मंजुल भारद्वाज
वो सरेआम डंका पीटता है
ऐलान करता है
चुनावी सभा हो
या
संसद
सरेआम झूठ बोलता है !
उसने कहा
विकास करूँगा
एक आदमी, एक संघ
और एक पार्टी का विकास किया
जहाँ चटाई नहीं थी
आज वहां सात सितारा दफ्तर है !
उसने संसद की दहलीज़ को छुआ
संसद को मंदिर कहा
आज वो उसका भगवान है
संसद मौन है
जनता में त्राहिमाम
ज़िन्दा संसद अब श्मशान है !
उसने संविधान को नमन किया
और
संख्याबल से उसको
खिलौना बना लिया
अब बहुमत उसकी सनक है
संविधान सलीब पर सिसक रहा है !
उसने ऐलान किया
दम है तो बेटियों को बचा लो
आज
देश का नाम रोशन करने वाली
बेटियाँ सड़क पर हैं
और उसके गिद्ध
उनका जिस्म नोंच रहे हैं !
उसने एक विकास मॉडल को बेचा
प्रदेश के नरसंहार को
देश का मॉडल बना दिया
47 लाख देशवासियों को मार कर
देश को श्मशान और कब्रिस्तान बना दिया !
उसने हमेशा सरेआम झूठ बोला
आपने उसे सच समझा
आपने उसको नहीं समझा
वो जो बोलता है
उसका उल्टा करता है
उसने कहा देश सुरक्षित हाथों में है
चीन देश के भीतर घुस गया
सबसे ज्यादा सैनिकों की शहादत हुई
और वो चीन का नाम लेने से
थराता है
मंत्री से बयाँ दिलवाता है
हम चीन से नहीं लड़ सकते !
झूठ उसकी जीत का मन्त्र है
तुम्हारी भूलने की आदत
उसकी ताक़त है
तुम्हारे अन्दर भारतीय की बजाय
हिन्दू होने की ललक
उसका ब्रह्मास्त्र है
जिसका उपयोग वो
तुम्हें ही ख़त्म करने के लिए करता है !
भीख मांग कर जीना
उसकी तपस्या है
झूठ को सच की तरह बोलना
उसकी सिद्दी है
वो चाहता है
आप 35 साल भीख मांगे
और
फिर देश के प्रधानमंत्री बने
इसलिए कोरोना काल में
अस्पताल बनाने की बजाय
राम मन्दिर बनवाया है
ताकि आपको दर दर नहीं
मन्दिर के बाहर भीख मिलती रहे !
सच यह
आप भारतीय होने की बजाय
गर्व से हिन्दू होना चाहते हैं
आपके इस छद्म को
वो समझता है
झूठ यह है कि
आप उसको नहीं समझते !