आरती शर्मा
मोदी उवाच :
“मेरे लिए सबसे बड़ी चार जातियाँ हैं, ग़रीब, युवा, महिलाएँ और किसान। मेरा मक़सद चारों का उत्थान व इनका जीवन स्तर सुधारना है। इनका हो जायेगा तो सबका हो जायेगा!”
मोदी और भाजपाइयों के लिए “उत्थान” शब्द भी एक जुमला ही है। इन्होंने महँगाई, बेरोज़गारी, कुव्यवस्था और भ्रष्टाचार लादकर जनता के जीवन स्तर में इतना “सुधार” किया है कि 2017 से 2021 तक पाँच सालों में ही 7,20,611 लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। यानी हर दिन 65 ग़रीबों, युवाओं, महिलाओं और ग़रीब किसानों की मौत!
मोदी जी ने युवाओं की इतनी “सेवा” कि है की 32 करोड़ लोग बेरोज़गारी की दलदल में समा गये जिसमें बड़ी संख्या युवाओं की है। हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वायदा करने वाले मोदी के आठ साल के राज में मात्र 7 लाख 22 हज़ार 311 लोगों को केन्द्र सरकार ने नौकरी दी, जबकि आवेदन करने वालों की संख्या 22 करोड़ 5 लाख 99 हज़ार 238 थी!
मोदी जी ने जनता का इतना “भला” किया कि महँगाई ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी। आम आदमी रूखी-सूखी खाने पर भी अपनी आमदनी का 53 प्रतिशत हिस्सा खाने पर ही ख़र्च करने को बाध्य है, दवा-इलाज़, किराया-भाड़ा रह गया अलग जबकि ठूँस-ठूँस कर माल उड़ाने पर भी धन्नासेठ अपनी कमाई का मात्र 12 प्रतिशत खाने पर खर्च करते हैं!
मोदी राज में जनता की इतनी “सेवा” हुई कि लोगों की गाढ़ी कमाई को धन्नासेठों पर लुटा दिया गया। 2015 से 2021 तक 6 सालों के बीच 11 लाख 19 हज़ार करोड़ के लोन बट्टे खाते में डाले गये जिसमें से मात्र एक लाख करोड़ की वसूली हुई है यानी 10 लाख 19 हज़ार करोड़ रुपये धन्नासेठों द्वारा सीधे हज़म कर लिये गये जबकि 2004 से 2014 के 10 सालों में लोन माफ़ी की राशि 2 लाख 22 हज़ार करोड़ थी!
25 लाख से ज़्यादा का कर्ज़ लेकर न चुकाने वाले ‘विलफुल डिफ़ॉल्टरों’ की संख्या 15,000 तक पहुँच चुकी है, जनता का पैसा मारकर क़रीब 40 धनपशु तो देश छोड़कर ही भाग गये।
मोदीमय भाजपा के राज में जनता का इतना “उत्थान” हुआ कि लोग कंगाली में समा गये। 23 करोड़ से ज़्यादा लोग सरकार की मज़ाकिया ग़रीबी रेखा से भी नीचे पहुँच गये जोकि दुनिया में सबसे अधिक है जबकि भाजपा की घोषित सम्पत्ति वित्त वर्ष 2020 में 4847 करोड़ 78 लाख रुपये तक पहुँच गयी, जोकि 2017 में यह 1213 करोड़ थी।
इसलिए भाइयो-बहनो-साथियो! झूठे, लबार और जुमलेबाज से सावधान!