अग्नि आलोक
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जेबकट और गरीब

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एक जेबकट ने किसी गरीब की जेब काटली उसके पास इकलौता 2000 का नोट था…

वह सड़क पर बैठकर एक पेड़ के नीचे पट्टी पर रूआंसा बैठ गया उसके पास जो था वह लुट चुका था वापस घर जाने के लिए पैसे भी नहीं थे भूखा था सो अलग…

जेबकट भी समाजसेवी था पर था शातिर जेबकट..

जब उसने देखा उस आदमी के इर्द-गिर्द कुछ भीड़ इकट्ठा हो गई कोई भगवान की मर्जी है ऐसा कहकर दिलासा दे रहा था.

कोई कह रहा था इस सड़क पर मेरी भी जेब कट गई थी लेकिन एक सज्जन पुरुष ने मेरी सहायता की. ना ना प्रकार के लोग ना ना प्रकार की बातें….

एकाएक देवदूत बनकर जेबकट प्रकट हुआ..

बोला- भय्या क्या बात हो गई..

बेचारे के लोगों को बताते आंसू नहीं थम रहे थे…

उसने अपनी पूरी राम कहानी दोहरा दी…

जेबकट बोला- क्या जमाना आया है लोग गरीबों को भी नहीं छोड़ते, शहर में क्राईम बहुत बढ़ गया है…

जेबकट ने उसे 500 का नोट पकड़ाते हुए कहा भय्या मैं यही पास में रहता हूं मेरे पास यह इकलौता 500 का नोट है तुम रखलो…

बेचारे व्यक्ति ने ना ना करते 500का नोट लिया और चरण छूकर धन्यवाद दिया..

देखने वाली जनता भी कहने लगी कुछ लोगों में इन्सानियत अभी भी बाकी है और लगे तारीफ करने….

नोट:- इसका 200₹ सिलेंडर का कम करने से तनिक भी संबंध नहीं है

सत्यमेव जयते

बाबा जागेश्वर वाणी

निरक्षर भट्टाचार्य के अंगुठा से 🎤

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