इस तरह से तो मणिपुर हाथ से निकल जायेगा..
रेबोर्न मनीष
वाह, क्या चिंता है भारत की एकता अखंडता की।
इस तरह की चिंताये करने वालो को सोचना चाहिए कि जिस चीज को सम्हाल नहीं सकते, संवार नही सकते, खुश न रख सकते, उस पर अधिकार क्यों चाहिए??
कश्मीर हो, मणिपुर हो, पंजाब हो, दक्षिण हो, असम हो, या कोई और इलाका। उसे भारत से जोड़े रखने के पीछे कब्जे की नीयत अधिक लगती है। आप एक धर्म की सुपिरियरटी, एक कल्चर की सुप्रीमेसी, एक भाषा की उच्चता चाहते हैं।
ऐसे में बहुरंगी, बहुभाषी देश मे एकता और शांति तो हो ही नही सकती। तो जाने दीजिए। छोड़ दीजिए। आप अपने मे खुश रहिये, उन्हें अपने मे रहने दीजिए।
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और अगर एकता चाहते ही हैं, तो उनकी विशिष्ठ पहचान को मान्यता दीजिए, इज्जत दीजिए। उस पर अपनी सोच न थोपिए। उन्हें परिवार का हिस्सा होंने का अहसास दिलाइये।
इंटरनेट बैन की वजह से जो घटनाएं सामने नही आ सकी, अब आ रही हैं। ऐसी घटनाएं है कि वीडियो पूरा देखा नही जा रहा। अब समझ आ रहा है कि क्यो प्रधानमंत्री की हिम्मत नही हो रही वहां कदम रखने की।
एक भी शब्द कहने की।
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जिंदा देश होता तो अभी तक 20 लाख की भीड़ को विजय चौक पर जमा हो जाना चाहिए था। मगर यह स्वार्थ से भरा, डरपोकों का देश है। अंदर अंदर वीडियो फार्वर्ड हो रहे हैं, निजी में चीत्कारें भरी जा रही है। घटना कारित करने वाले वर्दी में भी हैं। तो कुछ को गर्व भी हो रहा होगा।
ऊपर सब कुछ शांत..
-अभी वन रैंक वन पेंशन होता
-मंडी के भाव का मामला होता,
– डीए भत्ते बढ़वाने होते,
……… तो कर्मचारी किसान व्यापारी सैनिक सारे दिल्ली घेर लेते।
मगर मणिपुर के लिए कोई निकलेगा नही।
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तो मणिपुर क्यो भारत का हिस्सा होना चाहिए??