अग्नि आलोक
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निर्विघ्न

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मैं निर्विघ्न खाना खा रहा हूं
तो यह यूं ही नहीं है
यह एक ऐतिहासिक बात है
ऐसा न हो कि मेरे बाबा की तरह
मेरे मुंह से भी कोई कारिंदा
रोटी का कौर छीनने आ जाए

मेरे लिए गांधी उपवास पर रहे
मैं निर्विघ्न पढ़ रहा हूं
तो यह यूं ही नहीं है
ख़ास तौर से एक जातिवादी देश में
सदियों जिसमें अधिकांश जातियों को
पढ़ने-लिखने से रोक कर रखा गया
ज्योतिबा, सावित्रीबाई
नाना भाई, सेंगा भाई
अंबेडकर जैसे कितने ही लोगों ने
मेरे लिए यातनाएं झेली हैं
तब जाकर मेरा पढ़ना-लिखना संभव हुआ है
हम देर रात
विश्वविद्यालय की सड़कों पर
निर्विघ्न टहलते थे

चर्चाएं किया करते थे
गर्म बहसें हुआ करती थीं
और कोई गिरोह

हमें देशद्रोही कहने नहीं आता था
तो यह यूं ही नहीं था
बहस-मुबाहिसे की रवायत
विश्वविद्यालयों में क़ायम हो
और मैं उनमें अपने विचारों के साथ खड़ा रह सकूं
मेरे लिए जवाहर जेल में रहे

मैं जीवन का जितना भी हिस्सा
निर्विघ्न जी सका
उसके पीछे ‘निर्विघ्नं कुरू मे देव
सर्व कार्येषु सर्वदा’
जैसा कोई श्लोक नहीं
लोकशाही के लिए संघर्ष करने वालों का
सुदीर्घ इतिहास रहा

  • प्रभात
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