पथिक मनीष
दीपिका पादुकोण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. जब एसएस राजामौली की फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू नाटू’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिल रहा था, तब दीपिका भी ताली बजा रही थी, लेकिन उनकी आंखों में खुशी के आंसू भी थे क्योंकि उन्हें भी हर भारतीय की तरह गर्व महसूस हो रहा होगा.
मेरे मन में दीपिका को लेकर हमेशा से ही सॉफ्ट कॉर्नर रहा है. बीते एक दशक में मुझे कोई उससे बेहतर नहीं लगी. वो इसलिए नहीं कि वो बेहतरीन अदाकारा है, वो इसलिए कि पर्दे के बाहर दीपिका एक मजबूत शख़्सियत है. दीपिका को जितनी शोहरत मिली है, इससे कहीं ज़्यादा उसे आलोचनाओं और विवादों ने तोड़ा. लेकिन उसने ज़िंदगीं के रंगमंच पर अपना किरदार और सशक्त ही नहीं किया बल्कि बिखरने और निखरने के बीच उसने निखरना चुना.
‘दम मारो दम’ गाने पर हुए विवाद से लेकर पद्मावत तक दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकी तक दे दी गई थी. आज वही दीपिका भारत के नाक को दुनिया में ऊंचा कर गई. याद है मुझे जब दीपिका का जेएनयू जाना, कैसे उसकी फिल्म छपाक को बॉयकॉट करने के लिए भक्तों की पूरी लॉबी लग गई थी. हाल ही में पठान के बेशर्म रंग गाने का विवाद. सब कुछ याद रखा जाना चाहिए. वो इसलिए नहीं वो सफलता के शिखर पे है इसलिए जो लड़ते है वो मिसाल बनते है. आज दीपिका का क़द ऐसा ही है.
निजी ज़िंदगी में इससे इतर उसने एक दौर ऐसा भी देखा है जब हर दिन एक चुनौती की तरह था और हर सेकंड एक संघर्ष. जब वे डिप्रेशन से गुजर रही थीं तो रोईं, घबराईं और उदास रहीं पर टूटी नहीं. सही इलाज और सकारात्मक रुख से इस अभिशाप से बाहर निकलीं और हरा दिया डिप्रेशन को. अच्छा लगता है जब वो इसपे खुल के अब बात करती है.
वो कल भावुक इसलिए थी क्योंकि भावुक हो जाना एक स्त्री और ज़िंदा इंसान होने की निशानी है. नफरत को हवा देना इंसान के मर जाने की निशानी है. सड़ चुके समाज के इन्हीं मरे हुए लोगों ने ट्रोल की भाषा में उसे रंडी कह गये थे, याद है मुझे.
समय के साथ सब भुला दिये जाते हैं. ये नहीं भूलना है कि भारत में नायक पूजे जाते हैं नायिकाएं नहीं. नायिकाओं (लड़कियों) का वजूद ज़िंदा रहे इसलिए दीपिका के लिए लिखा जाना चाहिए, बोला जाना चाहिए, कहा जाना चाहिए. ये प्यार ये हौसला दीपिका के लिए नहीं हर उस नायिका के लिए है, हर उस लड़की के लिए है, जो दीपिका है, जिनमें दीपिका है.