~ डॉ. प्रिया
स्तन कैंसर अब कैंसर का सबसे आम रूप है और इसने सर्वाइकल कैंसर को भी पीछे छोड़ दिया है। स्तन कैंसर अब युवा स्त्रियाें में भी देखा जा रहा है। पचीस से चालीस वर्ष की महिलाओं में स्तन कैंसर की अधिक पहचान की जा रही है। इसका कारण बीमारी के प्रति बढ़ती जागरूकता को भी माना जा सकता है, लेकिन आनुवांशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक भी इसमें कारण हो सकते है।
इसलिए दुनिया भर में ब्रेस्ट कैंसर के संकेतों और लक्षणों पर लगातार शोध हो रहे हैं। अब स्तन में गांठ के अलावा कुछ और संकेत भी सामने आए हैं, जिनसे ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
इसके कुछ लक्षण है जो ब्रेस्ट में गांठ से पहले दिखते है जिससे आप इसे पहचान सकते है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी कॉम्प्रिहेंसिव कैंसर सेंटर द्वारा की गई एक स्टडी में 1,000 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण किया गया और पाया गया कि 93% ने स्तन कैंसर के लक्षण के रूप में एक गांठ को पहचाना।
हालाँकि, सर्वेक्षण में शामिल आधे से भी कम लोगों ने अन्य सामान्य लक्षणों को पहचान की। ब्रेस्ट कैंसर केवल ब्रेस्ट में गांठ बनने के साथ शुरू नहीं होता है।
स्तन में गांठाें के अलावा कुछ और लक्षण भी करते हैं ब्रेस्ट कैंसर का संकेत :
~निपल की पीछे की ओर मुड़ा हुआ, उल्टा या नीचे की ओर इशारा
ब्रेस्ट का सिकुड़ जाना.
~स्तन के हिस्से में संवेदना का खो जाना.
~स्तन की त्वचा का गड्ढा/मोटा होना
निप्पल से डिस्चार्ज होना.
मुड़ा हुआ, उलटा या नीचे की ओर झुका हुआ निपल सबसे कम पहचाना जाने वाला लक्षणों में था – स्टडी में भाग लेने वाले केवल 31% प्रतिभागियों ने इसे स्तन कैंसर के संकेत के रूप में जाना।
ब्रेस्ट कैंसर को पहले स्टेज पर या जीरो स्टेज पर पकड़ने के लिए आप कई तरह की स्क्रीनिंग का सहारा ले सकती है। अल्ट्रासाउंड, मेमोग्राफी, सीटीस्कैन जैसी कई स्क्रीनिंग है जो आप ब्रेस्ट की जांच करने के लिए करवा सकती है।
ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के दौरान आपको अपना ब्रेस्ट खोना पड़ सकता है। पहली स्टेज में जिन लोगो में कैंसर का पता चल जाता है उनमें से 98 प्रतिशत लोग ठीक हो जाते है। कई बार गंठे भी स्तन कैंसर का लक्षण नहीं होती है।
कई गांठे ब्रेस्ट में ऐसी भी मौजूद होती है इसलिए हर गांठ को स्तन कैंसर समझकर डरना भी नहीं है और अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
पहले के समय में ब्रेस्ट कैंसर के लिए एख सर्जरी ही उपाय था इसके लिए ब्रेस्ट को भी निकाला जाता था, लेकिन अब ब्रेस्ट कंजर्व सर्जरी भी मौजूद है जिसमें मरीज के ब्रेस्ट को कंजर्व करके केवल उसक ट्यूमर को निकाला जाता है। ब्रेस्ट को वापस उसी शेप में कंजर्व कर दिया जाता है। इसलिए इस बात के लिए डरने की जरूरत नहीं है कि ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के दौरान आपको अपना ब्रेस्ट खोना पड़ सकता है।
स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित शारीरिक गतिविधि करना, शराब का सेवन सीमित करना, स्मोकिंग नहीं करना और स्तनपान कराने से स्तन कैंसर होने की संभावना कम हो सकती है।
नियमित मैमोग्राम और क्लिनिकल ब्रेस्ट टेस्ट के माध्यम से भी इसका जल्दी पता लगाया और सफल उपचार कराया जा सकता है।
ब्रेस्ट सेल्फ टेस्ट या स्तन स्व-परीक्षण महिला घर पर भी कर सकती है। वह स्तन के ऊतकों में परिवर्तन या समस्याओं को देखने के लिए आजमा सकती है। महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है।
हर महीने में इसे एक बार करना जरूरी है। मासिक स्तन स्व-परीक्षण करने का सबसे अच्छा समय पीरियड के 1 सप्ताह बाद करना चाहिए। पीरियड के समय ब्रेस्ट का कोमल या लम्प होना सामान्य बात है। यदि कोई महिला मेंनोपॉज से गुजर रही है, तो हर महीने एक ही दिन अपनी जांच करें।
ब्रेस्ट कैंसर से बचने का सबसे पहला पड़ाव है उसके बारे में जानकारी होना। ताकि अगर स्तन में किसी तरह का बदलाव हो रहा है, तो उसे समय रहते पहचाना जा सके।
1. स्तन को 4 बराबर भाग में बांट लें। हर भाग को अपने हाथों से स्क़वीज कर चेक करें। इस तरह किसी भी परिवर्तन या लम्प को नोटिस करें तो डॉक्टर से मिलें.
2. बूब स्किन के टेक्सचर की भी जांच करें। यदि कलर में फर्क नजर आ रहा है, तो वह भी नोटिस करें।
3. पीठ के बल लेटकर भी चेक कर सकती हैं। यदि आप लेटी हुइ हैं, तो सभी ब्रेस्ट टिश्यू की जांच आसानी से हो जाएगी। दाहिना हाथ सिर के पीछे रखें। बाएं हाथ की बीच की उंगलियों से पूरे दाहिने स्तन की दबा कर जांच करें। धीरे से लेकिन मजबूती से दबाएं।
4. इसके बाद बैठें या खड़े हो जाएं। आर्मपिट को भी दबाकर देखें।
5. धीरे से निपल को दबाएं। कहीं किसी प्रकार का डिस्चार्ज तो नहीं हो रहा। इस प्रक्रिया को दूसरे स्तन पर भी दोहराएं।
6. स्तनों को सीधे मिरर में देखें। त्वचा की बनावट में बदलावों, गड्ढे, सिकुड़न, इंडेंटेशन जांचें। प्रत्येक स्तन के आकार और रूपरेखा पर भी ध्यान दें। यह जरूर देखें कि क्या निपल अंदर की ओर मुड़ता है या नहीं।
7. भुजाओं को सिर के तरफ उठाकर भी जांच करें। यदि किसी भी तरह की समस्या मलती है, तो तुरंत हेल्थकेयर प्रोवाइडर से मिलें।