है कि जंगल की तबाही रोकने हम सरकार से लेकर लोकल प्रशासन को भी पत्र लिख चुके हैं। पिछले 6 महीनों में वन विभाग के इशारे पर जितना जंगल कटा है, उतना पहले कभी नहीं कटा।

5 महीने में वन अमले पर 7वां हमला

बुरहानपुर में 2 महीने में ही वन अमले पर 5 बार हमले हो चुके हैं। 11 मार्च को हमले में 14 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 2 मार्च को वन विभाग के ऑफिस में हमला करके 4 आरोपियों को छुड़ा ले गए थे। 28 नवंबर को बाकड़ी वन चौकी पर हमला कर 17 बंदूक और 652 कारतूस लूट लिए थे। 9 दिसंबर को सीसीएफ-डीएफओ के काफिले पर हमला कर दिया था। 19 एवं 21 अक्टूबर को अतिक्रमण हटाने गए वन अमले पर हमला हुआ। 11 अक्टूबर को जामुन नाला के पास हमले में रेंजर सहित 8 वनकर्मी घायल हुए थे।

सात माफिया; दो जिलों के जंगल साफ करने के बाद अब बुरहानपुर में

सीसीएफ, जंगल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे पांढुरंग, शौकत अली, उमाकांत, रतन सिंह और नंदकिशोर के मुताबिक जंगल पर कब्जा करने के लिए पास के जिलों से सैकड़ों की संख्या में लालच देकर लोगों को लाते हैं। इन सब का सरदार 50 हजार का इनामी फूल सिंह है। वो नावड़िया सरदारों का सरदार कहलाता है। कब्जाई जमीन का अवैध सौदा होता है। जैसे कि एक हजार हेक्टेयर पर कब्जा करने के बाद इनका जुबानी करार होता है। जिसे जुबान देते हैं उससे रुपया लेकर जमीन छोड़कर दूसरी जमीन पर कब्जा करने के लिए निकल जाते हैं। फूल सिंह- नावड़ियों (नवाड़ मतलब अतिक्रमण करने वाले) के सरदारों का सरदार। 50 हजार का इनामी। तीन गाड़ियों के काफिले में चलता है – रेमला- ठाठर क्षेत्र में आतंक। ये भी जंगल काटने के लिए बाहर से आदिवासियों का झुंड लेकर आता है। – नंदराम एवं नांदला- बाखड़ी क्षेत्र में वन कटाई में संगठित अपराध का पर्याय। 9 दिसंबर को गिरफ्तार नंदराम 30 हजार का इनामी रहा है। – लीलाराम/मन्नू/रेव सिंह-नावड़ियां सरदार हैं जो वन भूमि पर कब्जा करवाता है। कई मामले दर्ज हैं।

कुछ सालों पहले यही बड़बानी, खरगौन में हो रहा था जो अब बुरहानपुर में होने लगा है। हम जितना सपोर्ट कर रहे हैं उतना वन विभाग का कहीं नहीं मिल सकता। 300 लोगों का फोर्स और एक एसएएफ की कंपनी वन विभाग के पास है। हम घाघरला का अतिक्रमण बिना एक भी गोली चलाए 3 बार हटवा चुके हैं। हमने उन्हें भी चिन्हित कर लिया है जो बाहर से आकर अतिक्रमणकारियों का साथ दे रहे हैं।’
-राहुल लोढ़ा, एसपी

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