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कुछ भी नही मिलेगा बिना संघर्ष के

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,मुनेश त्यागी

ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के
अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के,
बिन लड़े कुछ भी नहीं मिलता यहां ये जानकर
अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे देश के।

  मानव इतिहास गवाह है कि मनुष्य ने इस दुनिया में प्रकृति और समाज से, जो भी जो कुछ भी हासिल किया है, वह सब लगातार संघर्ष के बाद और संघर्ष के बल पर, लड़ाई लड़कर ही हासिल किया है। मानव समाज गुलाम व्यवस्था, सामंती व्यवस्था और पूंजीवादी व्यवस्था से लगातार संघर्षों के बल पर समाजवादी व्यवस्था में पहुंचा है, जहां उसने अपनी रोजी-रोटी शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार हासिल करने में सफलता पाई है। रूस चीन वियतनाम कोरिया क्यूबा बोलीविया कोलंबिया आदि देशों में क्रांति करके वह अपना भाग्य विधाता यानि अपना उद्धारक भी बन बैठा है, जहां उसने हजारों साल पुराने शोषण जुल्म अन्याय भेदभाव और गरीबी का खात्मा और विनाश भी कर डाला है।

      किसानों, मजदूरों और जनता के लगातार संघर्षों के बाद ही, हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से निजात पा पाया था। आजाद भारत में भी किसानों मजदूरों ने अपने अविरत संघर्षों के बल पर ही बहुत कुछ पाया है। वर्तमान समय में भारतीय समाज 1991 के उदारवादी सुधारों के लागू होने के बाद, अपने संघर्षों में लगातार हार के मुंह देखने को बाध्य था।

    मगर हमारे देश के किसानों मजदूरों ने लड़ना नहीं छोड़ा, संघर्ष करना नहीं छोड़ा। पिछले दो सालों से लगातार संघर्षों के बाद, भारत के किसान चार किसान विरोधी कानूनों को वापस कराने में सफल हुए। उसके बाद पिछले दो-तीन महीनों के भीतर लगातार भीषण संघर्षों के बाद, महाराष्ट्र के जुझारू किसान, मजदूर और मजदूरिनें अपने मजबूत संगठनों और लगातार संघर्षों के बाद, अपने इन जुझारू अभियानों में सफल हुए हैं और महाराष्ट्र की सरकार को अपनी मांगे मनवाने के लिए मजबूर किया और उन्होंने अपने संघर्षों के बल पर अपनी सारी मांगे सरकार से मन वाली हैं

      आज के सफल आंदोलन में महाराष्ट्र के किसानों मजदूरों को अपनी फसलों और वेतन वृद्धि कराने में महान सफलता मिली है। महाराष्ट्र के किसानों और मजदूरों ने अपने मजबूत संगठन  और लगातार संघर्षों के माध्यम से, महाराष्ट्र की सरकार को पिछले दो महीनों में  दो बार हराने में सफलता प्राप्त की है और इस संघर्ष और संगठन के बल पर महाराष्ट्र की सरकार को किसानों और मजदूरों की वाजिब मांगों को मानना खड़ा है।

      आज चौथी घटना भारत की महिला पहलवानों के संघर्ष से जुड़ी हुई है। उनका दैहिक शोषण हुआ। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की मांग की, उन्हें सफलता नहीं मिली। मगर उन्होंने लड़ने और संघर्ष करने का मादा नहीं छोड़ा। फिर उन्होंने धरने का सशक्त माध्यम अख्तियार किया। देश, दुनिया और भारत के समाज ने इस आंदोलन को देखा, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से उनकी मांगों का समर्थन किया। बहुत सारे लोग किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, महिलाएं, बुद्धिजीवी, वकील, जज, लेखक, कवि उनके समर्थन में, देश दुनिया में जुट गए।

       यहीं पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की गंभीरता को जांचा और परखा। जनविरोधी, बेईमान और असंवेदनशील शासन प्रशासन को इस आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट की शक्ति और सख्ती के आगे झुकना पड़ा। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सामने आज दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी है कि वह आरोपी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने जा रही है।

      ये चारों संघर्ष, हमारे देश के जन संघर्षों की वर्तमान समय की, सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जीत हैं। देश और दुनिया के पटल पर देखा जाए तो 1991 के बाद संघर्ष कर रहे मजदूरों किसानों को अपनी मांगे मनवाने में सफलताएं नहीं मिली थीं। वे लगातार संघर्षों  के मैदान में डटे रहे, मगर उन्हें बार बार हार का मुंह देखना पड़ा।

       ये चारों आंदोलन, किसान मजदूरों और पीड़ित जनता के सशक्त संगठनों और जुझारू संघर्षों की जबरदस्त जीत के बहुत ही महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। हमने शोषण अन्याय बेईमानी और सांप्रदायिकता के बढ़ते इस माहौल में बहुत सारे लोगों को हताश और निराश होते हुए देखा है और उनको यह कहते हुए सुना है कि अब यहां कुछ नहीं होने वाला है, सब ऐसे ही चलेगा। इन संघर्षों के विजय अभियानों से उदासीन और पस्त हिम्मत जनता, कार्यकर्ताओं और नेताओं को सबक लेने की बहुत बड़ी जरूरत है। ये सारे संघर्ष इस बात को सिद्ध करते हैं और बहुत सारे सवालों का जवाब देते हैं कि हम अपनी सारी समस्याओं का हल करा सकते हैं, निदान करा सकते हैं, बशर्ते कि हमारे पास ईमानदार और पढ़ा-लिखा नेतृत्व हो, मजबूत संगठन हो और अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए जागरूक जनता हो, जो संघर्ष के मैदान में आकर अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़  संकल्पित हो।

     यह हम सब के लिए फख्र और बेहद खुशी की बात है कि भारतीय इतिहास अपने को फिर से दोहरा रहा है और वह बता रहा है कि यहां पर हमें जो कुछ भी मिला है, वह लड़कर, संघर्ष करके और मजबूत संगठन बनाकर और मजबूत, ईमानदार और पढे लिखे नेतृत्व और जागरूक व संघर्षरत जनता के संघर्षों के बल पर ही मिला है। हम यहां पर बहुत ही मजबूती से कहेंगे कि यहां बिना लड़े कुछ भी मिलने वाला नहीं है और हमें यहां जो कुछ भी मिलेगा, वह केवल संगठित, जुझारू और एकजुट संघर्ष के बल पर ही मिलेगा। इस खुशी के मौके पर हम कहना चाहेंगे,,,,,,

   

कदम मिला ले, हाथ बढ़ा ले, योग मिला ले
ताल मिला ले, थाप लगाले, नक्षत्र मिला ले
संघर्ष करेंगे, लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे आ साथी।

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