रूद्र रिछारिया
* आप सभी जानते है कि पहला भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में शुरू हुआ था .. इस आंदोलन का नेतृत्व गंधीजी ने किया था .. गांधीजी जी गुजराती थे ..
#लेकिन
* क्या आप जानते हैं , कि दूसरा भारत छोड़ो आंदोलन 2014 से शुरू हुआ .. इसके नेतृत्वकर्ता और भागीदार भी पहले आंदोलन के हम-प्रदेशी हैं .. नीरव , ललित , मेहूल भाई आदि आदि अनंत .,
इस आंदोलन में बैंको से लोन लेना पड़ता है फिर भारत छोड़कर विदेश रहने जाना पड़ता है .. इस आंदोलन के कुछ भागीदार ज़ालिम क़िस्म के होते हैं अर्थात् हज़ारो करोड़ का लोन लेकर भागते हैं और कुछ मिडिल क्लास टाइप डरपोक होते हैं जो सौ – दो सौ करोड़ के लोन में ही भारत छोड़ जाते हैं
कुछ आंदोलनकारी दयालु प्रवृत्ति के भी होते हैं जैसे ye संलग्न फ़ोटो वाले विजय शाह जी .. जो चाहते तो हज़ार करोड़ का लोन लेकर भी भाग सकते थे लेकिन बैंको और टेक्सपेयर के प्रति दयाभाव दिखाकर मात्र सौ करोड़ लेकर पत्नी सहित भारत छोड़ गये..
पहले भारत छोड़ो आंदोलन में सरकार आंदोलनकारियों का दमन करने में कोई कसर नहीं रखती थी लेकिन अबके वाले आंदोलन में आंदोलनकारी भारत छोड़ जाता है और सरकार बेचारी दमन करने का मौक़ा खो देती है ये बात अलग है कि एयरपोर्ट पर भारतीय अथॉरिटी की जाँच के बाद ही भारत छोड़ पाते हैं ..
#विशेष – कुछ राष्ट्रवादी एसे भी होते हैं जो इस वाले आंदोलन में भाग लेना नहीं चाहते अर्थात् बैंको से लोन तो लेते हैं और चुकाते भी नहीं है लेकिन वो देश छोड़ना भी नहीं चाहते .. उनके लिए ” राइट-ऑफ़ “ नामक व्यवस्था की गई है .. जिसे हमारे राष्ट्रवादी अर्थशास्त्री लोन माफ़ नहीं मानते बल्कि उम्मीद रखते हैं कि लोन वापिस आयेगा.. लेकिन ….
बाकी सब ठीक है….