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*मानसिक सेहत तक से दुश्मनी है पक्षपाती होना*

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       ~ सोनी तिवारी, वाराणसी 

उसने ऐसा कहा था, तो मुझे उसके साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए। उसकी यह मजाल की वह मुझसे ऐसा कहे। मैं उसे ठीक कर दूंगा/दूंगी। वगैरह- वगैरह।

     ऐसे न जाने कितने पूर्वाग्रह वाले विचार मन को घेरे रहते हैं। ये पूर्वाग्रह या बायस विचार तनाव, एंग्जाइटी यहां तक कि अवसाद के भी कारण बन सकते हैं। मेंटल हेल्थ को मजबूत करने के लिए हमें खुद को अवसाद से बचाना होगा। अवसाद से खुद को बचाने के लिए सबसे पहले पूर्वाग्रह वाले विचारों से मुक्त होना होगा। 

*क्या हैं कारण?*

     लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग में हुए शोध बताते हैं कि व्यक्ति अकसर शॉर्टकट अपनाना पसंद करता है। उसके अनुभव और सोशल कंडीशनिंग भी इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। व्यक्ति सहज ही किसी के प्रति अपनी धारणा बना लेता है। हम अपने विचार दूसरों पर लादते हैं और दूसरों से अपेक्षा भी रखने लग जाते हैं।

     यह मस्तिष्क की नेचुरल प्रवृत्ति के कारण होता है। बायस विचार पृष्ठभूमि, व्यक्तिगत अनुभवों, सामाजिक रूढ़ियों और सांस्कृतिक संदर्भ से भी प्रभावित होते हैं। यह जेंडर से निर्धारित नहीं होता है, लेकिन शरीर का वजन, नाम और कई अन्य चीजें भी पूर्वाग्रह को ट्रिगर कर सकती हैं।

यहां हैं पूर्वाग्रह/पक्षपात से छुटकारा पाने के ऊपाय,:

     *1 आत्म-जागरूकता :* 

सबसे पहले यह स्वीकार करें कि आप पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। कई बार बायस होने के बावजूद जीवनभर व्यक्ति अपनी इस कमी को नकारता रहता है। आत्म-जागरूकता परिवर्तन की दिशा में पहला कदम है। अलग-अलग लोगों और स्थितियों के प्रति अपने विश्वास, दृष्टिकोण और प्रतिक्रियाओं पर विचार करें।

     खुद से यह सवाल जरूर करें कि ये पूर्वाग्रह किस तरह आपके मन में पैदा हुए? इसने आपकी धारणाओं को किस तरह आकार दिया?’

*2. स्वयं का शिक्षण :*

      विभिन्न संस्कृतियों, पृष्ठभूमियों और दृष्टिकोणों के बारे में जानने के लिए पहल करें। जब भी समय मिले किताबें पढ़ें, डॉक्यूमेंट्री देखें। अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के साथ बातचीत करें।

     स्वयं को शिक्षित करने से ही व्यक्ति की समझ का विस्तार होता है। इससे मन में पल रही रूढ़ियों को भी चुनौती मिलती है।

*3 दूसरों के प्रति सद-भावना :*

दूसरों के प्रति अच्छी भावना पूर्वाग्रहों को तोड़ने की पहली सीढ़ी है। अपने आप को दूसरों की जगह पर रखें। उनके अनुभवों और भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

    जब आप दूसरों के प्रति अच्छी भावना रखते हैं, तो आप दुनिया को उनकी आंखों से देखने लगते हैं। यह भावना जुड़ाव और करुणा को बढ़ा देते हैं।

*4. धारणा को चुनौती :*

अपनी धारणाओं के प्रति सतर्क रहें। अक्सर हम पूर्वाग्रह से ग्रस्त सीमित जानकारी के आधार पर हो जाते हैं। जानकारी के अभाव के बावजूद किसी व्यक्ति के संबंध में हम त्वरित निर्णय भी ले लेते हैं।

      जब भी आप खुद को किसी के बारे में कुछ गलत सोचते हुए पाती हैं, तो सचेत रूप से सवाल करें कि क्या यह उचित है? आपका व्यवहार पूर्वाग्रह से ग्रस्त तो नहीं है?

*5. कम्युनिकेशन :* 

ऐसी बातचीत शुरू करें, जो पूर्वाग्रहों और निर्णयों के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करे।

     दूसरों को अपने दृष्टिकोण साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें। बिना किसी पूर्वाग्रह के दूसरों की बात सुनने के लिए खुद को तैयार करें। लोगों के साथ बातचीत करने पर ही सही बात समझ में आती है।

      इस तरह की बातचीत में शामिल होने से व्यक्ति की पर्सनेलिटी डेवलपमेंट होती है। व्यक्ति की समझ भी विकसित होती है।

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