अपने उपन्यासों में ज्वलंत मुद्दे उठाने वाले पॉल लिंच ने ‘प्रोफेट सांग’ में आयरलैंड के तानाशाही शासन में बदलते जाने को बेहद खौफनाक तरीके से चित्रित किया है। उपन्यास की शुरुआत महामारी की पृष्ठभूमि में डब्लिन से होती है, जहां एक शाम जीवविज्ञानी इलिश स्टैक के दरवाजे पर दस्तक होती है। इलिश पाती हैं कि दरवाजे पर सीक्रेट पुलिस जीएनएसबी के दो अधिकारी ट्रेड यूनियन से जुड़े उनके पति लैरी से पूछताछ करने के लिए आए हैं। जब पति घर आते हैं, तब एलिश उनसे पूछती है। इस तरह परिवार में तनाव की शुरुआत हो जाती है। कुछ दिन बाद शिक्षकों का वेतन बढ़ाने की मांग के साथ ट्रेड यूनियन सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करता है। उसी दौरान लैरी गायब हो जाते हैं। फिर अपने बच्चों और परिवार को बचाने के लिए इलिश स्टैक का संघर्ष शुरू होता है।
दक्षिणपंथी नेशनल एलायंस पार्टी के उत्थान के बाद, जिसने आयरलैंड में आपातकाल लगा दिया है, देश धीरे-धीरे तानाशाही शासन में तब्दील होता जाता है। पहले तो लोग समझ ही नहीं पाते कि उनके अधिकारों में कटौती की जा रही है। जब तक वे समझते हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उपन्यास का एक अंश है : ‘पूरी जिंदगी आपने सोकर बिता दी, हम सब सो रहे थे, और अब जागने का दौर शुरू हुआ है।’
लिंच ने राजनीतिक अस्थिरता का चित्रण करने के बजाय सिर्फ इलिश स्टैक के संघर्षों पर ध्यान केंद्रित किया है। जब इलिश को पता चलता है कि उनका एक बेटा घायल हो गया है, तब उसे देखने के लिए वह अस्पतालों के चक्कर लगाती हैं और अंतत: उस अस्पताल में पहुंचती हैं, जो नो मैन्स लैंड में है, और जहां नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी हो रही है।
एलिश एक मोर्चे पर परिवार को बचा रही हैं, तो दूसरे मोर्चे पर डिमेंशिया ग्रस्त अपने पिता साइमन के लिए खड़ी होती हैं, जिन्हें पुलिस वाले उनके पुराने घर से हटाकर, जहां उनकी दिवंगत पत्नी की स्मृतियां हैं, सीमा पर भेजने की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के लोगों से एलिश चीख-चीखकर कहती हैं, ‘इस उम्र में मेरे पिता सिर्फ अपनी स्मृतियों से घिरे रहना चाहते हैं, जहां अतीत उनकी पहुंच में हो।’ एलिश का अपने पिता से संवाद, जो वर्तमान और अतीत में लगातार आवाजाही करते हैं, इस उपन्यास को बेहद मार्मिक बना देता है। जब वह वर्तमान में होते हैं, तब एलिश को भागकर कनाडा चले जाने के लिए कहते हैं।
यह उपन्यास हमारे समय की कहानी है, जब दुनिया के एकाधिक देशों में नीति नियंताओं की सनक का खामियाजा वहां की जनता हिंसा, मौत और विस्थापन के रूप में चुका रही है। आयरलैंड का गृहयुद्ध फलस्तीन, यूक्रेन और सीरिया में जारी युद्धों की याद दिलाता है। लिंच का पहला उपन्यास ‘रेड स्काई इन मॉर्निंग’ अमेरिका में हिंसा और खून-खराबे की खौफनाक कहानी है, तो ‘ग्रेस’ आयरलैंड के अकाल पर है, और ‘बियॉन्ड द सी’ प्रशांत महासागर में भटकते लोगों पर केंद्रित हैं। ‘प्रोफेट सांग’ उपन्यास शिल्प विधान के लिहाज से भी गौरतलब है। इस उपन्यास में अध्याय तो हैं, पर कहीं पैराग्राफ नहीं है। शायद इसलिए, क्योंकि अस्तित्व के लिए संघर्ष करते आयरिश लोगों के जीवन में भी तनाव और मुश्किलों से राहत नहीं है।