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*ज्योतिषीय चिकित्सा में टोटके*

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       पवन कुमार ‘ज्योतिषाचार्य’

     “देवाधिदेव शिव से लेकर विवेकानंद तक सर्व-स्वीकारी हैं.  इनके अनुसार कुछ भी बिल्कुल असत्य नहीं होता. सत्य उसमे भी होता है, जो असत्य दिखता है. टोने-टोटकों का वैज्ञानिक महत्व चाहे नहीं हो, मनोवैज्ञानिक महत्व बहुत है. मनोविज्ञान भी विज्ञान है और स्वास्थ्य विज्ञान का तो आधार भी है. ज्योतिष भी स्वयं में एक विज्ञान है. यह अलग बात है की डपोरशंख धूर्तों ने ठगी के अपने व्यापार के लिए ज्योतिष का जनाजा लिकाल कर ऱख दिया है.”

       ~ डॉ. विकास मानव 

 परेशानी में व्यक्ति सब प्रकार का उपचार करता और करवाता है। जब सभी प्रकार की प्रचलित पद्धतियाँ काम नहीं करती तब व्यक्ति ओझा इत्यादि को संपर्क करता है।

     भूत, पिशाच, दैत्य, राक्षस, दैव्य, तंत्र, मन्त्र, यन्त्र, नजर इत्यादि दोषों से पीड़ित व्यक्ति का कहीं इलाज़ संभव नहीं होता है। ऐसे में इस प्रकार की व्याधियों में इलाज़ भी अलग प्रकार का होता है। ऐसे में टोटका विज्ञान का सहारा बहुत चमत्कारी होता है। टोटका विज्ञान को हमारे ऋषि मुनियों ने मानव कल्याण के लिए ही स्थापित किया.

       प्राचीन आयुर्वेद के रचनाकारों के ग्रंथों में भी इसका जिक्र किया गया है। उधारणार्थ  हारित मुनि द्वारा रचित हारित सहिंता (ईसा से 2000 वर्ष पूर्व रचित) में विषम ज्वर को उतारने का टोटका लिखा है।

  अपामार्गस्य मूलश्च निलिमूलमथापि वा।

लोहितेन तू सूत्रेण आमस्तकप्रमाणत:।।

वाम कर्णे कटिं बद्ध्वा ज्वरं हरति तृतीयकम।

    अर्थात अपामार्ग या नील की जड़ रोगी की लम्बाई जितने लाल धागे में बांध कर उसके बायें कान और कमर में बांधने से उसको विषम ज्वर से मुक्ति मिलती है।

*कुछ प्रभाव कारी टोटके :*

      स्थूल शरीर :

     रांगे की अंगूठी दाहिने हाथ की कनिष्ठा में धारण करने से मोटापे में कमी आती है।

  भूत बाधा :

    काले धतूरे की जड़ को रविवार के दिन बाजू पर धारण करने से भूत बाधा से मुक्ति मिलती है और भविष्य में भी रक्षा होती है।

 आधासीसी का दर्द :

    सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर किसी चौराहे पर जाकर दक्षिण की ओर मुंह करके खडे हो जांय। गुड को अपने दांतों से दो हिस्सों में काट दीजिए।गुड के दोनो हिस्सों को वहीं चौराहे पर फेंक दें और वापिस आ जांय।

    यह उपाय किसी भी मंगलवार से शुरू करें तथा 5 मंगलवार लगातार करें। लेकिन….लेकिन ध्यान रहे यह उपाय करते समय आप किसी से भी बात न करें और न ही कोई आपको पुकारे न ही आप से कोई बात करे।अवश्य लाभ होगा।

पीलिया निवारक शाबर मंत्र :

  ॐ नमो वीर बैताल असराल नरसिंहदेव। खादी तुखादी सुभाल पीलिया तो काटे।

झरे पीलिया रहे न एक निशान। जो यह जाय तो हनुमान की आन।

शब्द सांचा पिण्ड कांचा फूरो मन्त्र इश्वरो वाचा।।

     विधि : कड़वा तेल कांसे की कटोरी में डाल कर, रोगी के सिर पर रख उपरोक्त शाबर मंत्र पड़ते हुए दूब या नीम की पत्तियों से हिलाए। ये प्रक्रिया तब तक करें जब तक तेल पीला न हो जाये। इसी प्रक्रिया को दो तीन दिन दोहराये तो पीलिया बिलकुल जड़ से ख़त्म हो जायेगा।

*कुछ अन्य टोने-टोटके :*

    ~ किसी देवता की मूर्ति के सिर पर यदि कोई घास जमी हो तो उसे सिर पर रखने से सिर का दर्द समाप्त हो जाता है।

    ~ जिस जगह पर सर्प हो और सर्प भय हो उस जगह पर मोर का पंख जला दो सर्प उस स्थान से भाग जायेगा।

    ~ गिरने या किसी कारण से लगी चोट पर पन्ना रत्न को फेरने से चोट अति शीघ्र ठीक होने लगती है।

     ~ सुबह बिना अलार्म घडी के बिलकुल सही समय पर जागने के लिए, सोने से पूर्व तकिये के दाहिने ओर अपने हाथ से थप थपाकर कहे की हे मेरे हमजाद तू मुझे सुबह 5 बजे जगा देना। ऐसा तिन बार करे और सो जाये। चमत्कारिक रूप से सुबह 5 बजे आपकी नींद खुल जाएगी।

    ~ देहात का पुराने ज़माने में उपयोग में लिया जाने वाला एक टोटका जो की मक्खन निकलने के काम आता था। करना ये है की दूध, मलाई को मथते समय “मक्खन मक्खन जल्दी मैया, मांगन आये कृष्ण कन्हैया” इस मंत्र का जाप करने से मक्खन जल्दी और अच्छी मात्रा में प्राप्त होता है।

       ~ लम्बा चल रहा बुखार में शीघ्र लाभ प्राप्ति के लिए इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें।

     ~ बच्चे के बार बार बीमार पड़ने पर एक काला रेशमी डोरा लें। ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें।उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें। (चेतना विकास मिशन).

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