नई दिल्ली। मुंबई की महिला आईएएस अधिकारी निधि चौधरी द्वारा किए गए गांधी-विरोधी ट्वीट को लेकर विवाद पैदा हो गया है। अधिकारी ने पूरी दुनिया से महात्मा गांधी की प्रतिमाएं हटाने और भारतीय मुद्रा से उनकी तस्वीर हटाने की बात कही थी। उन्होंने राष्ट्रपिता के नाम वाली सड़कों और संस्थाओं का नाम बदलने की भी मांग की थी और गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को धन्यवाद कहा था। निधि चौधरी ने अपने ट्वीट में लिखा था कि हम गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं, इससे बढ़िया मौका क्या हो सकता है कि हम अपने नोटों से उनकी तस्वीर हटा दें। दुनिया भर से उनकी मूर्तियां हटा दें। निधि ने गोडसे को शुक्रिया अदा करते हुए लिखा, ‘थैंंक्यू गोडसे 30.1.48 के लिए। इस ट्वीट के लिए निधि चौधरी की खूब आलोचना हुई। इसके बाद उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है।
बाद में हटाया ट्वीट, दी सफाई ट्वीट को हटाने के बाद निधि चौधरी ने कुछ घंटे पहले के ट्वीट करके इसके बारे में सफाई दी। उन्होंने कहा, ’17 मई को गांधी जी पर किए पोस्ट को मैं डिलीट कर दी हूं क्योंकि कुछ लोग इसे गलत तरीके से ले रहे हैं। जो लोग मुझे साल 2011 से ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं वो मेरी गांधी जी के बारे में भक्ति को जानते हैं। मैं उनका अपमान कभी नहीं कर सकती हूं। मैं आखिरी दम तक उनका सम्मान करती रहूंगी।’
एनसीपी की मांग, IAS निधि को सस्पेंड करे सरकार महाराष्ट्र की आईपीएस अधिकारी निधि चौधरी के ‘थैंक्यू गोड़से’ वाले ट्वीट के बाद विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुंबई नगरपालिका में स्पेशल जॉइंट कमिश्नर के रूप में काम करने वाली निधि को तुरंत सस्पेंड करने की मांग की गई है। एनसीपी ने इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान बताया है। एनसीपी के पार्षद जितेंद्र अवहड़ ने ऐतराज जताते हुए कहा कि हम सेवारत आईएएस अधिकारी के तुरंत सस्पेंशन की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि कैसे एक आईएएस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का इस तरह से अपमान कर सकती है? एनसीपी पार्षद के अनुसार निधि का ट्वीट नौकरशाहों के सर्विस कंडक्ट रूल के नियमों की दृष्टि से आपत्तिजनक है।
निधि पहली बार विवादों में नहीं रही हैं इससे पहले भी निधि सरकार राज्य सरकार के उपर कई तरह के आरोप लगा चुकी हैं। 2017 में उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि पूर्व विधायक विवेक पंडित के नेतृत्व में श्रमजीवी संघटना के लोगों ने उन्हें 3 घंटे तक बंधक बना कर रखा। उन्हें जरूरी मीटिंग में नहीं जाने दिया। निधि ने अपने ट्वीट के जरिये व्यवस्था पर भी सवाल उठाया है कि उस दौरान सिर्फ कुछ पुलिस वाले उनकी मदद के लिए थे जबकि जिले के कलेक्टर का दफ्तर पास में ही है। वहां पालक मंत्री भी थे।