अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

अपाहिज

Share

विवेक कुमार

बड़े से ऑफिस की लॉबी मे बहुत सारे आवेदको के साथ सीमा भी अपना नाम पुकारे जाने की प्रतीक्षा कर रही थी।

सभी आवेदक एक से बढ़कर एक स्मार्ट एंव बोल्ड दिखाई पड़ते थे।आत्मविश्वास से लबरेज़।

सीमा शांत बैठी थी लेकिन उसके मन में विचारों का सागर हिलोरें मार रहा था।

बैसाखी के सहारे चलने वाली सीमा की शैक्षिक योग्यता तो किसी से कम नहीं थी। पर ईश्वर ने उसे जो कमी दी थी  उसकी वजह से सीमा को कई बार साक्षात्कार में असफलता हाथ लगी थी।

यही कारण था कि सीमा सोच रही थी कि इतने स्मार्ट केंडिडेट्स के सामने क्या उसका चयन हो पाएगा या फिर अयोग्य ठहराई जाएगी।

क्योंकि दिव्यांगों के लिए नीतियां , आरक्षण तो बहुत बनाए जाते है, पर उनपर अमल नहीं किया जाता और समाज में भी उन्हें कमतर ही नापा जाता है।

“सीमा गुप्ता….अचानक अपना नाम सुनकर सीमा चौंकी।

“कौन है सीमा गुप्ता…..”चपरासी ने फिर पूछा।

“मैं हूँ… सीमा ने हाथ उठाकर जवाब दिया।

“ओह…. तुम हो….. चपरासी ने उसकी बैसाखी पर नज़र जमाते हुए कहा।

“तो चलो अंदर साब बुला रहे हैं,चपरासी बोला।

“जी….सीमा बैसाखी के सहारे उठते हुए बोली।

उठते हुए उसके हाथ से फाईल गिर गई,सीमा के माथे पर पसीना आ गया।

फाईल को उठाकर वह ऑफिस की तरफ चल दी।

“मैं अंदर आ सकती हूं सर,सीमा ने दरवाजे पर खड़े होकर पूछा।

“यस….कम इन…..अधिकारी ने जवाब दिया।

सीमा को देखकर अधिकारी के चेहरे का रंग बदला… जो सीमा ने साफ़ महसूस किया।

“बैठिए…अब आप रिलेक्स हैं…. अधिकारी ने पानी का गिलास सीमा की तरफ बढाते हुए कहा।

“नो , थैंक्स…. सीमा ने कहा और सीट पर बैठ गई।

सीमा ने अपनी फाईल अधिकारी की ओर सरकाई और कहा,दीस इज़ माय प्रोफाइल सर।

“ओके।

अधिकारी ने फाईल बिना खोले ही सीमा से पूछा”आपकी ये प्रॉब्लम जन्मजात है या किसी दुर्घटना वश।

सीमा सकपका गई…. साक्षात्कार में सबसे पहले ही इस सवाल का क्या औचित्य।

सीमा ने मन मे सोचा।फिर भी जवाब दिया…”सर , जन्म से ही।

“ओह…फिर तो आपको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा।

मैं समझ सकता हूँ कि दिव्यांगता इंसान को किस कदर तोड देती है… कदम कदम पर परेशानियो का सामना करना पड़ता है।

क्योंकि आप कितना ही परिश्रम क्यो न कर लो।

सौ प्रतिशत नही दे सकते,मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है पर माफ़ कीजिएगा,इस पद हेतु मै आपका चयन नही कर सकता।

अधिकारी सीमा को देखते हुए बोला”वैसे आप अट्रैक्टिव हैं,खूबसूरत हैं, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं आपके लिए करूंगा।

यह कहते हुए अधिकारी ने घंटी बजा कर कहा…नेक्स्ट।

“थैंक्स…. कहते हुए सीमा उठने लगी,घबराहट के कारण लड़खड़ा गई।

“अरेरेरे…सीमा जी…..अधिकारी ने लपककर सीमा को पकड़ लिया.. और बोला।

हम आपको गिरने नही देंगे सीमा जी।

सीमा ने एक ही पल मे उसको दूर छिटक दिया

“आपको मुझे संभालने की कोई ज़रूरत नहीं,मुझे खुद पर विश्वास है कि मैं कभी भी, कहीं भी नहीं गिरूँगी।

 गिरे हुए तो आप हैं…. मेरे दिव्यांग होने पर आपने बहुत हमदर्दी जताई…. और मुझे छूने मे एक पल नही लगाया।

मेरी योग्यता देखे बगैर मुझे अयोग्य घोषित कर दिया। सिर्फ इसलिए कि मैं अपाहिज हूँ।

अरे अपाहिज तो आप हो….दिमाग से …सोच से…चरित्र से…. सीमा ने पूरा ज़ोर लगाकर कहा… और ऑफिस से बाहर निकलने को मुड़ी।

सामने एक सज्जन खड़े थे।

“इस ऑफिस में मानसिक बीमारों की कोई ज़रूरत नहीं,छोटेलाल जी आज से इसी वक्त से आप कार्यमुक्त किए जाते हैं, वे सज्जन बोले।

इंटरव्यू लेनेवाले अधिकारी छोटेलाल सिर झुकाए कमरे से बाहर निकल गए।

“मिस सीमा…. आज से छोटेलाल जी का चार्ज आपको दिया जाता है,अब बाकी साक्षात्कार आप ही लेंगी, मैं इस कंपनी का मालिक मोहन कुमार।

आपसे मिलकर खुशी हुई,गुडलक,कहते हुए मोहन कुमार जी बाहर निकल गए।

सीमा हतप्रभ थी।खुशी के आँसू उसकी पलकों पर थे। उसने आँखें बंद की।और आंसुओ को ऐसे गालों पर ढुलका दिया,मानों ये उसके जीवन के आखिरी आँसू हो।

इत्मीनान से कुर्सी पर बैठते हुए,मेज़ पर रखी घंटी बजाते हुए, आत्मविश्वास से कहा….”नेक्स्ट।

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें