Satya Vyas सर की कलम
Never scoff a Genius
मोहम्मद अज़हरुदीन। जिनके बारे में जनश्रुति यह थी कि यदि वह विकेट से भी बल्लेबाजी करे तो अपना विकेट बचा लेगा।
मोहम्मद अज़हरुद्दीन। जो अगर मैच फिक्सिंग में मुब्तिला न होते तो वह मुक़ाम पाते जो उनको देय थी।
मोहम्मद अज़हरुदीन। जिसने देश को पहली दफा बताया कि रनों से कम बॉल खेलकर भी शतक लगाये जाते हैं।
वही मोहम्मद अज़हरुद्दीन 1996-97 के सत्र में भारत आयी दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध सचिन तेंडुलकर की कप्तानी में खेल रहे थे। दोनों ही एक दूसरे से नाखुश।
बहरहाल, ईडन गार्डन के मैदान में दूसरे टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 428 रन बनाये, जिसके जवाब में भारत ने बल्लेबाजी शुरू की तो तीन विकेट मात्र 77 रन तक गंवा दिए।
मैदान पर थे कप्तान सचिन और पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन। चौका लगाने या ओवर के बीच भी दोनों के बीच न के बराबर बातचीत। कभी कभी ओवर खत्म होने पर दोनों अपनी क्रीज से चार कदम बढ़ते और फिर पिच पर बल्ला खटखटाकर वापस अपनी क्रीज में लौट जाते।
भारत ने दस रन और जोड़े और जब स्कोर 87 पहुंचा तो ब्रायन मैकमिलन की एक गेंद अज़हर के हाथ पर लगी और वह चोटिल हो गए। फिजियो आये और वह उनके साथ ही पवेलियन लौट गए। देखने वाले कहते हैं कि चोट मामूली थी; मगर नश्तर का दर्द मुर्गा ही जानता है, सो यह बहस छोड़ देते हैं।
किस्सा कोताह, अज़हर पवेलियन लौटे और आराम करने लगे। टीम के मैनेजर मदन लाल हर विकेट के बाद पूछते रहे कि उनकी चोट कैसी है और हर विकेट के बाद अज़हर उन्हें टालते रहे।
स्कोर 87 पर 3 विकेट से 161 पर 7 विकेट हो गया तो मदन लाल की मजबूरी बन गयी। उन्होंने सचिन से मंत्रणा के बाद जाकर अज़हर से कहा कि उन्हें अब मैदान में जाना चाहिए और कम से कम आज का दिन निकाल देना चाहिए।
अज़हर ने फिर चोट का हवाला दिया और कहा कि वह खेलने की स्थिति में नहीं हैं। मद्दी पाजी ने अबकी थोड़े कठोर शब्दों में ही फैसला सुनाया- जो हो! जाना तो पड़ेगा।
तमतमाये अज़हर एक हाथ से बल्ला लिए उतरे और बिना किसी से बात किये बल्ला चलाने लगे। वाज़िद अली शाह के उस दर्जी की तरह जो चिराग के तेल खत्म हो जाने के बावजूद अंधेरे में ही सही पाँयचा काट देता था।
अज़हर के इस गुस्से का शिकार तो जद में आये सभी गेंदबाज हुए; मगर सबसे बुरी गत बनी लांस क्लूजनर की।
लांस को एक ही ओवर में अज़हर ने लगातार 5 चौके मारे। इसी के तीसरे चौके में विश्व ने पहली दफ़ा हेलीकॉप्टर शॉट पर गौर किया, जिसे बाद में महेंद्र सिंह धोनी ने प्रसिद्ध किया।
बताने वाली बात अब हुई। अज़हर ने सम्भवतः 77 गेंद पर शतक जमा दिया। यह भूलकर कि उन्हें दिन बचाना था। उन्हें टेस्ट बचानी थी। अज़हर ने शतक लगाया और फिर पवेलियन की तरफ तर्जनी हिलाते हुए मदन लाल को चेतावनी दी। पैवेलियन बहरहाल खड़े होकर उनके लिए तालियाँ बजाता रहा। आगे नौ रन जोड़कर अज़हर ठीक उसी तरह गेंदबाज को कैच थमा बैठे जो वह पिछले दो साल से करते आ रहे थे। उन्होंने अपनी खीझ उतार ली थी।
भारत वह टेस्ट पता नहीं कितने तो रनों से हार गया था।
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सत्य व्यास, लेखक- (चौरासी, 1931, बागी बलिया, उफ्फ कोलकाता, मीना, बनारस टॉकीज, दिल्ली दरबार)