अग्नि आलोक
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*कहानी : तीन प्रश्न*

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         ~ रीता चौधरी 

    एक बार एक राजा ने अपने मन्त्री से पूछा कि तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी इच्छा क्या है? 

      मन्त्री ने राजा से कहा महाराज आप इतनी बड़ी राज्य के मालिक हैं और जब भी मैं यह देखता हूँ तो मेरे दिल में ये चाह जाग्रत होती हैं कि काश मेरे पास इस राज्य का यदि छोटा सा हिस्सा ही होता तो मैं इस दुनिया का बड़ा खुशनसीब इंसान होता।

         राजा ने कहा कि यदि मैं तुम्हें अपना आधा राज्य दे दूँ तो। मन्त्री घबरा कर बोला सरकार ये कैसे सम्भव है ?  राजा ने दरबार में मंत्री के नाम आधे राज्य के कागज तैयार करने की घोषणा की और साथ के साथ मंत्री की गर्दन धड़ से अलग करने का ऐलान भी करवाया। ये सुनकर मन्त्री बहुत घबरा गया।

          राजा ने मन्त्री की आँखों में आँखे डालकर कहा – “तुम्हारे पास तीस दिन हैं, इन तीस दिनों में तुम्हें मेरे तीन प्रश्नों का उत्तर देना है। यदि तुम सफल हो जाओगे तो मेरा आधा राज्य तुम्हारा हो जायेगा और यदि तुम मेरे तीन प्रश्नों के उत्तर तीस दिन के भीतर न दे पाये तो तुम्हारा सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा।” 

राजा ने कहा – “मेरे तीनों प्रश्न सुन लो”

1. इंसान की जिंदगी की सबसे  बड़ी  सच्चाई  क्या है ?

2. इंसान की जिंदगी का सबसे  बड़ा   धोखा  क्या है ?

3. इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है ?

      राजा ने तीनों प्रश्न समाप्त करके कहा तुम्हारा समय अब शुरु होता हैं। मन्त्री अपने तीनों प्रश्नों को लेकर दरबार से रवाना हुआ और हर संतो- महात्माओं- साधुओं के पास जाकर उन प्रश्नों के उत्तर पूछने लगा। मगर किसी के भी उत्तरों से वह संतुष्ट न हुआ। धीरे-धीरे दिन गुजरते हुए जा रहे थे। अब उसके दिन-रात उन तीन प्रश्नों को लिए हुए ही गुजर रहे थे। हर एक-एक गाँवों में जाने से उसके पहने लिबास फट चुके थे और जूते के तलवे भी फटने के कारण उसके पैर में छाले पड़ गये थे।

       अंत में शर्त का एक दिन शेष रहा, मन्त्री हार चुका था तथा वह जानता था कि कल दरबार में उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जायेगा और ये सोचता- सोचता वह एक छोटे से गांव में जा पहुँचा। वहाँ एक छोटी सी कुटिया में एक साधु अपनी मौज में बैठा हुआ था और उसका एक कुत्ता दूध के प्याले में रखा दूध बड़े ही चाव से जीभ से जोर-जोर से आवाज़ करके पी रहा था।

          मन्त्री ने झोपड़ी के अंदर झाँका तो देखा कि साधु अपनी मौज में बैठकर सुखी रोटी पानी में भिगोकर खा रहा था। 

     मंत्री ने पूछा क्या तुम मेरे प्रश्न के उत्तर दे सकते हो ? साधु ने हाँ में सिर हिलाया और कहा मैं आपके दो प्रश्नों के उत्तर मुफ्त में दूँगा मगर तीसरे प्रश्न के उत्तर में आपको उसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी।

          अब मन्त्री ने बिना कुछ सोचे समझे साधु की शर्त मान ली। साधु ने कहा तुम्हारे पहले प्रश्न का उत्तर है, “मौत”। 

इंसान के जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई मौत हैं। मौत अटल हैं और ये अमीर-गरीब, राजा-साधु किसी को नहीं देखती है। मौत निश्चित है। अब तुम्हारे दूसरे प्रश्न का उत्तर है, “जिंदगी”।

 इंसान की जिंदगी का सबसे बड़ा धोखा हैं जिंदगी। इंसान जिंदगी में झूठ-फरेब और बुरे कर्मं करके इसके धोखे में आ जाता है। अब आगे साधु चुप हो गया।

 मन्त्री ने साधु से वचन के अनुसार शर्त पूछी, तो साधु ने मन्त्री से कहा कि तुम्हें मेरे कुत्ते के प्याले का झूठा दूध पीना होगा।

          मन्त्री असमंजस में पड़ गया और कुत्ते के प्याले का झूठा दूध पीने से इंकार कर दिया। मगर फिर राजा द्वारा रखी शर्त के अनुसार सिर धड़ से अलग करने का सोचकर बिना कुछ सोचे समझे कुत्ते के प्याले का झूठा दूध बिना रुके एक ही सांस में पी गया। साधु ने उत्तर दिया कि यही तुम्हारे तीसरे प्रश्न का उत्तर हैं। “मजबूरी” इंसान की जिंदगी की सबसे बड़ी कमजोरी है “मजबूरी”। मजबूरी इंसान को न चाहते हुए भी वह काम कराती है जो इंसान कभी नहीं करना चाहता है। जैसे तुम !

          तुम भी अपनी मौत से बचने के लिए और तीसरे प्रश्न का उत्तर जानने के लिए एक कुत्ते के प्याले का झूठा दूध पी गये। मजबूरी इंसान से सब कुछ करा देती हैं।

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