-सुसंस्कृति परिहार
पिछले कई महीनों से मणिपुर में हुए बेशर्म अपराध, उत्तर प्रदेश में कई युवतियों के साथ हुए दर्दनाक बलात्कार,बीएचयू का सामूहिक बलात्कार कांड इस बात को हालांकि पुख्ता कर चुके हैं कि चाहे मणिपुर महिला कांड हो,या उत्तरप्रदेश के कुलदीप सिंह सेंगर, बृजभूषण सिंह के यौन शोषण के मामले या बीएचयू बलात्कार काण्ड की वीभत्सता हो।इन सबके तार बीजेपी की सरकार, नेताओं और आईटी सेल के गुंडों से जुड़े हैं इसलिए इन मामलों को दबाने की भरपूर कोशिश केंद्र सरकार कर रही है यह आज का सच है।
इसी बीच आज से लगभग 21साल पहले 2002 का नरसंहार कांड जो गुजरात सरकार के संरक्षण में हुआ जिसके कई गवाह कथित तौर पर मारे गए लेकिन एक गवाह संजीव भट्ट आज भी जेल की सलाखों में सज़ा झेल रहा है।इसी का एक सच लेकर समाजसेवियों और मानवाधिकार संगठन की बदौलत बिल्किस बानों ने ऐसी सरकार के ख़िलाफ़ अपना मोर्चा खोला।उसे यकीन नहीं था कि गुजरात कोर्ट में सही निर्णय मिल पाएगा इसीलिए महाराष्ट्र हाईकोर्ट में मामला भिजवाया वहीं निर्णीत हुआ।उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या और बलात्कार जैसे संगीन जुर्म में 11बलात्कारियों को 14वर्ष का कारावास हुआ मगर वे गुजरात जेल में मेहमानों की तरह रहे।अभी उनकी सज़ा पूरी भी नहीं हुई थीं कि आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ पर जब मोदीजी लालकिले से जब भाषण दे रहे ठीक उसी पावन बेला में ये 11अपराधी जेल से मुक्त कर दिए गए।जो यह साफ़ इंगित करता है कि ये उनके अपने प्रियजन थे।इसके बाद तो इन अपराधियों का जेल के बाहर जिस तरह स्वागत हुआ उससे आम आदमी दहल गया उस समय बिल्किस बानो की क्या हालत हुई होगी यह सोच बहुत तकलीफ़ होती है। वैसे भी इस केस को लड़ते हुए उसने अपनी सुरक्षा के लिहाज से कई ठिकाने बदले थे।वह फिर परेशानी से घिरी उसने सुप्रीम कोर्ट से दरयाफ़्त की और उसने गुजरात कोर्ट के निर्णय को खारिज कर दिया तथा अपराधियों से जेल में सरेन्डर कहने कहा है। उन्हें पकड़ कर जेल डालने नहीं कहा।पता नहीं ये हो पाता है या नहीं आजकल सुको के आदेशों की अवज्ञा बराबर भाजपा सरकार कर रही है।सुको का इस मामले में यह कहना है कि जहां से सज़ा मुकर्रर हुई है वह कोर्ट ही इस तरह का निर्णय ले सकता है।मतलब यह कि गुजरात कोर्ट ने जो यह निर्णय लिया वह विधि सम्मत नहीं है।
इससे पहले भी आप राहुल गांधी के संसद से निलंबन का गुजरात कोर्टस का फैसला देख ही चुके हैं उन्हें किस तरह लंबे समय तक संसद से वंचित रखा गया।इससे बड़ी बात बिल्किस बानो परिवार के अपराधियों के साथ गुजरात हाईकोर्ट ने की अधिकार ना होते हुए भी निर्णय सुना दिया।यह तो सब समझते हैं इसके पीछे किसका हाथ होता है।यदि ऐसा ना हुआ
तो इस नरसंहार के जिम्मेदार आज सत्ता के सर्वेसर्वा ना बने होते।
बहरहाल सच एक दिन सामने आता ही है। कानून के तहत् बिल्किस बानो मामले से यह सच खुलकर सामने आया है यह आगे बहुत काम आएगा।तब तक बिल्किस बानो को सुरक्षित रखना होगा। यह जिम्मेदारी नागरिक समाज की है।इस जुझारू परेशान नारी को पूर्ण सहयोग और सुरक्षा दें। सरकारी सुरक्षा की मांग फ़िज़ूल है उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। आज ऐसे समाज के दरिंदों से मुक्ति पाने के लिए फूलन देवी नहीं बिल्किस बनने की ज़रूरत है।